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Usha bhadula
चांद से दूर एक जहाँ शांति ओर आंनद यहाँ न तेरा न मेरा कोई यहाँ यह तो प्रेम का एक जहाँ स्वयं भगवन् रहते यहाँ ओम् शांति🙏 ©Usha bhadula #2023Recap परमधाम
HP
हमें आत्म-संयम की साधना धारण करें, बुद्धिमतापूर्वक आत्म-संयम से ही शक्ति सम्पन्न होकर आनन्द और शान्ति के परमधाम की प्राप्ति की जा सकती है। (अवधूत) परमधाम
Usha bhadula
चाॅंद सितारों से भी दूर ऊंचा एक जहांन होती जहाँ परम शांति न बंधन किसी बात का न किसी बात की होड़ नहीं रहती देह जहाँ सिर्फ आत्मा परमात्मा का वह जहां। ओम् शांति 🙏 ©Usha bhadula #Exploration एक धाम परमधाम
Pratyush Tripathi
क्यो पूछते हो मुझसे तुम उसका हाल, मुझे तो उसकी आँखों नें कर रखा है बेहाल, मुझे सता कर खुश रहनें वाली से भी तो पूछो तुम, ये सब सच भी है या है केवल माया-जाल.... #gif वर्णन
Pandit Shivendra Mishra
हुआ सवेरा सूरज आया , लाल-लाल किरणों को लाया। धूप हुयी औ चिड़ियां चहकीं, पुष्प खिले औ कलियां महकीं।। पौधों में भी प्रभा आ रही, लालिमा हर तरफ छाई है। सभी दिशाएं हर्ष कर रहीं, नदियां भी मुस्काई हैं।। शोभित मन्द बयार हो रही, तिमिर गया है भू से भाग। जगा हुआ भूमण्डल सारा, कर्मवीर अब तू भी जाग।। -पं. शिवेन्द्र मिश्र "मनमोहन" प्रभात-वर्णन
Trilok
गुरु गुण वर्णन सागर को मापना लगता असंभव तो क्या रत्नाकर की बात नहीं करूं एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचना मुश्किल तो क्या शिखर की कल्पना भी नहीं करूं जानता हूं मानता हूं कि तू है विशाल और विराट तो क्या तेरे एक गुण का भी बखान नहीं करूं करूंगा, करना है मुझे क्योंकि मैं सब कुछ नहीं, बहुत कुछ नहीं पर कुछ तो कहूंगा, कुछ तो बोलूंगा तेरे अथाह जीवन को तेरे तन मन वच पावन तेरे गुण रत्नों के मिलन को तेरे उत्कृष्ट चारित्र पालन को गुरु गुण वर्णन
Hema Kushwaha
मैं तो सिर्फ कोरे कागज भरती जाती हूं। मन मे जो ख्याल ,उसे कोरे कागज पर उतार देती हूं। जिंदगी जीने में जो हलचल और ठोकरे मिली उसे ही कागज पर उभार देती हूं। ह्रदय में जो सुख दुख के भाव उत्पन है उसे ही कोरे कागज पर लिखती रहती हूं। अपने अरमां को युही व्यक्त किये जाती हूं। सबकी सुनती हु पर अपनी ही करती हूं। मैं तो मस्त मौला हु आज़ाद पंखी की तरह उड़ती हु। जिंदगी का कोई भरोसा नही फिर भी हस्ती रहती हूं। मैं तो सिर्फ........ विचारों का वर्णन
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
🏠मेरा घर:एक कल्पना🏠 °°°°°°°°°°°°°°°°°° उम्मीदों के हसीन शहर में, एक आशियां हमारा भी होगा। जिसमें छोटों के लिए प्रेम, और बड़ो के लिए सम्मान होगा। हर एक दिन रंगीन होगा होली-सा, और दीवाली-सा चमकीला हर रात होगा। एक दूसरें से ही बाँट लेंगें हर सूख-दुःख, हमें गैरों से कोई काम नहीं होगा। जहाँ न होगी किसी के पावों में पाबंदी की जंजीरें, हर किसी का अधिकार एक समान होगा। ईट-पत्थरों से भले बना मकान होगा वो, पर हमारा घर ख़ुद में एक जहान होगा। -Rekha $harma #Sapne_ka_ghar #काल्पनिक वर्णन