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Pnkj Dixit
💓 ... मौसम प्रीत आज बरस रही है जैसे रिमझिम सावन में घुमड़ कर बादल बरसे । तेरा मौसम इस तरह सुहावना जैसे बसंत ऋतु में चहूं ओर सुगंध । तुम्हारा अहसास मेरे रोम-रोम में जैसे कण कण में भगवान तुम भी भूले नहीं हमारी मोहब्बत की कहानी जैसे चंदा चकौर कमल कमलिनी पूर्णिमा चांदनी मस्तानी 🌷👰💓💝 १६/०६/२०१८ ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' 💓 ... मौसम प्रीत आज बरस रही है जैसे रिमझिम सावन में घुमड़ कर बादल बरसे । तेरा मौसम इस तरह सुहावना
Bhupendra Yadav Vishall
---/// मैं और तुम///--- हम दोनों की मुहब्बत में, ऐसा जुनून है; तुम्हे मुझ में सुकून है, मुझे तुम में सुकून है। सुकून भी हमें देखकर, है परेशान हो गया; आखिर इन दोनों के बीच; ये कैसा सुकून है। जैसे बसंत का मौसम हो, मुस्कुरा रहे हैं हम; मग़र जमाना कह रहा है, महीना ये जून है। हम दोनों की मुहब्बत में, ऐसा जुनून है; तुम्हे मुझ में सुकून है, मुझे तुम में सुकून है।। © "विशाल" #NojotoQuote ---/// मैं और तुम///--- हम दोनों की मुहब्बत में, ऐसा जुनून है; तुम्हे मुझ में सुकून है, मुझे तुम में सुकून है। सुकून भी हमें देखकर,
Pnkj Dixit
चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे, चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे जैसे सावन में बादल आ जाते हैं जैसे बसंत में बहार आ जाती है जैसे सूखी झील में कंवल खिल जाते हैं जैसे फूलों पर भँवरें मँडराते है चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे जैसे प्यासी पथराई आंखों में सावन आ जाता है २१/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे जैसे सावन में बादल आ जाते हैं जैसे बसंत में बहार आ जाती है जैसे सूखी झील में कंवल खिल जाते हैं जैसे फूलों पर भ
Rohit singh
.................. ©Rohit singh तुमने मुझे..खो दिया... ठीक वैसे ही..जैसे 'बसंत' में 'पेड़'..खो देता हैं 'पत्तों' का साथ... या वैसे..जैसे रह जाता है.. एक 'बूंद' तन्हा...'श
Rajkumar Verma
बनते बिगड़ते हालातों का हिसाब है जिंदगी, हर रोज एक नया पन्ना जुड़ता है जिसमें वो ही एक किताब है जिंदगी।
Rohit singh
तुमने मुझे..खो दिया... ठीक वैसे ही..जैसे 'बसंत' में 'पेड़'..खो देता हैं 'पत्तों' का साथ... या वैसे..जैसे रह जाता है.. एक 'बूंद' तन्हा...'श
Vaibhav Mishra
पहली मुलाकात पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें क्या याद है तुमको जब मिले थे हम पहली बार हां, वो मुलाकात नहीं थी बस था कुछ यूं कि मैंने देखा तुम्हे और
Vaibhav Mishra
तुम्हारा मुस्कुराना पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें क्या याद है तुमको जब मिले थे हम पहली बार हां, वो मुलाकात नहीं थी बस था कुछ यूं कि मैंने देखा तुम्हे और
Sumeet Pathak
भाग २ ( अनुशीर्षक में ... ) DQ : DQC : ..... इस प्रतिउत्तर को सुनने के बाद शौर्य जैसे अपने मन ही मन में भावनाओं के तरंगों से जूझ रहा हो ! होंठ तो सिले हुए परंतु चेह
AB
....... By : Sumeet Pathak DQ : DQC : ..... इस प्रतिउत्तर को सुनने के बाद शौर्य जैसे अपने मन ही मन में भावनाओं के तरंगों से जूझ रहा हो ! होंठ