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amii
क्यों यूं रातें काले करती हो तुम्हें किसी ने कहा नही ये रातें खुद काली होती हैं ©amii Raat #NationalSimplicityDay Tarun Singh Geeta Devi Poonam Awasthi घेवर राम गुर्जर समाज Warish #shayri #Love #Life #Like #writer #wordporn
amii
इस शायद ! जैसे फुल में न जाने कितने महबूब अपनी महबूबा की हाँ ढूढ़ते है। ©amii शायद ! घेवर राम गुर्जर समाज Vishwakarma Jivendra Pal Warish Surbhi Sharma #story #Rose #shayri #शायरी #writer #writersofinstagram #wordpo
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो प्रिय कॉमरेड, आज जब बुआ जी का लाया घेवर (मिठाई,)खा रहा था। तो तुम्हारे साथ बीते वक़्त का संस्मरण मेरे नयनो में चित्रित होने लगा। मुझे आज भी याद वो दिन तुम टिफिन में मेरे लिए जब पहली बार अपने हाथो से बनाकर घेवर लायी थी। हाँ थोडी शक्कर कम थी उसमे,मगर जिस प्रेम भाव से तुम मेरे लिए उसे लायी थी। उसके लिए तो शक्कर भी फीकी पड़ जाए,तुम्हें पता है उस वक़्त की सबसे खूबसूरत बात क्या होती थी मेरे लिए, कि तुम अपनी हर खुशी का मुझे हिस्सा बनाती थी। वैसे मुझे पता है। हिस्से अधिकांशत : किसी के जीवन के किस्से मात्र बन कर रह जाते है। सावन के सोमवारो में तुम्हारा व्रत रहना, मुझे नही पता वजह क्या थी, पर हाँ माँ कहती थी कि सावन के सोमवारो का व्रत रखने से लड़कियों को अच्छे हमसफर मिलते है। मैं पूछ लेता था माँ से मजाकिया लहजे में कि "माँ क्या लड़को के रहने पर अच्छी पत्नियां मिलती है?, माँ मुस्कराकर कहती थी। "लड़के बस अच्छे बन जाए उतना ही ठीक है,मैं आज भी कोशिश करता हूँ अच्छा बनने की क्युकी मुझे उम्मीद है। कि एकदिन तुम जरूर मेरे जीवन का हिस्सा बनोगी। आज तुम्हारी और तुम्हारे हाथो के बने घेवर की बहुत याद आ रही है। कभी मौका मिले तो भेजना फ़िर से टिफिन में बंद कर घेवर को पर सुनो इस बार शक्कर कम मत डालना, मेरा पता तो तुम जानती ही हो.. ... #तुम्हारा दोस्त ...... #जलज कुमार #rakshabandhan सुनो प्रिय कॉमरेड, आज जब बुआ जी का लाया घेवर खा रहा था। तो तुम्हारे साथ बीते वक़्त का संस्मरण मेरे नयनो में चित्रित होने लगा
Anshula Thakur
त्यौहार तीज का ....... Three phases of the festival "please read in caption " Anshula Thakur💕 कुछ यूँ होते थे पहले के तीज त्यौहार अपने ही गीत गाया करते थे पेड़ों पर डलते थे झूले होंठों पर थे गीत बिन भूले पायल की छन-छन मेंहदी की ख
Prakhar Kushwaha 'Dear'
आप सभी को प्रखर कुशवाहा के नमस्कार! 🙏 लीजिए पेश-ए-ख़िदमत है "प्रेमातिरेक भाग-५" आप सभी ने मेरी इस श्रृंखला को बेहद प्यार दे सफ़ल बनाया है,, आप सभी का मैं दिल से आभारी हूँ,, बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का।। शायद श्रृंखला का यह अंतिम भाग हो। सभी भाग पढ़ने के इच्छुक, मुझे cmnt करके बता सकते हैं। मैं आपको tag कर दूंगा। 😊 पढ़ने से पहले मैं बताना चाहूँगा कि रचना पढ़ते वक्त शीर्षक "प्रेमातिरेक" को ध्यान में रखें ,, शीर्षक कवि की अपनी अमूर्त प्रेयशी के प्रति अगाध प्रेम को प्रदर्शित करता है। जिसके चलते कवि ख़ुद को तुच्छ और अपनी सखी को उच्च दर्जा प्रदान कर रहा है ना कि समस्त पुरुष जाति को महिला जाति से निम्न दिखाने का प्रयास कर रहा है। अगर प्रेयशी कवि के भावों से अवगत होगी तो तुच्छ और उच्च का कोई महत्व नहीं रह जाता,, रह जाता है तो सिर्फ़ "प्रेम"। बहुत बहुत धन्यवाद! 🙏 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 भाग - ५ मैं राजनीति सा बड़बोला, तुम संविधान की ख़ामोशी। मैं दल-बदलू एक नेता हूँ, तुम न्याय बांटती संतोषी।। मैं बेईमानी की रिश्वत हूँ,
Anita Saini
काली बदली गगन घिर आई अहा सावन संग बरखा आई। चुनरी हरी भरी धानी हो आई देख भूमि भी मंद मंद मुस्काई। बीता सावन राखी पूर्णिमा आई रंग बिरंगी राखी देखो बहना लाई। पक रहे पकवान घेवर और मिठाई जब बहना आई घर में ख़ुशियाँ छाई। हँसी ठिठोली में बचपन की कथा सुनाई कैसे बातों बातों में करते थे हम लड़ाई। अपनी मूर्खताओं की मिलकर हँसी उड़ाई पापा मम्मी कैसे भाई की पिटाई लगवाई। आज सोचा तो दुखा मन आँख भर आई दुआ है हर बहन का जरूर हो एक भाई। धागा प्रेम का पहनता है हर बहन से हर भाई अनपढ़ रहे पुरखों ने बहुत सुंदर परम्परा बनाई। काली बदली गगन घिर आई अहा सावन संग बरखा आई। चुनरी हरी भरी धानी हो आई देख भूमि भी मंद मंद मुस्काई। बीता सावन राखी पूर्णिमा आई रंग बिरंगी रा
N S Yadav GoldMine
बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, घर की बणी या चीज कोन्या। सारे त्योहार बाजारु होगे, ईब पहले आली तीज कोन्या। कोथली तो वा होवै थी जो म्हारे टैम पै आया करती। सारी चीज बणा कै घरनै मेरी मां भिजवाया करती। पांच सात सेर कोथली मैं, गुड़ की बणी सुहाली हो थी। गैल्या खांड के खुरमें हो थे, मट्ठी भी घर आली हो थी। सेर दो सेर जोवे हों थे, जो बैठ दोफारे तोड्या करती। पांच सात होती तीळ कोथली मैं, जो बेटी खातर जोड़्या करती। एक बढिया तील सासू की, सूट ननद का आया करता। मां बांध्या करती कोथली, मेरा भाई लेकै आया करता। हम ननद भाभी झूल्या करती, झूल घाल कै साम्मण की। घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी, लहर उठै थी दाम्मण की। डोलै डोलै आवै था, भाई देख कै भाज्जी जाया करती। बोझ होवै था कोथली मैं, छोटी ननदी लिवाया करती। बैठ साळ मैं सासू मेरी, कोथली नैं खोल्या करती। बोझ कितना सै कोथली मैं, आंख्या ए आंख्या मैं तोल्या करती। फेर पीहर की बणी वे सुहाली, सारी गाल मैं बाट्या करती। सारी राज्जी होकै खावैं थी, कोए भी ना नाट्या करती। कोथली तो ईब भी आवै सै, गैल्या घेवर और मिठाई। पर मां के हाथ की कोथली सी, मिठास बेबे कितै ना पाई। सावन की कोथली और तीज की बधाई।🌳🌴🌳🌴🙏🙏 N S Yadav GoldMine 🌹🌹🙏🙏🌹🌹 ©N S Yadav GoldMine #DiyaSalaai बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी
पण्डित राहुल पाण्डेय
ध्यान देना 🚩🙏 कितनी शर्म की बात है हम लोगों के लिए हम दूसरों को सद्भावना देते देते अपना सब कुछ भूल बैठे और आजकल हमारे बच्चे यह तो इनको हम लोग बैकवर्ड लगते हैं यह मॉर्डन होते जा रहे हैं नंगापन फैशन हो गया है*हम सभी के लिये सोचने वाला तथ्य -* पेठा , बेसन के लड्डू , गाजर का हलवा , रसगुल्ला , गुलाब जामुन , जलेबी, कलाकंद, खोपरा पाक , खीर , नानखटाई , 100 तरह के पेडे , काजू कतली , रसमलाई , सोहन हलवा , बूंदी , बरफी , 50 तरह के श्रीखंड , पूरण पोली , आम रस , दुधि हलवा , गोल पापड़ी , मोहन थाल , सक्कर पारा, तिलगुड़ के लड्डू , बेसन के लड्डू, मुम्बई आइस हलवा , चीकू बर्फी, चूरमा लड्डू, घुघरा, हलवा, खजूर पाक, मगज पाक, रेवडी, घेवर वगैरह वगैरह जैसी हज़ारों शुध्द मीठी चीजें जिस देश के लोग बनाना और खाना जानते हों , उस देश में चॉकलेट दिवस मनाना और कुछ मीठा हो जाये कह के करोडों की चॉकलेट बेच के विदेशी कम्पनियों का हमारा करोडों रूपया लूट लेना ये दर्शाता है कि........ हम सब को यह सिखाया जा रहा है कि मिठाई खाने से शुगर हो जाती है यह चॉकलेट खाने से कुछ नहीं होता कोई बीमारी तो उसको खाने से भी होती होगी 👆!हमारा कितना बौद्धिक और नैतिक पतन हो गया है..और हम कितना नीचे गिर गए हैं...... !! अरे हमारे देश में रोज मीठे का डे होता है ठाकुर जी का भोग लगाओ और सारे घर को खिलाओ और हम आजकल फैशन के चक्कर में सब कुछ भूलतेजा रहे हैं ध्यान देना बुरा लगे तो लगना भी चाहिए इसलिए तो कहा है मैंने🙏🙏जय जय श्री राधे 🙏🙏☺️🚩 ©पण्डित राहुल पाण्डेय ध्यान देना 🚩🙏 कितनी शर्म की बात है हम लोगों के लिए हम दूसरों को सद्भावना देते देते अपना सब कुछ भूल बैठे और आजकल हमारे बच्चे यह तो इनको हम लो