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Deepak Vashisth
जीवन का आधार है ,प्रकृति पर्यावरण का निर्माण है प्रकृति ,आओ मिलकर पेड़ लगाएं तभी हमारा जीवन बचाएगी प्रकृति, हमारी हर सांस का एहसान है प्रकृति ©Deepak Vashisth पर्यावरण और प्रकृति से हमारा रिश्ता #पर्यावरण #MothersDay2021 #प्रकृति
Aakash Dwivedi
अलंक अलम नहीं हुआ, हुआ न अन्त रुप का। सज रही है सृष्टि देख, वसुंधरा इस भूप का।। हरा भरा है घर तेरा, खिली रहे तू हर मौसम। खुशहाली देती छांव तेरी, वही प्रेम रहे धूप का।।2 Aakash Dwivedi ✍️ ©Aakash Dwivedi #कविता #विचार #प्रकृति #पर्यावरण #WorldEnvironmentDay #shayri #Nojoto
Ram Yadav
ये लंबे चौड़ें हाईवे,,,,,, कितनी जानों की कीमत पर बनते और चलते होंगे???? भूख प्यास से भटकती अनगिनत जिन्दगियां दम तोड़ देती होंगी, कभी रफ्तार से टकरा कर..... कभी मीलों सूखी-तपती-जलती सड़कों पर चल कर।।।।।। इंसानों के अलावा और भी बहुत से लोग, सांसे लेते हैं, पानी पीते हैं...... कौन सोंचेगा 🥹😭 हरि ॐ www.theforestrevolution.blogspot.com ©Ram Yadav #प्रकृति #पर्यावरण #अध्यात्म
Geetkar Niraj
SoniSs
प्रकृति के नजारे बहुत खुबसूरत होते हैं, उन्हें संजो कर रखना चाहिए, हमने तो बस खुद को संवारा है, प्रकृति ने तो हमें बनाया है, अब हमारी बारी है प्रकृति को कुछ देने की, क्यो न हम उसे सुकुन दे ,जो हमने उसे उजाड़ा है, तो हम ही उसे संवार दे, कुदरत का दिया ये वो धन है, जो जितना ज्यादा रहें फिर भी कम है, हमारी हर एक सांस पे उसका एहसान है, प्रकृति है तो हम भी धनवान है. #soni ©SoniSs # प्रकृति# पर्यावरण संरक्षण #droplets
Anupam Mishra
दो मुट्ठी जमीन की गरज है मेरे नन्हे बीज को, सूरज से तपकर, कुछ बूंद जल से सींच कर, फुट पड़ता है उसमें छिप कर बैठा छोटा सा प्राण, चंद पत्तियों के संग झांकता वो मिट्टी से बाहर आकर, फिर तो बढ़ता ही जाता अपने भीतर उम्मीद जगाकर, दिन ब दिन कोमलता को छोड़ प्रकृति के साथ जूझकर कठोर, व्यापक व विशाल बनता जाता, भीतर व बाहर, लहलहाता,जमीन के भीतर अपनी नींव का विस्तार कर, किसी टहनी में होते फूल रंग बिरंगे, कहीं फल हजार, पत्तियां हिला हिला कर जैसे वो बिखेरता अपना प्यार, चींटी, मधु मक्खी, सांप, और न जाने कितनों का संसार, कई छोटे बड़े चिड़ियों का बसाता यही घर परिवार, अपनी सांसों से प्रकृति को करता शुद्ध निरन्तर, बरखा रानी आती धरती पर, इसके ही पुकार पर, फिर क्यूं न इसके साथ चले समय के हर मोर पर, हम मानवों को तो चाहिए दो गज़ की जमी मरने पर, जीने के लिए उजाड़ते ना जाने कितनी जानों का घर, फिर भी मानव विस्तार के लिए छोड़ते नहीं कोई कसर, क्यों न प्रकृति विस्तार को लगाएं पेड़ हर डगर पर। © अनुपम मिश्र #WorldEnvironmentDay #पर्यावरण #प्रकृति #पेड़ #वृक्ष
Ram Yadav
मैं क्या हूं मैं कितना हूं मैं उतना हूं मैं जितना हूं।।।। तुम्हारी सोंच जहां तक। मैं उससे आगे वहां तक🙏🏻 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻हे कैलाश🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 😌मां पृथ्वी😌 ©Ram Yadav #MountainPeak #अध्यात्म #प्रकृति #भारत #पर्यावरण