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नेहा
बात ख़त्म हो गई, अब और न बढ़ाओ, जो बीत गया कल, अब उसे न दोहराओ। मिले जो सबक उनसे, वक़्त रहते संभल जाओ। नव आलोक का करो स्वागत, नवसृजन में बढ़ जाओ। 'नेह' रखो सबसे, कड़वे पल भूल जाओ। #नव सृजन #drnehagoswami #yqdidi #yqhindi #yqthoughts
kavi Deepak tiwari deepak
himani panchal
गर तुझे ज़िद है, मुझे मिटाने की। तो याद रख , मै भी सृजन का बीज हूँ । मुझ में जीजिविषा है, फिर से उग जाने की ।। #सृजन
संजय श्रीवास्तव
तुमको तो पा लिया मैने बस उसी एक पल में जिसमें शामिल थी तुम्हारी मौन स्वीकृति अनंत आकाश सा मन सप्तअश्वो से बंधे रथ में भागता हुआ अकेला अनजान पथ पर जिसमें थी तुम्हारी मधुर स्मृति हर पल तेरे अहसास की खुशबू अंतर्मन में समेट कर मैं अचेतन मूक सांकल की तरफ नजरें गड़ाये तमाम दिवास्वप्न के यथार्थ मे उतरने के अद्भुत क्षण की.प्रतीक्षा में व्यग्र आतुर मन कंंपकंपाते हाथ की दस्तक ने आखिर भंग कर दी छायी हुई नीरवता एक क्षण भी व्यर्थ किये बिना खुल गया सांकल और फिर सृष्टि की अनुपम कृति मेरे समक्ष अकथनीय अकल्पित निःशब्द अनिद्य सौंदर्य को दृष्टिपात करता व्याकुल नयन शायद इन्ही अनमोल क्षणों में हुआ एक खामोश कविता का हुआ सृजन सृजन
Arora PR
मेरी इस रसमयी ताज़ा मधुर कविता का कमाल तों देख़ो कि उसे किसी ने नहीं सरहा सिवाय उसके जिसके लिए मैंने उस कविता का सृजन किया था ©Arora PR सृजन
Parasram Arora
हाँ मैं ही हूँ वो तथाकथित ईश्वर जिसने इस बदरंग दुनिया का निर्माण किया है पर तुम ये बात भूल से भी किसीको कह मत देना कि ये दुनिया मैंने बनाई है अन्यथा लोग देरी किये बिना बिना समझें ही मेरा कत्ल कर देंगे वो भी इसलिए कि आखिर मैंने क्यों इतनी विकृत और विषैली दुनिया का सृजन कर दिया है ©Parasram Arora सृजन
Kamlesh Kandpal
मैं टूटते तारों के बारे में क्यों लिखूं? मैं बाढ़ में समा गये खेतों बारे में क्यों लिखूँ मुझे अच्छा लगता है, लिखना, पल्लवित होते पुष्प के बारे में मुझे अच्छा लगता है लिखना, उगते सूरज के बारे में मैं डरता हूं उदासी से, तन्हाई से मै डरता हूँ अँधेरे से, बेहयाई से मुझे सृजन के गीत सुन लेने दो जरा, मुझे जीवन के राग गुन लेने दो जरा "सृजन "