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Saurav K. Jha
आफ़ताब- सूर्य शादाब- हरा-भरा मेहताब- चाँद शिनाख़्त- छानबीन हुस्न-ओ-शबाब- खुबसूरती और जवानी #गज़ल
kumaarkikalamse
ग़फ़्लतज़द हैं वो हंसी से मेरी कि चैन औ सुकूँ में है 'कुमार', ख़्वाहिशे तफ़्तीश हो तो देखे हम चश्म-ए-नम में रहते हैं। Theme :Jai Kumaar Edited by : Bhawana Awasthi #YQBaba #Kumaarsthought #kumaarsher #yqbhaijaan #उर्दूशे'र ग़फ़्लतज़द- अंजान (जो जानता नहीं) तफ़्तीश - (छानबीन) चश्म-ए-नम - (नम आँखे, गील
Sarita Shreyasi
जब तथ्यों के साथ चलते हो, जुबान से जज्बात तौलते हो, सच सिद्ध नहीं करता स्वयं को, शोर में सिमट कर चुप रह जाता है। घटनाओं की छानबीन में, तथ्यों के बीच से,कई बार सत्य फिसल ही जाता है। जब तथ्यों के साथ चलते हो, जुबान से जज्बात तौलते हो, सच सिद्ध नहीं करता स्वयं को, शोर में सिमट कर चुप रह जाता है। घटनाओं की छानबीन में, तथ्य
🇮🇳always_smile11_15
/कद्र/ (अनुशीर्षक पढ़े)......✍️🕊️🖤 always🌸smile ©🇮🇳always_smile11_15 /कद्र/ मुझ जैसे की कद्र नही पर अफ़सोस तो होगा जब अपनो में रह के भी अकेले होने का एहसास होगा जिंदगी और जिंदा होना कुछ खास नही होगा
Ravendra
Ravendra
Dr Upama Singh
इज्ज़त कहानी बात कुछ दिन पहले की ही है। हमारे शहर के एक तरफ़ गोंड जाति के लोग रहते हैं। उस बस्ती से एक परिवार कॉलोनी में काम करने आता था। उस परिवार में प
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक
kunwar KhuShwant🇮🇳
who are they ? do they still live here? friste or devta or alians ?? नोटः- यह कहानी लोक कथाओं से प्रेरित है जिसमे मेरे द्वारा कोई मनघड़ंत किरदार नहीं है और नहीं मेरा उद्देश्य अफवाह और अन्धविश्वास को फैलाना है !