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Ranjeet Singh Patel
!!भला का उल्टा लाभ और दया का उल्टा याद!! !!भला का उल्टा लाभ और दया का उल्टा याद!!
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी हिंसा का भार सारा जग अब दोहता है खुद की आमंत्रण आपदाओं से रक्तरंजित मानव होता है जल गयी भट्टियाँ लालचों की रणक्षेत्र तैयार होता है करुणा दया का नीर,आँखो में नही दिखता है रौंद दिये सब वेद पुराण, अहिंसा में खलखल पड़ता है पहन लिये लिवास आयतनों के धर्म परिवर्तन का दौर चलता है मूल सिद्धांतों से भटकर,जनाजा शांती का निकलता है अब आत्मबल की ताकत से ही जियो और जीने दो का मार्ग पूरी दुनियाँ में सार्थक हो सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Bheed करुणा दया का नीर अब आँखो में नही दिखता है #Bheed
Shravan Goud
अज्ञानी से क्या कहना वे तो सिर्फ दया के पात्र होते हैं। बिना ज्ञान के जो निर्णय करता होता है वह दया का पात्र बनता है।
Bhakti Kathayen
Dalip Kumar Deep
जिनके दिये वक़्त की आँधी ने बुझा दिये उनकी ऑखों में नये ख़्वाब दे आना फुर्सत मिले अगर जो मुबारको से एक आधा उनके घर भी चिराग दे आना 'दीप'..✍🏿शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep ✍🏿🍁🍁रोशन कर दिया करो कभी किसी💕💕💕 के घर का अंधेरा दुआ से दया का रिश्ता सदियों पुराना है...cont..😔
HINDI SAHITYA SAGAR
कष्ट सदा तुम हरते उसके, जो कष्ट जहाँ के हरता है। खुशियाँ देते झोली भर-भर, जो दुःखियों संग रमता है। कष्ट कभी न मिलता उसको, विश्वास जो गुरु पर रखता है। सत्य-अहिंसा, प्रेम-दया का, भाव सदा जो रखता है। -शैलेन्द्र ©HINDI SAHITYA SAGAR कष्ट सदा तुम हरते उसके, जो कष्ट जहाँ के हरता है। खुशियाँ देते झोली भर-भर, जो दुःखियों संग रमता है। कष्ट कभी न मिलता उसको, विश्वास जो गुरु पर
Ruchi Baria
देवमुनिप्रवरार्चितलिंगम् कामदहं करुणाकरलिंगम्। रावणदर्पविनाशनलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्॥ ©Ruchi Baria देवमुनिप्रवरार्चितलिंगम् कामदहं करुणाकरलिंगम्। रावणदर्पविनाशनलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्॥ मैं भगवान् सदाशिव के उस लिंग को प्रणाम करता
Rahul Raj Singh
घनाक्षरी राम राम का ही नाम बसता हैं मुख में तो, आखिर फिर कहाँ बसती हैं माँ जानकी। आडवाणी के रथ में जब घूमते श्री राम, क्यों न घुमाई गई राम जी की जानकी। त्याग ने बाद माता भटकी थी वन वन, दया का पात्र क्यों न हुई देवी जानकी। राम से दूर रही पर राम के थी करीब, फिर राम से दूर क्यों कि गई जानकी। -राहुल राज सिंह राम राम का ही नाम बसता हैं मुख में तो, आखिर फिर कहाँ बसती हैं माँ जानकी। आडवाणी के रथ में जब घूमते श्री राम, क्यों न घुमाई गई राम जी की
Prashant Chauhan
हुई प्रकाशित ये धरा ईश्वर का स्वरुप जग में आया, वो प्रेम और शांति का दूत दया का सागर कहलाया, मृतकों में भी जिसने दी सांस फूंक मसीहा यीशु ब
Vandana
प्रकाश की जगमगाहट होनी चाहिए महलों में ही नहीं,, धरा के हर कोने में,,,जहां बेबसी और लाचारी से मासूम आंखें फुलझड़ी के इंतजार में बैठी है,,, एक दिया उम्मीदों का,,,एक दिया प्रेम का खरीदारी करते वक्त उन मासूमों के लिए भी कुछ ले लेना,,,, अपने झोले से कुछ खुशियां उन्हें भी उधार दे दे