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The Urban Rishi
हाँ मैने हत्या की है, एक कवि की, हम सबने की है हत्याएं, किसी लेखक, खिलाड़ी, अभिनेता की, अपने अंदर जाओ और पूछो, खुद से, क्या तुम वही हो जो बनना चाहते थे, या मार डाला तुमने, अपने सपनें को, इस दो रोटी की लड़ाई में। ©The Urban Rishi हाँ मैने हत्या की है, एक कवि की, हम सबने की है हत्याएं, किसी लेखक, खिलाड़ी, अभिनेता की, अपने अंदर जाओ और पूछो, खुद से, क्या तुम वही हो जो बनन
Pankaj Singh Chawla
निक्की जेहि कूड़ी (👇अनुशीर्षक पढ़े👇) परम की कहानी (भाग-4) जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है, यह सिर्फ लेखक की कल्पना मात्र है, यदि इस कहानी का कोई पहलू किसी से मेल खाता है तो व
Mr_Anshu_Agrawal
आजमाती है ये दुनिया आजमाने दो....!!! वो जा रही है जाने दो...!!! #जाओ जाओ
Sonu Rajvanshi
तेरा जाना नाही चुभता पर तुम जाना तो हमेशा हमेशा के लिए ©Sonu Rajvanshi जाओ चले जाओ
Anukaran
मेरे अंदर भी थी नादानियां, नटखटपन ज़नाब! लेकिन समय ने वक़्त से पहले जिम्मेदारी डोर थमा दी। ©Anukaran #अंदर
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
मस्ज़िद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह उसका दिल टूटा,गरीब नवाज रूठा, किसी गरीब पे न ढाओ जुल्म बेइंतहा किसी गरीब का दिल दुःखाने पे तुम्हे, खुदा कर देगा हमेशा के लिये तबाह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह सदा अपने हिस्से का करो कुछ दान, रब देगा तुम्हे यहां बहुत ज्यादा मान, वो रब भी करेगा तुम्हारी तारीफ वाह न रखो यहां तुम किसी शख्स से डाह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह मरने के बाद क्या?,जीते जी ही ख़ुदा, कहीं बना न दे तुम्हारी,यहां क़ब्रगाह जो ज़माने में रखते हृदय काले स्याह खुदा नही करता कभी उनकी परवाह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह भ्रम में जीते और गुनाह करते अथाह खुदा न देता,संभलने का कोई मौका अंत मे खाते कर्मो की लाठी वो आह मस्जिद जाओ या तुम जाओ दरगाह किसी गरीब के दिल की मत लो आह खुद को अमीरी में जो बड़ा मानते है लोगों को पैसे-मद में कुछ न जानते है चँद पैसों से खुद को शहंशाह मानते है पैसों को खुदा से भी ऊपर मानते है जब पड़ती अमीरी पे लाठी खुदा की, रोते-चीखते है,माफ कर दे अल्लाह अब न किसी मजलूम को सतायेंगे, हर आदमी में तेरा ही अक्स पाएंगे, तू है,मौला रहम करनेवाला अल्लाह जाता नही कोई सवाली खाली हाथ जिसने जो सोचा उसे देता तू वो राह लोग न छोड़ते गुनाहों की सरल राह अंत मे जलते है,वो दोज़ख की आग पर जो नेकी के करते कर्म लाजवाब, खुदा जन्नत क्या,दिल में देता जगाह अहंकार छोड़ो,खुदा से नाता जोड़ो, वो खुदा ही जलायेगा तेरी बुझी समां दिल से विजय मस्जिद जाओ या जाओ दरगाह