मनहरण घनाक्षरी
उन्हें त्रिपुरारी कहो , उन्हें जटा धारी कहो ,
दुष्टो का जगत से वो , करते संहार हैं ।
वही अर्धनारीश्वर , वही महेश्वर यहाँ #कविता
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अशेष_शून्य
अमिट हैं , अडिग हैं, ये अविनाशी हैं
______मेरे गिरिश्वर कैलाश वासी हैं ।
सरल हैं , सुगम हैं , ये कल्याणकारी हैं
______मेरे शंकर को काशी प्य #yqbaba#hindipoetry#yqdidi#अशेष_शून्य