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Ravi Shankar Kumar Akela

#Yaari स्वतंत्रता दिवस, भारत में राष्ट्रीय अवकाश प्रतिवर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है । स्वतंत्रता दिवस 1947 में ब्रिटिश शासन के अंत का प्रती #पौराणिककथा

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Swati Singh

भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष १५ अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की #IndependenceDay #yourquote #वतन #आजादी #yourquotebaba #yourquotedidi #ypurquotedidi

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आजादी का वो हमको पैगाम दे गए
वो हमें आजाद हिन्दुस्तान दे गए
उनकी कुर्बानी को ऐसे नहीं जाने देना है
हमें अपनी हर सांस को वतन के नाम कर देना है
 Happy independence day 🇮🇳
15 August 🌹🌹🌹🇮🇳 🇮🇳🇮🇳💕💕💕 भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष १५ अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की

Vidya Jha

शोले बरसे, थर्रा उठे अंग्रेज भी जन्म लिया जब वीरांगना ने वो साल 1828 थी नामांकरन हुआ जब उसका मणिकर्णिका कहलाई थी भृकुटी ताने, आँखो में ज्वा #India #Trending #expression #nojotonews #nojotostar #JhansiKiRani

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शोले बरसे, थर्रा उठे अंग्रेज भी
जन्म लिया जब वीरांगना ने
वो साल 1828 थी
नामांकरन हुआ जब उसका
मणिकर्णिका कहलाई थी


©विद्या झा

Full poem in caption 👇👇 शोले बरसे, थर्रा उठे अंग्रेज भी
जन्म लिया जब वीरांगना ने
वो साल 1828 थी
नामांकरन हुआ जब उसका
मणिकर्णिका कहलाई थी

भृकुटी ताने, आँखो में ज्वा

परवाज़ हाज़िर ........

#भारतीय #वायुसेना को सलाम हैप्‍पीइंडियनएयरफोर्सडे #IndianAirforceday यूं तो हर देश की सुरक्षा के लिए सेना का अहम योगदान होता है, लेकिन #8अक्टूबर1932

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हमारी उड़ानों में दम है 
इतना
कि मौत भी सामने आए तो
कहते हैं.....
अभी परवा भारत माँ 
 की हे.... 
रुक जा जरा मारने के लिए
अभी देश के दुश्मन बाकी हैं...

©G0V!ND_DHAkAD #भारतीय #वायुसेना
 को सलाम
#हैप्‍पीइंडियनएयरफोर्सडे

#IndianAirforceday 


यूं तो हर देश की सुरक्षा के लिए सेना का अहम योगदान होता है, लेकिन

Rishika Srivastava "Rishnit"

ब्रिटिश शासन काल में स्त्रियों की परिस्थितियों के कुछ सुधार आया, क्योंकि शिक्षा का विस्तार किया गया। लड़कियों की शिक्षा में ईसाई मिशनरियाँ र #nojotonews #नारी_शक्ति #आजादी #15august #स्त्रीविमर्श #AzaadKalakaar

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#AzaadKalakaar #AzaadKalakaar

स्त्री विमर्श क्यो??

स्त्री विमर्श वास्तव में एक जटिल प्रश्न बनकर युगांतर से मन को गुदगुदा ता आ रहा है यद्यपि नारी की उपस्थिति तो साहित्य की हर विद्याओं में किसी न किसी रूप में सदा से रहती ही आ रही है तब फिर इसी औचित्यता पर प्रश्नचिन्ह क्यों अंकित होता रहा है? हमारा देश आज़ाद हो चुका है फिर भी स्त्री की दशा आज भी दयनीय क्यों??

स्त्री विमर्श के विषय में एक  प्रश्न और विचारणीय है कि क्या स्त्री द्वारा लिखित साहित्य स्त्रीवादी साहित्य होता है मेरे विचार से स्त्री या पुरुष के लेखन का नहीं है बस है स्त्री विमर्श पर कदम उठाने वाला या कलम उठाने वाली स्त्री स्वभाव का स्त्री समस्याओं की गहराई से परिचित है या नहीं स्त्री की पीड़ा उस पर हो रहे अत्याचार उत्पीड़न शोषण की कसक आदि को  कभी मानसिक या वैचारिक रूप से भोगा है या नहीं।

वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति संतोषजनक थी। समाज में स्त्री पुरुष दोनों समान रूप से सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकारी थे। पुत्र या पुत्री के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं था। सामाजिक, आर्थिक शैक्षिक तथा धार्मिक कार्यों में दोनों की समान भागीदारी थी। पुत्र या पुत्री के पालन पोषण में भी कोई अंतर नहीं माना जाता था ।इस युग की सबसे बड़ी उपलब्धि थी के पुत्र की शिक्षा के साथ-साथ पुत्रियों तथा स्त्रियों की शिक्षा पर भी गंभीरता पूर्वक ध्यान दिया जाता था। परिणाम स्वरूप लोपामुद्रा, विश्ववारा, घोषा, सिक्त निवावरी जैसी कवि तथा मंत्र और सुक्तों के प्रसिद्ध रचयिता इसी युग की देन है ।  इसी युग में हुई स्त्री विकास के मार्ग में बाधक जैसे परंपरा नहीं थी। स्त्रियों को इच्छा अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता प्राप्त थी।

वैदिक काल और परिस्थितियों मैं शनै शनै परिवर्तन होने जैसा प्रतीत होने लगा यद्यपि पुत्री की शिक्षा-दीक्षा पूर्व चलती रहे तभी समाज की मानसिकता बदल गई। कालांतर में पुत्री भी स्वयं को पुत्र की तुलना में ही समझने लगी। चुकी इस युग में पर्दा प्रथा की चर्चा तो नहीं है। फिर भी नहीं रह गई सार्वजनिक सभा तथा धार्मिक अनुष्ठान में अपनी भागीदारी निभाने से वंचित होने लगी पुत्री का विवाह कम आयु में करने का विवाद चल पड़ा पुत्र-पुत्रियों के जन्म पर भी भेदभाव होने लगा। पुत्र का जन्म उत्सव मनाया जाने लगा लेकिन पुत्री के जन्म को अभिशाप समझा जाने लगा। पुत्रियों को वेदाध्ययन के अधिकार से बातचीत होना पड़ा।
महाभारत में द्रोपदी के के लिए "पंडित" शब्द का विशेषण आया।ऐसी पंडिता जो माँ कुंती के आदेश के पाँच पतियों में बँटकर जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हो जाती है। कुंती जो विशिष्ट आदर्श कन्याओं में गिनी जाती है समाज के भय से सूरज को समर्पित अपनी को कोम्यता के फलस्वरूप प्राप्त पुत्र रत्न को नदी में प्रवाहित करने हेतु विवश हो जाती है. सती साध्वी राज कुलोधभूता सीता एक साधारण पुरुष के कहने पर अपने पति श्री राम द्वारा परित्यक्ता वन अकारण वनवास के दुःख झेलती है।विचारणीय है यदि उस समय की सधी और मर्यादाओं  से बंधी राजकन्या हो कि यदि ऐसी स्थिति की सामान्य स्त्रियों की दशा कैसी रही होगी. चुकी इस काल में स्त्रियों को आर्थिक दृष्टि से पर्याप्त अधिकार प्राप्त है। माता-पिता आदि से प्राप्त धन स्त्री धन था ही विवोहरान्त या विवाह के समय पर आप उपहारों पर भी स्त्रियों का अधिकार था किंतु मनु विधान के अनुसार वह उसकी संपूर्ण स्वामिनी नहीं थीं। पति का अनुमति के बिना उसका एक पल भी उपयोग नहीं कर सकती थी।

खैर जैसा था- था लेकिन वर्तमान परिपेक्ष में भी हम देखते हैं कि आज भी पुरुषों की मानसिकता यथावत है।

 मुगल शासनकाल में चल रहे भक्ति आंदोलन के फल स्वरुप स्त्रियों को  सामाजिक तथा धार्मिक स्वतंत्रता मिली फलता बदलाव का बीज अंकुरित होने लगा।


【आगे अनुशीर्षक में पढ़े】

©rishika khushi ब्रिटिश शासन काल में स्त्रियों की परिस्थितियों के कुछ सुधार आया, क्योंकि शिक्षा का विस्तार किया गया। लड़कियों की शिक्षा में ईसाई मिशनरियाँ र

DrLal Thadani

🎗️रचना का सार..📖 मंच की ओर से आप सभी रचनाकारों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..🇮🇳😊🙏 हर क्षेत्र में अग्रणी, सिरमौर रहे मेरी इंडिया #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #स्वतंत्रतादिवस #रचना_का_सार #rksQuotes

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हर क्षेत्र में अग्रणी, सिरमौर रहे मेरी इंडिया 
गौरवशाली इतिहास की प्रतिबिंब बने मेंरी इंडिया
सुखों का न पड़े अकाल और न सूखे की प्रतिछाया
लहलहाते खलिहानो सी मुस्काती रहे मेरी इंडिया
आडंबर से कोसों परे अंध्याति चकाचौंध से दूर
प्रेम और शांति की सदैव प्रतीक बनी रहे मेरी इंडिया
न अराजकता का भय हो और न आतंक का साया 
तिरंगे झंडे के साथ नित् नई बुलंदी छुए मेरी इंडिया

डॉ लाल थदानी  / अल्फ़ाज़_दिलसे
 🎗️रचना का सार..📖 मंच की ओर से आप सभी रचनाकारों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..🇮🇳😊🙏
हर क्षेत्र में अग्रणी, सिरमौर रहे मेरी इंडिया

DR. SANJU TRIPATHI

#czचिंतन #collabzone #yqcollabzone #collabwithcollabzone #विश्व_रंगमंच_दिवस विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच

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विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच

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निबंध:- भारतीय संस्कृति ********************** ""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी भारतीय संस्कृति है, वास्तुकला का सुमेलन और गीतों क #भारतीय_संस्कृति #restzone #rzसाहित्य #rzहिन्दीकाव्यसम्मेलन

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""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी  भारतीय  संस्कृति  है,
वास्तुकला का सुमेलन और गीतों का गुंजन तो वाणी में प्रीति है,""

सम्पूर्ण निबंध अनुशीर्षक में पढ़े। 
निबंध:- भारतीय संस्कृति
**********************


""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी  भारतीय  संस्कृति  है,
वास्तुकला का सुमेलन और गीतों क

HP

शासन

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राजशासन और सामाजिक संस्थानों द्वारा यह प्रयत्न किसी न किसी रूप में रहता ही है कि जनता का शरीर, मन और सामाजिक स्तर सुस्थिर रहे। शासन
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