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Sunder
Krrishna Kharat
कोई शेर है, जो मे चाह कर भी न लिख सका इस कदर...वो मेरी कलम पर हावी हो गया है ©Krrishna Kharat #कलमकार
Anuj thakur "बेख़बर"
कोई न जाने पत्रकार का गम कितना और गहरा है! सच लिखने की रहती चुनौती पर लगा कलम पर पहरा है!! जनता, नेता अधिकारी हमसे उम्मीदें रखते हैं लिखते लिखते कलम थक गई पर शासन गूंगा बहरा है!! जनता को न्याय न मिलता बस मलाल यह रहता है! अपना ईमान बेचने वाला हमको "दलाल" कहता है!! अन्याय से पीड़ित जब पत्रकार से मिलता है! हाथ हृदय पर रखकर पत्रकार सच लिखता है!! सत्ता में आने को नेता पैर पकड़ते हैं! फिर कुर्सी मिलते ही हम पर वह अकड़ते हैं!! मजदूरी से कम वेतन पाकर अपना खर्च चलाते हैं! मोटी रकम कमाने वाले हमको "सेठ" बताते हैं!! सच लिखते हैं तो माफिया हम पर बंदूके ताने हैं! मिट्टी के नीचे का हाल बस कब्र का मुर्दा जाने है!! पत्रकार ने सच लिखा है और सच ही लिखता जाएगा! जिसकी जैसी करनी होगी वह वैसा फल पाएगा!! अनुज बेख़बर कलमकार
pernassian
काफ़ी लड़ाया हारकर भी नही है मुझे ज़रा सा भी अफ़सोस, सभी कहते है इसमें तेरा नहीं तेरे किस्मत का है दोष, लाखो बार गिड़ कर भी आज तक नहीं खोया मैंने अपना होश, माँ-बाप का चेहरा याद कर लेता हूं दोगुना हो जाता है मेरा लड़ने का जोश।। कलमकार
Prabhu Kishore Sharma ( शर्मा जी)
Impossible हमे समझने की कोशिश मत करना , तुम परेशान हो जाओगे , हमारी हरकते देख कर ,हैरान हो जाओगे , यूं ही नही करते ,हम बाते अक्सर, गर समझ गए ,तो हमारे कदरदान हो जाओगे । - प्रभु किशोर शर्मा (शर्मा जी) #कदरदान
Parasram Arora
क्यों तुम जलते रहे गलते रहे बहते रहे? क्यों तुम अपने जीवन की बलि जगत क़ो किश्तो में देते रहे? और ये भी तो सोचो उसके बदले तुम्हे मिला क्या?? अपमान के ताप.. हिंसक प्रहार.. असहनीय वेदना के अभिशाप......... जीवन की झर्जर. हो चुकी सीड़ी के अंतिम पाय दान पर बैठ कर अब तुम चिंतन कर. रहे हो और अपने बलिदानो का इतिहास लिख रहे हो पर बीता हुआ समय और खोया हुआ अवसर. कभी लौटने वाला नही ये बात शायद तुम जानते नही हो ? ©Parasram Arora बलिदान....
Alone
अब सब कुछ अपने हित के लिए करोगे तो केसे चलेगा स्वर्ग मे जगह चाहिए तो बहुत कुछ बलिदान करना होगा... अपने लिए नहीं कभी दुसरो के भले के लिए भी सोचना होगा.... बलिदान
Arun Kothari
ऐ दिल ज़रा सम्भल.. की तुझे तो अभी और ठोकर खानी है ऐ दिल ज़रा सम्भल.. की मुड़कर न देखना तो उस बेवफ़ा की निशानी है ऐ दिल ज़रा सम्भल.. ओर सब्र रख की गम की करवट तो हर किसी की ज़िंदगी में आनी है ऐ दिल ज़रा सम्भल.. की तुझे तो तेरे अपनों की ख़ातिर अपनी पूरी ज़िंदगी बितानी है। #कलमकार
Arun Kothari
ऐ दिल ज़रा सम्भल.. की तुझे तो अभी और ठोकर खानी है ऐ दिल ज़रा सम्भल.. की मुड़कर न देखना तो उस बेवफ़ा की निशानी है ऐ दिल ज़रा सम्भल.. ओर सब्र रख की गम की करवट तो हर किसी की ज़िंदगी में आनी है ऐ दिल ज़रा सम्भल.. की तुझे तो तेरे अपनों की ख़ातिर अपनी पूरी ज़िंदगी बितानी है। #कलमकार
chelendra...poonar
#Pehlealfaaz कलम इस कदर रो पड़ी कि लिखने वाले ने लाखों गुनाह किया हो! #कलमकार