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Ek villain
मनुष्य के खुशहाल जीवन यापन में धन अर्थ अर्थ अर्थ की महिता बहुत भूमिका होती है अर्थ के अभाव में एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन की कल्पना व्यर्थ है बिना अर्थ के धर्म का भी पालन नहीं कर सकते दान याद परोपकार सब के लिए धन की आवश्यकता होती है किंतु भी संगीत यह है कि हम अर्थ को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए उचित पुरुष अर्थ अर्थ अर्थ कर्म नहीं करते मनीषियों का मत है कि लक्ष्मी सदा परिश्रम और धर्म युक्त प्रसाद से प्राप्त होती है उत्साह संपन्न विधि पूर्वक कार्य करने वाले व्यसनों से दूर रहने वाले डेड निशा व्यक्ति अवश्य ही धन और संपत्ति को प्राप्त करते हैं शास्त्रों में कहा गया है लक्ष्मी औद्योगिक पुरुषों को प्राप्त होती है तथा उन्नति प्रगति और संप्रदान एकमात्र साधन उद्योग तथा पुरुषार्थ है परिश्रम के अभाव में व्यक्ति किसी भी संबंधों का अभाव नहीं कर सकता महा ऋषि भरथरी नीति शतक में कहते हैं उद्योग पुरुष लक्ष्मी का उपार्जन करता है परंतु कायर मनुष्य भाग्य के भरोसे बैठा रहता है भाग्य को ठुकरा मारकर अपने कार्य में डेढ़ से निगम हो जाता है यदि फिर भी उसे सफलता नहीं मिली तो वह भाग्य में नहीं बल्कि अपने कार्य पद्धति में दोष होता है वास्तव में लक्ष्मी सदैव ही शर्म और उद्योग की अनुगामी रही है लोग परिश्रम से दूर भाग की माला जपते रहते हैं किंतु भाग्य हमेशा पुरुषार्थ से जगह करता है जिसके द्वारा हमारी सफलता के बंद द्वार भी खुल जाते हैं मत्स्य पुराण में वर्णन है कि आलसी और भाग्य पर निर्भर रहने वाले व्यक्तियों को आधारित की प्राप्ति नहीं होती इसलिए पुरुषार्थ करने में हमको आगे रहना चाहिए लक्ष्मी भाग्य पर भरोसा रखने वाले एवं असली मनुष्य को त्याग कर पुरुषार्थ करने वाले व्यक्तियों को जतन पूर्वक डेड पूर्वक वर्णन करती है इसलिए हम सदा पुरुषार्थ सिद्धार्थ कर्म सील रहना चाहिए ©Ek villain # पुरुष अर्थ मनुष्य जीवन में #Moon
MDM THINK
मनुष्य जन्म का अर्थ क्या ? है व्यर्थ हैं या अर्थ हैं या अनर्थ हैं ! ©MDM THINK #मनुष्य #MDMTHINK #Truth #Life #think #thing #जिंदगी #अर्थ #Quote #Hindi
Shravan Goud
मनुष्य अकसर अपनी बुद्धि और परिस्थितियों के अनुसार अर्थ लगाता है। मनुष्य अकसर अपनी बुद्धि और परिस्थितियों के अनुसार अर्थ लगाता है।
Parasram Arora
मनुष्य केवल तर्क और गणित नही है मनुष्य एक बहुत बड़ी घटना है उसके भीतर भावनाओ का एक समृद्ध विश्व मौजूद है सृजन की उसमे एक अदभुत क्षमता है..........उसकी आत्मा क़े पास. आलोकमयी पँख है और पशुता का प्रदीर्ष प्रबल अतीत भी है ©Parasram Arora मनुष्य.....
Sharvan
मनुष्य उम्र से नही अपने विचारों एवं गन्दीं सोच से बूढ़ा हो चला है। मनुष्य
Dilipkashyap
मनुष्य ज्ञान का भंडार है, जरूरत है तो बस उस भंडार में छुपे हुए ज्ञान को निकालने की। #मनुष्य