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Himanshu kaushik

दहेज़ प्रथा वह सुन्दर और सुशील थी पवित्र और भोली भाली थी, माता पिता की प्यारी थी बढे नाजो से पाली थी, न

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दहेज़ प्रथा
वह सुन्दर और सुशील थी
पवित्र और भोली भाली थी,
                   माता पिता की प्यारी थी
                   बढे नाजो से पाली थी,
न

AwadheshPSRathore_7773

"आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी" जी भाजपा के पितृ पुरुष एवं संस्थापक है। आपने और राजमाता "विजयाराजे सिंधिया" ने पूरानी जनसंघ पार्टी का नामकरण करक

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AwadheshPSRathore_7773

स्मृति - "धुंधली यादें जो भुलाए नहीं भूली जाती" पूर्व PM श्रीअटल बिहारी वाजपेयी के भतीजी के पति श्री ओमप्रकाश जी मिश्रा (Retrd.ADM) अंकल जी #Poetry

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Ravendra

लाठी के सहारे जा रही बुर्ज़ुग महिला को देख गाड़ी से उतरी डीएम बहराइच ।विकास खण्ड चित्तौरा के ग्राम धरसवां में जल जीवन मिशन अन्तर्गत ग्राम की #न्यूज़

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JALAJ KUMAR RATHOUR

कहानियाँ और किस्से, पार्ट-२ विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने पता किया कि, उसका नाम #जलज

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कहानियाँ  और किस्से, 
पार्ट-२
विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने  पता किया कि, उसका नाम "सांझ"है । वो बंसल जी की नातिन है और बंसल जी व अपनी नानी के साथ रहती है।
वैसे मोहल्ले के प्रत्येक युवा में एक नई ऊर्जा आ गयी थी, सभी युवाओं ने सुबह सुबह टहलना शुरू कर दिया था ये संपूर्ण असर सांझ की वजह से था। वो थी ही इतनी आकर्षित कि लोग उसके दीवाने हो जाते थे। मैं भी उसके इन आशिको  में शामिल था । १जुलाई को मेरे स्कूल खुलने वाले थे। इसलिए नई किताबो और कॉपियों पर नेमप्लेट और कवर चढ़ाने के लिए मैं राजू पुस्तक भंडार की दुकान पर गया था। 
हमारे छोटे से शहर में किताबो और पुस्तको के लिए यही एक प्रसिद्ध दुकान थी। राजू भैया की इतनी बिक्री होती देख मेरे मन में कई बार इसी धंधे में जुड़ने का प्लान  आया पर वक्त से साथ सब धीरे-धीरे बदलता चला गया। १जुलाई के दिन आज नौवी क्लास में मेरा पहला दिन था। विज्ञान वर्ग में गणित का मिलना हमारे कॉलेज में जैकपॉट के लगने जैसा था और ये जैकपॉट मेरे हाथ भी लगा था।  के. के इंटर कॉलेज के रूम नंबर 9 में हमारे क्लासटीचर बैठे हुए थे। मेरे पास आये एक लड़के ने कान के पास फुसफुसाते हुए कहा "बडे खतरनाक है नागेंद्र सर मेरा भाई बता रहा था", उसने बताया की उसका भाई दसवी क्लास में है और पिछली साल नागेंद्र सर उसी के क्लासटीचर थे। गणित विषय के ज्ञाता और कविताओं के शौकीन है। नागेंद्र सर, मैं और मेरे साथ जो लड़का आया था इतेंद्र चौहान , ने सर से अपना नाम क्रमांक पंजिका में दर्ज करवाया और पंखे की नीचे वाली सीट पर बैठ गए।बाये तरफ लड़के और दाहिने तरफ लड़कियो के लिए जगह थी। समझ नही आता कि जब हम बराबरी की बात करते है,लड़के और लड़कियो में फिर उनके लिए जगह अलग अलग क्यूँ, क्या उन्हे हम एहसासे कराते है कि तुम लड़की हो,या हम उनके हिस्से पर भी अपना हक समझते है,तभी नागेंद्र सर ने कहा" आज मैं अटेंडेंस ले रहा हूँ कल से गणित शुरू करेंगे और सर ने बोलना शुरू किया, "रोल न. 1-पूजा, फिर रुककर बोले नाम सिर्फ आज ही बोल रहा हूँ आगे से सिर्फ रोल न. बोलूँगा........ रोल न. -9 खुशी...... रोल न. - 15 दीक्षा... रोल न. -18 आराध्या, रोल न. 19- साँझ , क्लास के दरवाजे से आवाज आयी "प्रेजेंट सर", सुबह के दस बजे थे उस वक्त इस वजह से सूरज की सीधी रोशनी दरवाजे से होते हुए मेरी आँखों, मेरे लक्ष्य देखने से बाधित कर रही थी। दरवाजे पर हाँफती और अपनी जुल्फो को कानो का रास्ता मुकम्मल कराती स्लेटी कलर के कुर्ते और सफेद दुपट्टे में वो बिल्कुल, दिन में सूर्य के कम प्रकाश में नजर आने वाले चाँद के समान लग रही थी,जिसे देखने के लिए सूर्य की रोशनी से तुमको लड़ना पड़ता है और सूर्य की रोशनी से मेरा लड़ना सफल भी हो गया था क्युकी ये सांझ, मेरी वाली ही सांझ थी , सर रोल न. बोलते जा रहे थे और सर ने रजिस्टर बन्द कर दिया, मैं सर के पास गया और बोला सर मेरा नाम नही बुला, उन्होंने नाम पूछा और बोला रोल न.20, सो रहे थे क्या जब में बोल रहा था। पहला घण्टा बजा और सर चले गए और छोड़ गए मेरा उपहास मेरा क्लास के सभी चेहरो पर, 
... #जलज राठौर कहानियाँ  और किस्से, 
पार्ट-२
विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने  पता किया कि, उसका नाम

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-92 कथाकार ने देखा, बिजली रानी के साथ ताऊ जी सीधे विशाल जी की तरफ बढ़े आ रहे हैं... ये आये... ये आ गये .. ये.. ये... और #प्रेरक

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पेज-92
यहाँ आज हर बहन भोजन के साथ बारात में आये आनंद की चर्चाओं में व्यस्त हैं... विशाल जी नौसाद साहब बड़े चाव से प्लेट पर डोसा लिये बतिया रहे हैं... सुमित भैया कॉफी का लुफ़्त लेते दिख रहे हैं जिनकी बगल में इरफान भाई मोबाईल पर विडिओ बना रहे हैं... यहाँ से यशपाल जी पूरी लेने को आते दिखते हैं... देवेश जी का भोजन लगभग हो चुका.. शायद अब वो मिष्ठान की ओर बढ़ रहे हैं.. जेपी साहब अभी धीरे धीरे हर व्यंजन का स्वाद लेने उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम चारों ओर भ्रमण पर हैं...
कहीं संदीप शब्बीर जी हिसाम साहब के साथ दही बल्ले तोड़ रहे हैं.. तो कहीं शर्मा जी अपने भावी विवाह की योजना इस आभासी विवाह को आधार मान,  गुणांक पर गुणांक करते जा रहे हैं और मीठे पर मीठा लिये जा रहे हैं..सुभ्रो जी अब्र जी के साथ हो लिये और आपस में कथाकार की त्रुटियों पर सूक्ष्म विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष की पहुंचना चाह रहे हैं मगर हाथों में रखी प्लेट और प्लेट में रखी जलेबियाँ उन्हें पहुंचने नहीं दे रहीं.. शुक्र है स्टॉल के बगल में ही खड़े हुये हैं वरना कितनी बार आना जाना पड़ता उन्हें... 
कथाकार को किसी के आने की आहट हुई..
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी
पेज-92
 कथाकार ने देखा,  बिजली रानी के साथ ताऊ जी सीधे विशाल जी की तरफ बढ़े आ रहे हैं... ये आये... ये आ गये .. ये.. ये... और
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