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Geeta Rawat Gafil

Geeta Rawat 'Gafil'

©Geeta Rawat  Gafil रिश्तो के ताने-बाने

रिश्तो के ताने-बाने #शायरी

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Shailendra Singh Yadav

तुम्हे पाने के लिये सारे प्रावधान बदल देंगे।
तुम्हे अपनाने के लिये सारे विधान बदल देंगे।
शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी तुम्हे पाने के लिये।

शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी तुम्हे पाने के लिये।

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Anjani Upadhyay

महान गीतकार के जयंती पर होंगे कार्यक्रम

©Anjani Upadhyay महान गीतकार के जयंती पर होंगे के कार्यक्रम

महान गीतकार के जयंती पर होंगे के कार्यक्रम #विचार

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subhash chandra mandal

जाने मेरी जाने मन गाने

जाने मेरी जाने मन गाने

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Ajay Bishwas

माँ रिश्ते का ढब समझती है
माँ ऊँच-नीच सब समझती है

माँ प्यारी है ,नासमझ तो नहीं 
सारी बातों का मतलब समझती है # माँ रिश्ते के ताने-बाने सुलझाती है

# माँ रिश्ते के ताने-बाने सुलझाती है

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Gurudeen Verma

शीर्षक - माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
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माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो।
बहुत हसीन हो तुम, एक माहताब हो।।
माशा अल्लाह तुम-------------------।।

गुलाब जैसे लब तेरे, आँखें तेरी मधुशाला है।
हंसी तेरी फूलों सी है, फूलों सा तुम शबाब हो।।
माशा अल्लाह तुम-------------------------।।

लहराती तेरी ये जुल्फें, लाती है दिल में बहार।
कशिश है तेरे चेहरे में, तुम मीठी एक शराब हो।।
माशा अल्लाह तुम--------------------------।।

कमाल है तेरी अदायें, मस्ती है इनमें मौजों सी।
मकबूल हो तुम जमीं पर, दीवानों का तुम ख्वाब हो।।
माशा अल्लाह तुम--------------------------।।

बनाया होगा खुदा ने, तुमको फुरसत में ही।
मूरत हो तुम प्रेम की, मोहब्बत की तुम किताब हो।।
माशा अल्लाह तुम----------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद 
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - आजा रे अपने देश को
----------------------------------------------------
आजा रे अपने देश को।
तू छोड़कर परदेश को।।
नहीं तोड़ हमसे तू रिश्ता।
नहीं भूल अपने देश को।।
आजा रे अपने----------------।।

सूना है घर का ऑंगन, तेरे बिना।
खिलती नहीं कलियां, तेरे बिना।।
नहीं गाते गीत पंछी, तेरे बिना।
आजा रे अपने----------------।।

करती है याद तुमको, तेरी माँ।
रोज देखती है, वह तेरी राह।।
पूछती है तेरी खबर, तेरी माँ।
आजा रे अपने----------------।।

बीमार बापू है तेरा, तेरी याद में।
खबर उसकी नहीं ली, तूने बाद में।।
अब तो तू आकर जी, उनके साथ में।।
आजा रे अपने--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
----------------------------------------------------------
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार।
कब तक करेंगे ऐसे, हम तेरा इंतजार।।
कैसे कहे कि मिलने, आयेगा तू हमसे।
कैसे माने तुमको है, हमसे  सच्चा प्यार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।

क्या निभायेगा हमसे, अपनी तू वफायें।
नहीं करेगा फिर से, ऐसी तू खतायें।।
हो जाये टुकड़ें, इस दिल के कभी अगर।
कैसे माने, नहीं तोड़ेगा तब तू इकरार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।

सीने से तुमको लगा ले, लेकिन हम।
बाँहों में तुमको भर ले, लेकिन हम।।
डरते हैं  छोड़ देगा तू , हमको अकेला।
ऐसे में करें कैसे, तुमसे हम इजहार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।

कौन हमको देगा, पनाह बदनामी में।
कौन हमको देगा, दुहायें बदनामी में।।
हो जायेगी बर्बाद जब, जिंदगी हमारी।
देने में हमको सहारा, कर दे तू इन्कार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक- खत पढ़कर तू अपने वतन का
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खत पढ़कर तू अपने वतन का।
जल्दी आना अपने वतन को।।
करती है याद मातृभूमि तेरी।
मिलने आना अपने वतन को।।
खत पढ़कर तू -------------------।।

खेला करता था कभी, तू इसकी गोद में।
सँग कभी हँसता था इसके, तू इसकी मौज में।।
इसके फूलों की खुशबू , तुमको बुलाती है।
इसलिए चले आना, तू अपने चमन को।।
खत पढ़कर तू -----------------------।।

इसके जैसा नहीं मिलेगा, तुमको प्यार कहीं।
इसके जैसा नहीं मिलेगा, तुमको सम्मान कहीं।।
इसके अहसान सच में, तुम पर बहुत है।
तू चले आना चुकाने, इसके अहसान को।
खत पढ़कर तू --------------------------।।

देख कैसे लुट रहा है, यह तेरा वतन यहाँ।
देख कितना रो रहा है, यह तेरा चमन यहाँ।।
बर्बाद नहीं होने दे तू , अपने चमन- देश को।
तू चले आना बचाने, देश के सम्मान को।।
खत पढ़कर तू -------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद 
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफरत
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चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत।
 लेकिन तुम करना नहीं, हमको कभी भी बेइज्जत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार --------------------।।

मानेंगें हम बात तुम्हारी, लेकिन वह पसंद हो हमको।
और नहीं हो इसमें भी, तुम्हारी कभी भी कोई शर्त।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।

तोड़ दे उनसे कैसे वास्ता, जिनसे हमारा है लहू का रिश्ता।
हम तो रहेंगे उनके साथ भी, उनकी है हमको जरूरत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।

चेहरा हमारा यही है असली, इसपे पर्दा क्यों करना।
शौकीन नहीं हम नकाब के, चाहे कहो तुम बदसूरत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार --------------------।।

यह बस्ती ,यह हस्ती हमको, जान से भी प्यारी है।
यही हमारी पहचान है, चाहे हमको समझो बदकिस्मत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - आज बाजार बंद है
---------------------------------------------------------
रौनक नहीं आज बाजार में।
फैली है अफवाह बाजार में।।
खुली है सिर्फ कुछ ही दुकानें।
बाकी है बन्द किसी बहाने।।
आज सभी का काम बंद है।
आज बाजार बंद है।।-(4)
रौनक नहीं आज-------------------।।

बाजार है बन्द जिनके कहने से।
आते नहीं बाज वो लड़ने से।।
मरता है इसमें जो भी इंसान।
कौन है उसका आखिर भगवान।।
दिमाग़ों पे छाई जो धुंध है।
आज बाजार बन्द है।।-(4)
रौनक नहीं आज-------------------।।

फौज बुलाई है अमन के लिए।
आखिर कौनसे दुश्मन के लिए।।
मरते हैं इसमें हर मजहब के।
रिश्तें हैं फिर किस मतलब के।।
गोदाम नहीं खाली अमीरों के।
जलते नहीं चूल्हे गरीबों के।।
इसमें खुश दिल सिर्फ चन्द है।
आज बाजार बन्द है।।- (4)
रौनक नहीं आज-------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

Red sands and spectacular sandstone rock formations शीर्षक - नहीं आती कुछ भी समझ में, तेरी कहानी जिंदगी
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नहीं आती कुछ भी समझ में, तेरी कहानी जिंदगी।
अबूझ एक पहेली है, सबके लिए तू जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में-----------------------।।

रहती है बचपन में तू , नादान और बेखबर।
हो जाती है गुमनाम तू , जवानी में जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में------------------।।

संवार देती है तकदीर को, तू बेनसीबों की।
बना देती है मुफ़लिस तू , अमीरों की जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में------------------।।

ख्वाब बुनता है आदमी, खुश रखने को तुम्हें सदा।
लेकिन सबसे हटकर है, तेरी चाहत जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में------------------।।

किसी का नहीं छोड़े साथ, तू निभाये अपनी वफ़ा।
छोड़ जाती है रुलाकर सभी को, अंत में तू जिंदगी।।
नहीं आती कुछ भी समझ में--------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूला पाना
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बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूला पाना।
दिलो- दिमाग में बसी, तेरी तस्वीर मिटा पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से------------------।।

लग भी जाता है दिल भी, चमन की खूबसूरती में।
मगर आसान नहीं दिल को, यहाँ पर हँसा पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से-----------------।।

गुस्सा भी आता है तुमपे, याद कर तेरी बेवफ़ाई।
किसी की तू बने साथी, मुश्किल है यह देख पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से-----------------।।

हम तो कहते हैं सबसे, नहीं है और कोई देवी।
हमको पसंद नहीं और को, अपना बना पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से-----------------।।

बुलाते हैं हमको और भी, अपना साथी बनाने को।
मगर मुश्किल है प्यार, किसी और को लुटा पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक- अपनी शान के लिए माँ- बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
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(शेर)- क्यों कर रहे हैं बच्चें आत्महत्या, इसका गुनाहगार कौन है।
  अपनी शानो- इज्जत का औजार, बच्चों को बना रहा कौन है।।
-------------------------------------------------------
अपनी शान के लिए माँ- बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप---------------------।।

औरों को दिखाने को खुद को महान, बुनते हैं क्यों ऐसे सपनें।
थोप देते हैं अपने बच्चों पर, माँ- बाप क्यों फिर अपने सपनें।।
साकार करने को अपने सपनें, बच्चों के सपनें कुचलते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप-------------------।।

नहीं पूछते हैं बच्चों से कभी, बच्चों की किसमें है रूचि।
औरों से करने के लिए तुलना, मार देते हैं बच्चों की रुचि।।
बताकर खुद को उनका मालिक, खामोश बच्चों को रखते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप--------------------।।

जरूरी नहीं बन जायेंगे, सभी सरकारी अधिकारी यहाँ।
अपनी योग्यता- हुनर से कोई, नहीं होगा बेरोजगार यहाँ।।
कठपुतली समझकर बच्चों को, क्यों खुद से पराया करते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक -  कभी ना होना तू निराश,कभी ना होना तू उदास
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कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास।
माना कि अभी अंधेरा है, कभी तो होगा उजास।।
कभी ना होना तू निराश---------------------।।

माना कि तू है अकेला, तेरा घर कोई नहीं है।
खाली है हाथ तुम्हारे, तेरे साथ कोई नहीं है।।
मेहनत से ही होती है, सभी की सच में पूरी प्यास।
कभी ना होना तू निराश------------------।।

किसी को फिक्र नहीं तेरी, तुम्हें क्यों है सभी की फिक्र।
तुम्हारा दर्द पूछा किसने, यहाँ की किसने तुम्हारी कद्र।।
अपने महत्व का इनको भी, करा दे तू जरूर अहसास।
कभी ना होना तू निराश---------------------।।

आग में तपकर ही तो, सोना ऐसे चमकता है।
काँटों में रहकर ही तो, फूल ऐसे महकता है।।
राह के इन पत्थरों से तू , अपना यह भाग्य तराश।
कभी ना होना तू निराश------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - क्या हुआ गर नहीं हुआ पूरा कोई एक सपना
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क्या हुआ गर नहीं हुआ, पूरा कोई एक सपना।।
 यह भी तो अच्छा नहीं, एक के लिए ही जीना- मरना।।
क्या हुआ गर नहीं हुआ---------------------।।

बहुत हैं सपनें जीवन में, जैसे चमन में फूल बहुत।
जैसे चमकते हैं आसमां में, रात को तारें बहुत।।
और क्या बादलों के डर से, रुक जाता है सूरज का चलना।
क्या हुआ गर नहीं हुआ--------------------।।

खुशकिस्मत हम खुद को माने, मानव जन्म जो हमको मिला।
तूफानों से डरकर रुके क्यों, गुलाब भी है काँटों में खिला।।
फिर क्या चट्टानों के डर से, रूक जाता है जल का बहना।
क्या हुआ गर नहीं हुआ----------------------।।

माना तुम्हें था जान से प्यारा, जिसने तुम्हारा साथ छोड़ा।
मिलती थी तुमको जिससे हिम्मत, जिसने तुम्हारा हाथ छोड़ा।।
एक दुनिया भी तो एक मेला है, जहाँ है मिलना और बिछुड़ना।
क्या हुआ गर नहीं हुआ---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
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किसी की देख सफलता, ऐसे आहे भरने से।
कुछ नहीं मिलता है, और कुछ नहीं मिलेगा।।
तुम्हें क्या लाभ होगा,ऐसे ईर्ष्या करने से।
इससे तू खुद ही जलेगा, और कुछ नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता-------------------।।

रोता रहा है हमेशा, तू तो किस्मत का रोना।
करता रहा है हमेशा, तू तो ऐसे जादू - टोना।।
हमेशा दिया है तुमने तो , दोष अपने खुदा को।
बिन मेहनत किये तुमको, कभी कुछ नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता-----------------।।

भूलकर अपनी जमीं को, तुमने सोहबत की ऐसी।
देखा नहीं अपने घर को, मोहब्बत तुमने की ऐसी।।
बेच दिया तुमने तो, अपना घर और अपना ईमान।
सिर्फ ख्वाबों से कभी भी, महल नहीं बनेगा।।
किसी की देख सफलता--------------------।।

 आया जब कोई अवसर तो, डूबा रहा तू मस्ती में।
अपनी दौलत के नशे में, जीता रहा तू बस्ती में।।
बहुत लुटाया तुमने धन, मधुशाला में हमेशा।
ऐसे तेरे कर्मों से कभी, तुम्हें सुख नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
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वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं।
समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर।
करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।।
वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं।
वो ही तो यहाँ ---------------------------।।

पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का।
तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का।
प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की।
जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।।
वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं।
वो ही तो यहाँ --------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक- अधखिली यह कली
-------------------------------------------------------
अधखिली यह कली , जो खिलती कभी ।
तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।।
यह तो मिटने चली , जो महकती कभी ।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है ।
यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।।
अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की ।
बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।।
दे रहे हैं विदाई , इसको सभी ।
मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह किसको सुनाये , कहानी अपनी ।
बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।।
इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं ।
यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।।
लगी है नजर इसके , हुस्न पर ।
कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।।
अधखिली यह कली --------------------------।।

नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना ।
आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।।
इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है ।
अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।।
यह बनकर शमां , करती रोशनी ।
मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।।
अधखिली यह कली ------------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से
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मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से।
जीना है तुमको अगर जिंदगी को।।
तुमको सहनी पड़ेगी मुसीबतें तो।
पहुँचना है अगर तुमको मंजिल को।।
मोहब्बत है अगर -------------------------।।

बहाता है तू आँसू किसकी बेवफाई पर।
गुस्सा है क्यों तुमको अपनी तन्हाई पर।।
नहीं हो तू निराश,यदि कोई साथ नहीं है।
रखना पड़ेगा तुमको, जलाये चिराग को।।
मोहब्बत है अगर -------------------------।।

किसी को नहीं तेरी परवाह जब यहाँ पर।
सितम किया है तुमपे, अपनों ने यहाँ पर।।
दर्द क्यों है तुमको, उनके दुःखों पर ऐसे।
भूलना होगा तुमको, अब ऐसे अपनों को।।
मोहब्बत है अगर -------------------------।।

मिला नहीं है किसी से, जब तुमको यहाँ प्यार।
करता है क्यों फिर तू , किसी से ऐसे इकरार।।
लुटा नहीं उन पर ऐसे , अपना यह धन अब तू।
होगा अपनाना तुमको भी, ऐसे अब स्वार्थ को।।
मोहब्बत है अगर -------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक-  भीम के दीवाने हम
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(शेर)- हम है भीम के दीवाने, ऐसा करके दिखायेंगे।
           भीम की ध्वजा को हम, घर घर फहरायेंगे।।
----------------------------------------------------------------
भीम के दीवाने हम, यह करके बतायेंगे।
भीम की सरकार हम, एक दिन बनायेंगे।।
जय भीम, जय जय भीम,जय ,जय जय भीम।।(2)
भीम के दीवाने हम----------------------।।

आदर्श हमारे तो, अम्बेडकर ही है।
भगवान हमारे तो, अम्बेडकर ही है।।
अम्बेडकर ने ही दिलाया है हमको सम्मान।
पूजनीय हमारे तो, अम्बेडकर ही है।।
भीम का ध्वज ही, हम लहरायेंगे।
भीम के दीवाने हम------------------।।
जय भीम, जय जय भीम,जय ,जय जय भीम।।(2)

शिक्षा का हक सभी को, दिलाया भीम ने।
नारी की उन्नति के द्वार, खोले भीम ने।।
ऐसा ही संविधान तो, लिखा है भीम ने।
पिछड़ों दलितों को नवजीवन,दिया भीम ने।।
भीम की यह महिमा सबको, हम सुनायेंगे।
भीम के दीवाने हम------------------।।
जय भीम, जय जय भीम,जय ,जय जय भीम।।(2)

नहीं डरेंगे अब हम, किसी के डराने से।
नहीं भटकेंगे हम, किसी के बहकाने से।।
नहीं सहेंगे जुल्म और अन्याय को, अब हम।
लड़ने को मजबूत है हम, जुल्मी जमाने से।।
जय भीम का नारा, घर घर हम गुंजायेंगे।
भीम के दीवाने हम------------------।।
जय भीम, जय जय भीम,जय ,जय जय भीम।।(2)





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक-  भीम आयेंगे
-----------------------------------------------------------------
भीम आये तो फूल बरसाना।
उनके चरणों में शीश झुकाना।।
करने को मदद, बहुजनों की यहाँ, भीम आयेंगे।
भीम आयेंगे आयेंगे, भीम आयेंगे।।---------(2)
भीम आये तो------------------------------।।

अन्याय के आगे मत झुकना।
सत्य की राह से मत मुड़ना।।
सत्य तुम्हारा जीताने, न्याय तुमको दिलाने,भीम आयेंगे।
भीम आयेंगे आयेंगे, भीम आयेंगे।।---------(2)
भीम आये तो------------------------------।।

तुम जुल्मियों से कभी मत डरना।
पापियों के पैर कभी मत पड़ना।।
करने जुल्मियों का अंत, तुमको देने नवजीवन, भीम आयेंगे।
भीम आयेंगे आयेंगे, भीम आयेंगे।।---------(2)
भीम आये तो------------------------------।।

नहीं छोड़ना मानवता की राह तुम।
इंसाफ और नेकी की राह तुम।।
ज्योति शिक्षा की जलाने, सबको मानवता सिखाने, भीम आयेंगे।
भीम आयेंगे आयेंगे, भीम आयेंगे।।---------(2)
भीम आये तो------------------------------।।

पिछड़ों- दलितों के मसीहा भीम है।
नारी जाति के उद्धारक भीम है।।
सबको दिलाने सम्मान, बचाने को संविधान, भीम आयेंगे।
भीम आयेंगे आयेंगे, भीम आयेंगे।।---------(2)
भीम आये तो------------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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गीतकार अरमान शहजादा

गीतकार

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Gurudeen Verma

शीर्षक - बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
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बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत।
तुमसे है मुझको सच्ची मोहब्बत।।
एक पल जुदा तुमसे रहता नहीं हूँ।
तुम्हें मानता हूँ मोहब्बत की मूरत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।

हंसाती हो मुझको, मुझसे लिपटकर।
हंसती है कलियाँ भी, तुमसे मिलकर।।
सुनाते हैं नग़में, बहारों के झौंकें।
पाकर तुम्हें मेरी चमकी है किस्मत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।

तुम्हारी अदाओं पे, कुर्बान मैं हूँ ।
तुम्हारी आँखों का, संसार मैं हूँ ।।
रखती हो मुझको, जुल्फों में छुपाकर।
 तुमसे नहीं, मुझको कोई  शिकायत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।

बहुत की है हमने, सँग सँग दुहायें।
 उम्रभर निभाने को, अपनी वफायें।।
खुशी ख्वाब है तू , मेरी जिंदगी की।
देता हूँ तुमको, बहुत मैं इज्जत।।
बहुत ही हसीन तू -------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक - एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
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 एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम  हो गए।
साथ कोई देता नहीं, बन्द सारे काम हो गए।।
एक इस आदत से --------------------------।।

उनसे क्यों नहीं शिकायत, बोलते हैं सदा जो झूठ।
कह दी बात दिल की नशे में, बदजुबां हम हो गए।।
एक इस आदत से ---------------------------।।

शौक यहाँ किसको नहीं है, हुस्न और मौजों का।
महफ़िल जो हमने सजाई है, परेशान सब हो गए।।
एक इस आदत से -----------------------------।।

फूल तो तोड़े हैं सबने, दिल में खुशबू भरने को।
हमने किसी से प्यार किया तो, शैतान हम हो गए।।
एक इस आदत से ------------------------------।।

रोकते उनको नहीं क्यों, बेचते हैं जो ईमान।
मांगा हमने इंसाफ तो, नाराज लोग हो गए।।
एक इस आदत से ---------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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Gurudeen Verma

शीर्षक- ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
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ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई।
अब तक हैं हम यहाँ अकेले, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे-----------------------।।

दीवाने थे हम मुखड़ों के, शौकीन हम थे हुस्नों के।
बदनाम थे महफ़िलों से, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे-----------------------।।

जुनून था हमको आसमां का, पंख बन्धे थे पैरों में।
अपनी जमीं से प्यार नहीं था, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे-----------------------।।

ख्वाब हमारे महलों के थे, रिश्तें हमारे दौलत से थे।
रिश्तों की कभी परवाह नहीं की, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे-----------------------।।

मानी नहीं हमने बात किसी की, कहते हैं जी.आज़ाद खुद को।
बीबी की कभी चाहत नहीं की, शादी हमारी नहीं हुई।।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे-----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा  उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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