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अविनाश कुमार
जब भी कोई शख़्स डूबा होता है प्रेम के अनंत गहराइयों में, उसकी निगाहें ढूँढ लेती हैं वो सब कुछ जो छूट जाता है आम नज़रों से.... ( अनुशीर्षक में पढ़ें ) ॥ प्रेम में डूबी निगाहें ॥ . जब भी कोई शख़्स डूबा होता है प्रेम के अनंत गहराइयों में, उसकी निगाहें ढूँढ लेती हैं वो सब कुछ जो छूट जाता है आ
Prakhar Tiwari
मुझे यह सब तुम्हारे साथ चाहिए रात की चांदनी के चादरों के नीचे धुंध भरी सुबह; ऊपर चमकते सितारों की कम्बल युवा, सुंदर और मूर्खों की तरह एक साथ नाचते हुए हम, पर शरमाते हुए,शुभ रात्रि बोल के उलझे हुए हाथ और पैर बीयर से लथपथ रातें अंधेरे में लड़खड़ा रही हैं रात, एक-दूसरे को कस कर पकड़ रही हैं रात, शहर के बीचों-बीच सड़क के कोने पर, बिजली के खंभे की गर्म चमक के नीचे अनाड़ी ढंग से चूम रही हैं रात । मैं चाहता हूं कि हम विश्वास की छलांग लगाएं उस बागुले के जोड़े की तरह एक अनोखी पहचान के साथ ओर, आपसी पागलपन में खोना चाहत हूं, अच्छा सुनो साथ दोगे तो हमारी छलांग खूब ऊंची होगी (एक आपसी पागलपन जिसे हम प्यार कहते हैं) k.st ©Prakhar Tiwari मुझे यह सब तुम्हारे साथ चाहिए रात की चांदनी के चादरों के नीचे धुंध भरी सुबह; ऊपर चमकते सितारों की कम्बल युवा, सुंदर और मूर्खों की तरह एक
Shree
... रखी बचा प्रतीक्षा की बैचैनी कभी रंजनीगंधा गुंथ सुगन्ध कभी किरणों पर सोने चढ़ी कभी नीम सी गले अटकी शहद सम मिठी स्मृति बनी... इत उत पल पल अब तब हुई बस एक मिलन की होड़ लगी। श्रृंगार सोलह कर लो केश कुंतल संवार लो काजल की धार पहन कानों में पड़ी बालियां उसमें झूलती झुनकियां! होठों पर पराग सी लाली परिमल बन मन सुं
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# हरियाली खेती की। ये तो बहुत बार देखे है खेत मैने दिल मोह लेते है ये सीढ़ी नुमा खेत । उत्तरांचल के गोद में छिपे ये खेल खिल्लखिलाते लहराते मन में उमंगे दौरा देते है। मन सा करता है बस इन सीढ़ी यो से उतर उतर कर पहुंच जायो गंगा की गोद में। सामा जाते दिल में मेरे वो चेहचहाते पक्षीयो की मीठी बातें मानो बोल रहे हो बड़े दिन में आए हो। खूबसूरत वादियों के बीचों बीच ये सीढ़ी नुमा खेत आवाजे लगते अपने रास्ते बनाते दूसरो को रास्ते दिखते सुंदरता फैलाए लेहरारा रहे है। किरणों की चकाचौंध रोशनी भिखेरे सुंरज की वो सुनहरी कितने मानो सोना भीखेर रही हो। गंगा के धारा भेहती जा रही है मानो चांदी पिघला रही हो।। गाले लगती ये कानो में गुदगुदाती छू कर चली जाते यू पवन के झैके मन में नई उमंगे जागा रहे है। वो भीनी भीनि सी खुशबू वो ओस को बूंदे दिल को लुभा रही है मानो मोती बी खेर दिए हो वादियों में। आंखो को ठंडक देते बहुत खूबसूरत एहसास शांत कोमलता मन में बसेरा कर रहा है।।बस यही यही का होने का मन कर रहा है।।। #प्यार #खूबसूरत #पहाड़ी_वादियों_फ़िजाओं_झील #यादें #yqdidi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# हरियाली खेती की। ये तो बहुत बार देखे
xyz
करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार, करते हो न जाने कितने अत्याचार। बहु, बेटी, माँ और बहन... करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार। ओ इंसान के वेश में भेडियों, अपनी हवस मिटाने को... बनाते हो मासूमों को शिकार, क्यों करते हो उनका बलात्कार? करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार, करते हो न जाने कितने अत्याचार। बहु, बेटी, माँ और बहन... करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार। ओ इंसान के वेश में भे
Shree
छोटी सी बात किसी शहर की भीड़भाड़ के बीचों-बीच बैठकर जरा सुकून मिले किसी के सानिध्य में…. तो क्या बात हो..! इसी सुकून की भागम भाग में तो जीवन भर हलचल मची
Divyanshu Pathak
आज हमारा सिर शर्म से झुक गया है! हमारी संवैधानिक एजेंसियां अपने यहां की जन समस्याओं, विशेषकर कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार , बलात्कार आदि से कारगर ढंग से निपट नहीं पाई। यह भी कह सकते हैं कि नाकारा साबित हो गईं। पुलिस, न्यायपालिका, लोकायुक्त, राज्य मानव अधिकार आयोग जैसे भारी-भरकम स्तम्भ जाने-अनजाने कारणों से चरमराते जान पड़ रहे हैं। मेरा तो आजकल कुछ भी लिखने का मन ही नहीं कर रहा! अखबारों में पढ़कर या सोसल साइट्स ,या मीडिया में बलात्कार ही बलात्कार का हाहाकार मचा है । जैसे
Kavita
गांव अब गांव नहीं रहा कच्चे घरों की जगह अब ईट की दीवारें है गली के नुक्कड़ पर अब वो चाय भी नहीं मिलती चांद भी कुछ उदास सा रहता है कुछ पूछूं उससे तो बादलों में छुप जाता है गली की जो रौनक हुआ करती थीं वो दादी भी अब चल बसी है गली अब सूनी सी रहती है सांझ ढले बाद वो कोताहुल भी अब सुनाई नहीं देता बच्चे समय से पहले ही बड़े हो गए हैं मानो समय ने उनका बचपन छीन थमा दी हो आजीविका भारी चौपाल पर अब वो नीम का बूढ़ा पेड़ भी नहीं है राह चलते वक्त पैरों से गांव की धूल भी नहीं लगती गांव के दोनों कुएं अब सूख गए हैं लेकिन हां हां गांव के पानी का स्वाद आज भी वही है चौपाल पर बाबा अब अकेले बैठे रहते हैं गांव में अब वो एकता भी नहीं है पर मन्दिर के पुजारी नहीं बदले नीची जाति के लोगों का आना मन्दिर में आज भी वर्जित है लोगों ने छतों पर सोना बंद कर दिया है शायद इसीलिए चांद रूठा है उन से तारों ने तो गांव आना ही बन्द कर दिया खेत भी अब ज़्यादा नहीं हसते हैं खेत के बीचों बीच खड़ा वो जामुन का पेड़ उसने ना जाने कितने मौसम बदलते देखे हैं पर मौसम के बदल जाने से भी ज़्यादा उदास करता है गांव का बदल जाना हां यह गांव अब गांव नहीं रहा जिस सुकून की तलाश में आए थे वो गांव का सुकून नहीं रहा सच गांव अब गांव नहीं रहा ! ! गांव अब गांव नहीं रहा कच्चे घरों की जगह अब ईट की दीवारें है गली के नुक्कड़ पर अब वो चाय भी नहीं मिलती चांद भी कुछ उदास सा रहता है कुछ पूछूं
N S Yadav GoldMine
सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं इस मंदिर के बारे में जानिए !! 🔯🔯 {Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर :- 🌷 गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में विराजने वाले कष्टभंजन हनुमान यहां महाराजाधिराज के नाम से राज करते हैं। वे सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। कहते हैं कि बजरंगबली के इस दर पर आकर भक्तों का हर दुख, उनकी हर तकलीफ का इलाज हो जाता है। फिर चाहे बात बुरी नजर की हो या शनि के प्रकोप से मुक्ति की गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में विराजने वाले कष्टभंजन हनुमान यहां महाराजाधिराज के नाम से राज करते हैं। वे सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। कहते हैं कि बजरंग बली के इस दर पर आकर भक्तों का हर दुख, उनकी हर तकलीफ का इलाज हो जाता है। फिर चाहे बात बुरी नजर की हो या शनि के प्रकोप से मुक्ति की। 🌷 हनुमान ने अपने बाल रूप में ही सूर्यदेव को निगल लिया था। उन्होंने राक्षसों का वध किया और लक्ष्मण के प्राणदाता भी बने। बजरंग बली ने समय-समय पर देवताओं को अनेक संकटों से निकाला। पवनपुत्र आज भी अपने इस धाम में भक्तों के कष्ट हर लेते हैं, इसलिए उन्हें कष्टभंजन हनुमान कहते हैं। हनुमान के इस इस दर पर आते ही हर कष्ट दूर हो जाता है। यहां आकर हर मनोकामना पूरी होती है। विशाल और भव्य किले की तरह बने एक भवन के बीचों-बीच कष्टभंजन का अतिसुंदर और चमत्कारी मंदिर है। केसरीनंदन के भव्य मंदिरों में से एक कष्टभंजन हनुमान मंदिर भी है। गुजरात में अहमदाबाद से भावनगर की ओर जाते हुए करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर कष्टभंजन हनुमान का यह दिव्य धाम है। 🌷 किसी राज दरबार की तरह सजे इस सुंदर मंदिर के विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोना और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर हनुमान विराजते हैं। उनके शीश पर हीरे जवाहरात का मुकुट है और पास ही एक सोने की गदा भी रखी है। संकटमोचन के चारों ओर प्रिय वानरों की सेना दिखती है और उनके पैरों शनिदेवजी महाराज हैं, जो संकटमोचन के इस रूप को खास बना देते हैं। बजरंग बली के इस रूप में भक्तों की अटूट आस्था है और वे यहां दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं। मान्यता है कि पवनपुत्र का स्वर्ण आभूषणों से लदा हुआ ऐसा भव्य और दुर्लभ रूप कहीं और देखने को नहीं मिलता है। हनुमत लला की ये प्रतिमा अत्यंत प्राचीन है, तो इस रूप में अंजनिपुत्र की शक्ति सबसे निराली। दो बार है आरती का विधान :- 🌷 कष्टभजंन हनुमान के इस मंदिर में दो बार आरती का विधान है, पहली आरती सुबह 5.30 बजे होती है। आरती से पहले पवनपुत्र का रात्रि श्रृंगार उतारा जाता है फिर नए वस्त्र पहनाकर स्वर्ण आभूषणों से उनका भव्य श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद वेद मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ के बीच संपन्न होती है हनुमान लला की यह आरती। बजरंग बली के इस मंदिर में वैसे तो रोजाना ही भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां लाखों भक्त आते हैं। नारियल, पुष्प और मिठाई का प्रसाद केसरीनंदन को भेंट कर प्रार्थना करते हैं। 🌷 कुछ भक्त तो मात्र शनि प्रकोपों से मुक्ति के लिए यहां आते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि वो तो शनिदेव से डरते हैं लेकिन शनि देव अगर किसी से डरते हैं तो वे हैं स्वयं संकटमोचन हनुमान।कष्टभजंन हनुमान की मंगलवार और शनिवार को विशेष आराधना होती है। भक्त अपने कष्टों और बुरी नजर के दोषों को दूर करने की कामना लेकर यहां आते हैं और मंदिर के पुजारी से बजरंग बली की पूजा करवाकर कष्टों से मुक्ति पाते हैं। क्या है इस धाम की विशेषता :- 🌷 बजरंग बली के इस धाम को उनके अन्य मंदिरों से अलग विशेष स्थान दिलाती है उनके पैरों में विराजमान शनि की मूर्ति। क्योंकि यहां शनि बजरंग बली के चरणों में स्त्री रूप में दर्शन देते हैं। तभी तो जो भक्त शनि प्रकोपों से परेशान होते हैं वे यहां आकर नारियल चढ़ाकर समस्त चिंताओं से मुक्ति पा जाते हैं। 🌷 आप जानना चाहते होंगे कि आखिर शनिदेव को क्यों लेना पड़ा स्त्री रूप और वो क्यों हैं बजरंग बली के चरणों में। कहते हैं करीब 200 साल पहले भगवान स्वामी नारायण इस स्थान पर सत्संग कर रहे थे। स्वामी बजरंग बली की भक्ति में इतने लीन हो गए कि उन्हें हनुमान के उस दिव्य रूप के दर्शन हुए जो इस मंदिर के निर्माण की वजह बना। बाद में स्वामी नारायण के भक्त गोपालानंद स्वामी ने यहां इस सुंदर प्रतिमा की स्थापना की। 🌷 कहा जाता है कि एक समय था जब शनिदेव का पूरे राज्य पर आतंक था, लोग शनिदेव के अत्याचार से त्रस्त थे। आखिरकार भक्तों ने अपनी फरियाद बजरंग बली के दरबार में लगाई। भक्तों की बातें सुनकर हनुमान जी शनिदेव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गए। अब शनिदेव के पास जान बचाने का आखिरी विकल्प बाकी था सो उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया। क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और वो किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठायेंगे। ऐसा ही हुआ, पवनपुत्र ने शनिदेव को मारने से इनकार कर दिया। लेकिन भगवान राम ने उन्हें आदेश दिया, फिर हनुमानजी ने स्त्री स्वरूप शनिदेव को अपने पैरों तले कुचल दिया और भक्तों को शनिदेव के अत्याचार से मुक्त किया। 🌷 मान्यता है बजरंग बली के इसी रूप ने शनि के प्रकोप से मुक्त किया। इसिलिए यहां की गई पूजा से शनि के समस्त प्रकोप तत्काल दूर हो जाते हैं, तभी तो दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और शनि की दशा से मुक्ति पाते हैं। क्योंकि भक्तों का ऐसा विश्वास है कि केसरीनंदन के इस रूप में 33 कोटि देवी देवताओं की शक्ति समाहित है। इस हनुमान मंदिर के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। क्योंकि यहां भक्तों को बजरंग बली के साथ शनि देव का आशीर्वाद भी मिल जाता है। कहते हैं यहां अगर कोई भक्त नारियल चढ़ाकर अपनी कामना बोल दे तो उसकी झोली कभी खाली नहीं रहती। शनि दशा से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही संकटमोचन का रक्षा कवच भी मिल जाता है। ©N S Yadav GoldMine #boat सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं इस मंदिर के बारे में जानिए !! 🔯🔯 {Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कष्टभं