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Doli dk
यह कदम का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे, मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे। कदम का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे, मै उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे। ले देती अगर बांसुरी तुम दो पैसे वाली, किसी तरह नीचे हो जाती या कदम की डाली। कदम का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे, मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे। ©Doli dk बचपन की कविता किसको किसको याद है
Arora PR
Life Like इस जगत मे एक भी शख्स ऐसा नहीं जिसमे जन्नत पाने की तलब न उठती हो लेकिन कोई ज़ब तक़ मरेगा नहीं वो जन्नत की उम्मीद कैसे कर सकता है? ©Arora PR जन्नत की तलब
पंकज कुम्हार
#DearZindagi हमने भी छोड़ा है दिल आसमां में किसी जन्नत की हूर के लिए मिलेगा एक दिन वो चेहरा दीदार-ए-नूर के लिए जन्नत की हूर
santosh bhatt sonu
जन्नत की ख्वाहिश थी, लेकिन कर्म नही थे। खुदा के दरबार मे सब आत्माएं थी कोई जाति, धर्म नही थे। मैं भी खड़ा था। इसी सोच में पड़ा था। क्या करके आया है, क्या करना था बचा हुआ किसने कोसा , किसने धिक्कारा ,किसने दी दुआ क्या कमाया जिंदगी में, क्या बांटा किसने शाबासी दी , किसने कब कब डांटा था। हर कर्म नजर आ रहे थे, और नम्बर बस आने वाला था। मैं तो सबका भला करता आया हूँ, यही भरम मैंने पाला था। किसी की कभी नही सुनी सीना ताने निगला हर एक निवाला था फिर भी अपनी गलती नजर नही आई हमेशा किसी और कि गलती निकाला था। आज भी अकड़ में ताना सीना था गुरुर को मारना था, खुद को मिटा दिया शायद गलती कर दी यहां आकर, मुझे तो जीना था भावनाएं थी जज्बात भी थे बस अदा में मेरी कोई भाव नर्म नही थे जन्नत की ख्वाहिश थी लेकिन कर्म नही थे। जन्नत की ख्वाहिश #santosh_bhatt_sonu
Sakshi Choudhary
ख्वाहिश हो गर दीदार- ए-जन्नत की, मुलाजिम लग जाना सेना मे तुम। "धरती की जन्नत" #lovearmy