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अजय वर्मा

दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है । तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।। शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल् #कविता #nojotohindi #nojotokavita #kaviajayvarmaaj #lockdown

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गरीबों की दासता 

दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है ।
तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।।

शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल्लाने से ।
सत्ता का सुख भोग रहे है , जो महलों की परछाई में ।।

शासन धृतराष्ट्र बना बैठा है, ए.सी. की दीवारों में ।
मजदूर कीमत चुका रहे है, मिट्टी की दीवारों में ।।

अपनी मां को बलि चढ़ा दी, उसके ही पुत्रो की तुमने ।
भारत मां शर्मिंदा हुई है, पटरी पर लहूलुहान हुई है ।।

वन्दे भारत समुद्र सेतु ,  विदेशों में इज्जत है ।
जो जिंदा है कद्र नहीं, मरे हुए को आंसू है ।।

जनता बैठी घरों में, मरने की क्या इजाजत है ।
घर में खाने को नहीं, राजनीति गंगाजल है ।।

गरीब भीख मांग रहा था, रेल की उन पटरियों पर ।
पैसे तुमने खूब लुटाए , व्यापारियों की छाती पर ।।

तुमने सोचा जिंदा रहेंगे, भूख से कौन मरता है ।
शायद तुमको पता नहीं, भूखमरी भारत की चिंता है ।।

मेरी कविता रोती - गाती, और पूछती एक सवाल ।
जो जिंदा है मरे नहीं है, मरने की क्या इजाजत है ।।

                                                - अजय वर्मा दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है ।
तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।।

शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल्

Jack

समुद्र-मंथन, राहु-केतु #सस्पेंस

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Shivkumar

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LOL

एक बिलबिलाती नदी
जो समुद्र से मिलने की चाह में
चली थी सुदूर कहीं दक्षिण से
जो जीती रही इस भ्रम में कि 
मटमैला जल मीठा है उसका
मिटा ना सकी जो कभी तृष्णा किसी की
ना पा ही सकी जलधि को
पथ में ही सूख गयी
हार गई लड़ाई स्वयं अपने अस्तित्व की..
और अहं में कहती रही जाते-मिटते
मिलने से अच्छा है खारे सागर में
लुप्त हो जाना ऐसे ही..!
वो कूलंकषा अनभिज्ञ थी शायद 
पारावार निगलता है कुंठाएं सभी
शहरों से आयी दूषित नदियों की 
हांलाकि वो अपेय है
लवणता यथेष्ट है उसमें 
पर पालता है फिर भी
असंख्य पादप मछलियां सीपियाँ 
अपने असीम गर्भ में
ये गर्भधारण भला वो सूखी नदी क्या जाने!
खारापन ही गुण है उसका
इस गुण के कारण ही जीवित है अब तक
वरना संसार निगल जाता उसे!!
©KaushalAlmora




 #खारा 
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#समंदर 
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#नदी 
#रोजकाडोजwithkaushalalmora 
#खारापन 
#365days365quotes

Rajesh rajak

#Rok_nahi_paye राहु केतु को, मजबूत करो चांद की सुरक्षा के सेतु को,।👧

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खड़ी थी छत पर ताक रही थी उन्मुक्त आकाश
सोच रही थी इस अनंत आकाश में एक ही चांद है,पर उसमें भी दाग है,,
घिरा रहता है अनगिनत सितारों की फौज से,
जब जी चाहा घट गया,जब जी चाहा बढ़ गया, विचरण करता है मौज से,,
में भी पापा का चांद है भैया का नाज हूं,पापा मेरे लिए हैं अनंत आकाश भैया सितारों की फौज मम्मी की लाज हूं,,
तभी उसके मन से निकलती है आह,एक दर्द की कराह,अनंत आकाश में अनगिनत सितारों की फौज में,चांद फिर भी नहीं सलामत,
पड़ गई राहु केतु की महादशा,लग गया ग्रहण,
क्या इस अखंड धरा पर नहीं होना था मुझे अवतरित,,क्या ये धरती का चांद भी नहीं सुरक्षित,यहां तो लाखों राहु केतु हैं चांद की  सुरक्षा के बहुत कमजोर सेतु है,, #Rok_nahi_paye राहु केतु को,
मजबूत करो चांद की सुरक्षा के सेतु को,।👧

Shiv Narayan Saxena

श्रीराम सेतु निर्माण. श्रीराम सेतु निर्माण. Ramleela #NojotoRamleela

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#NojotoRamleela
रावण सहित सबको हतप्रभ और दिलों में दहशत भरकर श्रीराम को हनुमानजी ने माता सीता का हाल और संदेश सुनाया. सबकी सलाह पर श्रीराम दल-बल सहित समुद्र तट पर पहुंचे. इन घटनाओं के दूरगामी परिणामों को देख मंदोदरी और विभीषण ने सीती को लौटाकर समझौते का सुझाव दिया. रावण न माना और विभीषण को लंका से निकाल दिया. विभीषण ने श्रीराम की शरण ले ली. अब सबने समुद्र पार करने की बात कही. श्रीराम ने मर्यादा को महत्व देकर समुद्र से मार्ग देने का अनुरोध किया. रावण के डर से तीन दिन बीतने पर भी समुद्र ने मार्ग न छोड़ा तो श्रीराम ने क्रोध का प्रदर्शन कर अग्निबाण का संधान किया. इसपर समुद्र अपने जीव-जंतुओं का हवाला देकर क्षमा मांगने लगा. कोई मार्ग न देखकर समुद्र ने बताया कि आपके दल में नल-नील नामक वानरों के फेंके जानेवाले पत्थर डूबेंगे नहीं. इस प्रकार पुल बनाकर आप सेना सहित समुद्र पार कर सकते हैं. अब श्रीराम के निर्देश पर पुल निर्माण शुरू हुआ. किन्तु, नई समस्या यह आ गई कि नल-नील द्वारा छोड़े पत्थर डूब तो नहीं रहे थे लेकिन इकट्ठे बंधकर पुल नहीं बना पा रहे थे. इस समस्या के समाधान के लिये हनुमानजी ने अपूर्व योजना की. उन्होंने नल-नील से कहा  कि तुम केवल वे पत्थर ही समुद्र में छोड़ोगे जिनपर मैं श्रीराम लिख दूँगा. अब वानर पत्थर लाते, हनुमानजी एक पर ' 'राम' का *रा* और दूसरे पर राम का *म* अक्षर लिखते. इस प्रकार *रा+म* के संयोग से तैरते हुये पत्थर अब परस्पर जुड़ते जाते थे. श्रीराम के नाम का गौरव बढ़ानेवाली हनुमानजी की इस लीला केबाद बड़े उत्साह से पुल बनने लगा. इसी अवस्था में भक्त श्रद्धा से कह उठता है कि-
*दुनिया चले न श्रीराम के बिना,*
*रामजी चलें न हनुमान के बिना.*
🙏🙋‍♀️  जै श्रीराम! 🙏🙋‍♂️
🙏🙋‍♀️  जै हनुमान!🙏🙋‍♂️

©Shiv Narayan Saxena श्रीराम सेतु निर्माण.

श्रीराम सेतु निर्माण.
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