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Parasram Arora
सह लूँगा हर गम मौन रह क़र......पी लूँगा गम का हर कतरा सागर बन क़र .....दग्ध हुए आकुल मन पर बरस जाऊँगा बादल बन क़र .......वक्त के थपेड़ो से निर्मित हर हताशा को दे दूंगा संबल आकाश बन क़र....... संबल ....
Brandavan Bairagi "krishna"
।। संबल ।। देना मुझे संबल ऐ मेरे परमात्मा। तेरे सिवा कोई नहीं दिखता मुझे। चारों तरफ तेरी ही लीला का विस्तार है। तू ही निराकार तू ही साकार है। दीन-दुखियों की करता है सहायता। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।संबल।। #Hope
Rajesh rajak
ये अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया, मां ने आंखें खोल दी घर में उजाला हो गया। गुड मॉर्निंग, शुभ प्रभात, मातृ दिवस पर सभी माओं को नमन। एक संबल,मां,।
Santosh Sinha
रूबरू मिलोगे तो कायल हो जाओगे दूर से हम ज़रा मगरूर ही दिखाई पड़ते हैं दिल संबल जा जरा ...
Sachin Ratnaparkhe
ग़ज़ल-ए-सियासत यहां कुछ भी अटल नहीं होता सियासत में, हर गुल हमेशा कंवल नहीं होता सियासत में। पैर कहां टिके है तुम्हे ही नहीं पता है क्युकी, आसमां या फिर भूतल नहीं होता सियासत में। भूख-आे-प्यास की शिकायतें बेकार है यहां, कोई दाना या जल नहीं होता सियासत में। नस्ल-ओ-वतन-परस्ती तो महज जुमला ही है, कभी खुदगर्ज से छल नहीं होता सियासत में। यह धंधा ही तो है पागल बनाने का सबको, मगर हर कोई पागल नहीं होता सियासत में। यहां बाते होती है मुनाफा आे वक्त देखकर, जो आज है वो कल नहीं होता सियासत में। यहां रखो कदम गर तो खुद के दम पर रखो, कोई साथ या संबल नहीं होता सियासत में। सियासत का दूसरा नाम दलदल भी है राही, खुदके सिवा कोई दल नहीं होता सियासत में। #ग़ज़ल_ए_सियासत #अटल #कंवल #नस्ल_ओ_वतनपरस्ती #खुदगर्ज #संबल #दलदल
Gajendra Prasad Saini
आज सब बदल गया... कुछ क्षण वो मचल गया, जब लगी उसको ठोकर, फिर गिरकर खुद संबल गया, आज सब बदल गया... "आज सब बदल गया गिरकर वो खुद संबल गया..
Pratibha Dwivedi urf muskan
*संबल* इंसान कहाँ जीता है इंसान में इरादे जिया करते हैं जोखिम वही उठाते हैं जो इतिहास रचा करते हैं गिरता है कोई शख्स तो गिरा हरगिज ना समझना गिरते हैं वही लोग जो उड़ानअर्श की भरा करते हैं जिंदगी की जद्दोजहद में होता है ये अक्सर ,,, मात खाते हैं वही लोग जो पैनी नजर रखते हैं । है अक्ल वालों की ये दुनियाँ दिल से ना काम लेना दिल की लगी मैं अक्सर लोग हरपल मरा करते हैं है मुस्कान का दावा हो कैसी भी अड़चन ,,, पार लगते हैं वही लोग जो ग़लत काम नहीं करते हैं हो ऊपरवाले पे भरोसा और आत्मा का बल भी,, यकीनन चमकती है शख्सियत गर थोड़ा भी हुनर रखते हैं । लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश ( 17 अप्रैल 2022 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan #संबल #जोखिम #हौसला #मोटिवेशनल POOJA UDESHI ParulRastogi Ruchi Rathore kanishka Poonita Sharma
Harsh Beri
संबल के चला करो #साहब। हर तरफ #गिरी हुई सोच है लोगो की।। संबल के चला करो #साहब। हर तरफ #गिरी हुई सोच है लोगो की।। #मुसाफिर।।