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Fazal Makhdoomi
Kise Ab Yaad Karna Hai? Kisko Yaad Aana Hai? Kahan Beeta Ladakpan Hai? Kahan Guzra Zamana Hai? Kya Thi Wo Qasam Aakhir? Kya Wada Jo Nibhana Hai? Main Kyun Gumgeen Baitha Hun? Mujhe Toh Muskurana Hai? Haan, Main Aksar Bhool Jata Hoon.. Kahan Khwabon Ki Basti Hai? Kahan Apna Aashiyana Hai? Kahan Mehboob Hai Mera? Kahan Uska Diwana Hai? Kahan Logon Se Milna Hai? Kahan Chupna Chupana Hai? Kahan Jhooti Khudai Hai? Kahan Sar Ko Jhukana Hai? Haan, Main Aksar Bhool Jata Hoon.. मुनीर नियाज़ी साहब से प्रेरित होके कुछ ख़याल आ गये।। साधारण से लफ्ज़ हैं सारे और शायद उससे भी साधारण बाते हैं पर एक दफ़े धीरे धीरे पढियेगा महसूस
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
अदालत पहुंचा एक अजीब सा मुकदमा, इंसाफ एक कुत्ते को चाहिए था। आपस की लड़ाई में कुछ यूं हो गया है, कुत्ता रो रो कर जज साहब से कह रहा कि, दूसरा गुस्से में मुझे 'इंसान' कह गया है। अदालत पहुंचा एक अजीब सा मुकदमा, इंसाफ एक कुत्ते को चाहिए था। आपस की लड़ाई में कुछ यूं हो गया है, कुत्ता रो रो कर जज साहब से कह रहा कि, दूसरा
Brajesh Kumar Bebak
Jai Singh
हैं बहाने यहां हम सभी के कुछ खुद को बहकाने, समझाने के जब जो हुआ सो हो ही गया वक़्त, बेवक़्त निकल ही गया अब शिकायतों का दौर है एक आँसुओं की बाढ़ सी मुस्कराहटों की तलाश में जिंदगियां उदास सी यही जान ले मेरे यार तू जो संभल सका वही रह गया जो गुज़र गया सो गुज़र गया जो बीत गया उसे जाने दे फिर नई कोई शुरआत कर देख क्या क्या बदल गया फिर उम्मीदों का तू चुनाव कर न हौसलों पर वार कर मैं उस उहापोह से निकल गया तू फिर आ , मेरे साथ चल जो बच गया उसे संवार लें जो गुज़र गया तो गुज़र गया अभी भी बशीर बद्र साहब से प्रेरित है. क्या करें, कुछ लोग ऐसा लिख जाते है कि दिल दिमाग रूह पर छप जाता है, उसकी परछाइयां पीछा करती हैं हमेशा ही
malkeet singh jeet
#फसल_अपनी_अपनी सैर पर निकला है आज हाकिम भी गाँव की बोये गा फसल वोट की करेगा बात छांव की छलेगेा फिर किसान दोगुना आय के जाल से खून तक निचोड़ लेगा खेतीहर की खाल से यूँतो सपने बोये गये थे कुछ उम्मीदें उगाई गई हैं सियासत से मनुहारी की सब रस्में निभाई गई हैं पसीजे का दिल भी उनका राहत भी पहुंचायेंगे ये अलग मसअला है साहब से बची कौन पायेंगे ©Malkeet jeet #फसल_अपनी_अपनी सैर पर निकला है आज हाकिम भी गाँव की बोये गा फसल वोट की करेगा बात छांव की छलेगेा फिर किसान दोगुना आय के जाल से खून तक निचोड़