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Yash Gupta

कविता सागर के बीचों बीच

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अविनाश कुमार

॥ प्रेम में डूबी निगाहें ॥ . जब भी कोई शख़्स डूबा होता है प्रेम के अनंत गहराइयों में, उसकी निगाहें ढूँढ लेती हैं वो सब कुछ जो छूट जाता है आ #Hindi #yqbaba #इश्क़ #yqdidi #1909avinash

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जब भी कोई शख़्स 
डूबा होता है प्रेम के
अनंत गहराइयों में,
उसकी निगाहें ढूँढ लेती हैं
वो सब कुछ 
जो छूट जाता है
आम नज़रों से....

( अनुशीर्षक में पढ़ें ) ॥ प्रेम में डूबी निगाहें ॥
.
जब भी कोई शख़्स 
डूबा होता है प्रेम के
अनंत गहराइयों में,
उसकी निगाहें ढूँढ लेती हैं
वो सब कुछ जो छूट जाता है
आ

Prakhar Tiwari

मुझे यह सब तुम्हारे साथ चाहिए रात की चांदनी के चादरों के नीचे धुंध भरी सुबह; ऊपर चमकते सितारों की कम्बल युवा, सुंदर और मूर्खों की तरह एक #लव

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मुझे यह सब तुम्हारे साथ चाहिए 
रात की चांदनी के चादरों के नीचे धुंध भरी सुबह;

ऊपर चमकते सितारों की कम्बल 

युवा, सुंदर और मूर्खों की तरह एक साथ
 नाचते  हुए हम, पर शरमाते हुए,शुभ रात्रि बोल के
उलझे हुए हाथ और पैर 

बीयर से लथपथ रातें अंधेरे में लड़खड़ा रही हैं रात, 
एक-दूसरे को कस कर पकड़ रही हैं रात, 
शहर के बीचों-बीच सड़क के कोने पर,
 बिजली के खंभे की गर्म चमक के नीचे अनाड़ी ढंग से चूम रही हैं रात । 
मैं चाहता हूं कि हम विश्वास की छलांग लगाएं

उस बागुले के जोड़े की तरह एक अनोखी पहचान के साथ ओर,
 आपसी पागलपन में खोना चाहत हूं, अच्छा सुनो साथ दोगे तो हमारी छलांग खूब ऊंची होगी 

(एक आपसी पागलपन जिसे हम प्यार कहते हैं)

k.st

©Prakhar Tiwari मुझे यह सब तुम्हारे साथ चाहिए 
रात की चांदनी के चादरों के नीचे धुंध भरी सुबह;

ऊपर चमकते सितारों की कम्बल 

युवा, सुंदर और मूर्खों की तरह एक

Shree

श्रृंगार सोलह कर लो केश कुंतल संवार लो काजल की धार पहन कानों में पड़ी बालियां उसमें झूलती झुनकियां! होठों पर पराग सी लाली परिमल बन मन सुं #a_journey_of_thoughts #तुम्हारा_मन_मेरी_समझ

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...
रखी बचा प्रतीक्षा की बैचैनी
कभी रंजनीगंधा गुंथ सुगन्ध
कभी किरणों पर सोने चढ़ी
कभी नीम सी गले अटकी
शहद सम मिठी स्मृति बनी...

इत उत पल पल अब तब हुई
बस एक मिलन की होड़ लगी।  श्रृंगार सोलह कर लो
केश कुंतल संवार लो
काजल की धार पहन 
कानों में पड़ी बालियां
उसमें झूलती झुनकियां!

होठों पर पराग सी लाली 
परिमल बन मन सुं

Harshita Dawar

प्यार खूबसूरत पहाड़ी_वादियों_फ़िजाओं_झील यादें yqdidi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ Jazzbaat# हरियाली खेती की। ये तो बहुत बार देखे

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Written by Harshita Dawar ✍️✍️
#Jazzbaat#

हरियाली खेती की।
ये तो बहुत बार देखे है खेत मैने दिल मोह लेते है ये सीढ़ी नुमा खेत ।
उत्तरांचल के गोद में छिपे ये खेल खिल्लखिलाते लहराते मन में उमंगे दौरा देते है।
मन सा करता है बस इन सीढ़ी यो से उतर उतर कर पहुंच जायो गंगा की गोद में।
सामा जाते  दिल में मेरे वो चेहचहाते पक्षीयो की मीठी बातें मानो बोल रहे हो बड़े दिन में आए हो।
खूबसूरत वादियों के बीचों बीच ये सीढ़ी नुमा खेत आवाजे लगते अपने रास्ते बनाते दूसरो को रास्ते दिखते सुंदरता फैलाए लेहरारा रहे है।
किरणों की चकाचौंध रोशनी भिखेरे सुंरज की वो सुनहरी कितने मानो सोना भीखेर रही हो।
गंगा के धारा भेहती जा रही है मानो चांदी पिघला रही हो।।
गाले लगती ये कानो में गुदगुदाती छू कर चली जाते यू पवन के झैके मन में नई उमंगे जागा रहे है।
वो भीनी भीनि सी खुशबू वो ओस को बूंदे दिल को लुभा रही है मानो मोती बी खेर दिए हो वादियों में।
 आंखो को ठंडक देते बहुत खूबसूरत एहसास शांत कोमलता मन में बसेरा कर रहा है।।बस यही यही का होने का मन कर रहा है।।।
     #प्यार #खूबसूरत #पहाड़ी_वादियों_फ़िजाओं_झील #यादें #yqdidi  
Written by Harshita Dawar ✍️✍️
#Jazzbaat#

हरियाली खेती की।
ये तो बहुत बार देखे

xyz

करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार, करते हो न जाने कितने अत्याचार। बहु, बेटी, माँ और बहन... करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार। ओ इंसान के वेश में भे #girl #yqdidi #rapevictim #getwellsoon #tishiyapa #wearenotsafe #unsafehome

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करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार,
करते हो न जाने कितने अत्याचार।
बहु, बेटी, माँ और बहन...
करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार।

ओ इंसान के वेश में भेडियों,
अपनी हवस मिटाने को...
बनाते हो मासूमों को शिकार,
क्यों करते हो उनका बलात्कार? करते तो हो तुम हर क्षण शर्मसार,
करते हो न जाने कितने अत्याचार।
बहु, बेटी, माँ और बहन...
करी सबकी इज्ज़त तुमने तार-तार।

ओ इंसान के वेश में भे

Shree

किसी शहर की भीड़भाड़ के बीचों-बीच बैठकर जरा सुकून मिले किसी के सानिध्य में…. तो क्या बात हो..! इसी सुकून की भागम भाग में तो जीवन भर हलचल मची #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #shreekibaat_AJOT #epitomeoflove

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छोटी सी बात  किसी शहर की भीड़भाड़ के बीचों-बीच बैठकर जरा सुकून मिले किसी के सानिध्य में…. तो क्या बात हो..! इसी सुकून की भागम भाग में तो जीवन भर हलचल मची

Divyanshu Pathak

मेरा तो आजकल कुछ भी लिखने का मन ही नहीं कर रहा! अखबारों में पढ़कर या सोसल साइट्स ,या मीडिया में बलात्कार ही बलात्कार का हाहाकार मचा है । जैसे #पंछी #पाठक #हरे #जस्टिस_फ़ॉर_प्रियंका_रेड्डी #मृत्यदण्ड #शुभरस्त्री

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आज हमारा सिर शर्म से झुक गया है!
हमारी संवैधानिक एजेंसियां
अपने यहां की जन समस्याओं,
विशेषकर कानून व्यवस्था,
बेरोजगारी, भ्रष्टाचार ,
बलात्कार आदि से
कारगर ढंग से निपट नहीं पाई।
यह भी कह सकते हैं कि
नाकारा साबित हो गईं।
पुलिस, न्यायपालिका,
लोकायुक्त,
राज्य मानव अधिकार आयोग
जैसे भारी-भरकम स्तम्भ
जाने-अनजाने कारणों से
चरमराते जान पड़ रहे हैं। मेरा तो आजकल कुछ भी लिखने का मन ही नहीं कर रहा!
अखबारों में पढ़कर या सोसल साइट्स ,या मीडिया में बलात्कार ही बलात्कार का हाहाकार मचा है ।
जैसे

Kavita

गांव अब गांव नहीं रहा कच्चे घरों की जगह अब ईट की दीवारें है गली के नुक्कड़ पर अब वो चाय भी नहीं मिलती चांद भी कुछ उदास सा रहता है कुछ पूछूं #hindikavita #कविता #stillLoveYou #myhomeTown #realstory #apnades

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गांव अब गांव नहीं रहा
कच्चे घरों की जगह अब ईट की दीवारें है
गली के नुक्कड़ पर अब वो चाय भी नहीं मिलती
चांद भी कुछ उदास सा रहता है
कुछ पूछूं उससे तो बादलों में छुप जाता है
गली की जो रौनक हुआ करती थीं
वो दादी भी अब चल बसी है
गली अब सूनी सी रहती है
सांझ ढले बाद वो कोताहुल भी  
अब सुनाई नहीं देता 
बच्चे समय से पहले ही बड़े हो गए हैं
मानो समय ने उनका बचपन छीन 
थमा दी हो आजीविका भारी
चौपाल पर अब वो 
नीम का बूढ़ा पेड़ भी नहीं है
राह चलते वक्त पैरों से 
गांव की धूल भी नहीं लगती
गांव के दोनों कुएं अब सूख गए हैं
लेकिन हां 
हां गांव के पानी का स्वाद आज भी वही है
चौपाल पर बाबा अब अकेले बैठे रहते हैं
गांव में अब वो एकता भी नहीं है
पर मन्दिर के पुजारी नहीं बदले
नीची जाति के लोगों का आना
मन्दिर में आज भी वर्जित है 
लोगों ने छतों पर सोना बंद कर दिया है
शायद इसीलिए चांद रूठा है उन से
तारों ने तो गांव आना ही बन्द कर दिया
खेत भी अब ज़्यादा नहीं हसते हैं
खेत के बीचों बीच खड़ा वो जामुन का पेड़
उसने ना जाने कितने मौसम बदलते देखे हैं
पर मौसम के बदल जाने से भी 
ज़्यादा उदास करता है 
गांव का बदल जाना 
हां यह गांव अब गांव नहीं रहा 
जिस सुकून की तलाश में आए थे
वो  गांव का सुकून नहीं रहा 
सच 
गांव अब गांव नहीं रहा ! ! गांव अब गांव नहीं रहा
कच्चे घरों की जगह अब ईट की दीवारें है
गली के नुक्कड़ पर अब वो चाय भी नहीं मिलती
चांद भी कुछ उदास सा रहता है
कुछ पूछूं

N S Yadav GoldMine

#boat सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्‍तों की हर मुराद पूरी करते हैं इस मंदिर के बारे में जानिए !! 🔯🔯 {Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कष्टभं #प्रेरक

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