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Pankaj Wadhwani Advocate
वो SabnamKhatoon
अपने जीवन को संवारने के लिए हम लोग ना जाने कितने परिश्रम करते हैं। जीवन में खुशियां हो या ना हो यह तो दो पहलू पर निर्भर करता है। एक तो कर्म और दूसरा समय। मेरे हिसाब से यह दो पहलू ही अहम है जीवन के लिए। ©वो SabnamKhatoon जीवन पर कविता
sachin
ख़ुशहाल जीवन के सफ़र कविता अभी चांद ने छुपा है अपने पर्दे में, तारों ने सजाया है आसमान हैं सजने में। स्वप्नों की उड़ान लिए बचपन की दिखाई, खो जाएँ ये दिन, पर सब रहेंगे बनाए। माँ की गोदी से जुड़ा था हर पल ख़ुशियाँ, दोस्तों के साथी, सबके दिल का राज़ियाँ। जीवन की राह में मिले नायिका जैसी बांसुरी, सुनाये धुन ये जीवन की, है यही ख़ुशियों की सूरी। बिखरे रंग एक करके, सजी यह धरती, प्रेम की राहों में रंगे अपनी यह धरती। चलो एक साथ बिताए इस जीवन के पल, प्रेम और सद्भावना से भरे यह आगाज़ के खेल। ख़ुशियों के संग जलेंगे यह दिलों के दीप, हर दिन रहेंगे यह मिलकर ख़ुशियों के संगीत। यही हैं जीवन के सबसे प्यारे सपने, जीने की चाहत से भरी यह आंखों की झलकने। चलो चलते हैं नए अनमोल पलों की ओर, बनाए एक ख़ुशहाल जीवन के सफ़र को सौभाग्य से भर दें हम सब साथ होकर। ©Vishesh Indian #कविता (खुशहाल जीवन के सफर)
Yogi Sonu
आप लोगो को नैतिकता के बजाएं मानवता सिखाइए नैतिक मूल्यों का कोई मोल नहीं जो मानवता का है । ©Yogi Sonu आप लोगो को नैतिकता के बजाएं मानवता सिखाइए नैतिक मूल्यों का कोई मोल नहीं जो मानवता का है । #astha
Ek villain
मूल्य वह है जो मानव व्यवहार सोच नजरिए और व्यवहार को एक सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन देकर जीवन को परिष्कृत सार्थक और गरीबी ए बनाते हैं यह वह कसोतिया है जिनके आधार पर हम उचित अनुचित और कल्याण कल्याण आदि का निर्धारण कर सकते हैं मनुष्य अपने जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करते हैं इसी लक्ष्य की प्राप्ति में जो आदर्श सहायक बनते हैं वही वास्तव में मुल्ले होते हैं जिसके कारण मनुष्य पथभ्रष्ट और पत्र विमुख होने से बचे रहते हैं मुल्ले मानव जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाते हैं जिससे मनुष्य के भीतर सदाचार और उन्नत चरित्र का निर्माण होता है इन्हीं आत्महत्या करने से जीवन में व्यक्तित्व और चरित्र उत्थान होने के साथ-साथ स्वास्थ्य और संतुलित जीवन एवं राष्ट्रीय का विकास होता है मूल्य ही नेता की स्थिति सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक असंतुलन की संकेता होती है वही मूल्यों के विकास से यह सभी मापदंड सम्मिलित होते हैं परिवारिक मूल्यों के निर्माण की पहली सीढ़ी है जो मूल्य को मूल्यों से परिचित कराती है ऐसा इसलिए क्योंकि बाहर मन को नैतिक और अनैतिक का ज्ञान नहीं होता इसलिए बच्चे का नैतिक व अनैतिक की प्रति जागरूक होना मुख्य रूप से परिवारिक एवं परिवारिक परिवेश पर निर्भर करता है इसके उपरांत मूल्य निर्माण में समाज शिक्षा और सामाजिक आर्थिक पर आवेश की भूमिका होती है जहां व्यक्ति के भीतर व्यक्तित्व परिवर्तन चारित्रिक परिवर्तन परिपक्वता और व्यवहारिक समझ विकसित होती है यही सत्य है कि किसी भी राष्ट्रीय समाज और व्यक्ति की पहचान उसके मूल्यों के द्वारा ही होती है भारतीय जीवन शैली और सांस्कृतिक के व्यापक परिवेश में हमेशा से मूल्य पर दांता की स्थिति आरंभ से ही विद्वान रही है इतना ही नहीं यह परंपरा बारंबार प्रकट और अभिव्यक्त होती आई है बुल्ले प्रधानता की यही समृद्धि परंपरा भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखती है ©Ek villain # मूल्यों का महत्व मानव जीवन में #WritingForYou
Nadim Bhati
भारत के राष्ट्रपति के रूप में नि:स्वार्थसेवा और नैतिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्द रहे डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद जी की प
Rajveer Salvi
Alone दासता–ए–बेरोजगार चार बायीं छ: फ़ीट के बन्द कमरे में, बैठ स्कूल लेक्चरार की तैयारी में, जुटा है एक किशोर| कुछ बनने की ख्वाहिश लेकर चन्द सालों पहले अपना घर छोड़, कई मिलों दूर चला आया है, एक किशोर| बीते साल रीट में कुछ पॉइंट से रह गया था वो, इस अवसाद के साथ एक अनसुलझी, ख़ामोश ज़िन्दगी से बहुत कुछ ना कहते हुए भी, बहुत कुछ कह रहा है, एक किशोर| रोज़ इस फ़िराक से की कही पीछे ना छूट जाऊ मंझिल की राहों से, इस कम्पा देने वाली सर्दी में भी जल्दी उठ जाता है, एक किशोर| रुपयों की अहमियत और मेहनत की कमाई से जोड़ें पैसों की क़द्र समझ, कई किलोमीटर दूर कोचिंग तक पैदल अपने हौसले भरे पैरों से बढ़ा जा रहा है , एक किशोर| सर्दी आ रही है, मम्मी ने अपने हाथों की गर्म नरमाहट, प्यार और आशीर्वाद से भेजें स्वेटर को पहनकर, इस ढलती शाम में भागते वाहनों को चीरते हुए, अपने कमरे की ओर बढ़ रहा है, एक किशोर| पापा कह रहे थे, बेटा इस बार फसल अच्छी हो जाए तो, कुछ पैसे ज्यादा भेजूँगा, तू एक अच्छा नया स्वेटर ले लेना और पाव भर दूध भी लाकर पी लेना, बीते महीने तू आया था तो बड़ा कमज़ोर दिख रहा था, पापा के दुलार को बढ़ाने में दिन रात जुटा हुआ है, एक किशोर | पर यह क्या था , इस बार तो बारिश बहुत हुई पक्क चुकी फसलें पानी से भर गई चारों ओर खेत में पानी ही पानी था , पापा के इस दुःख पर अपनी ज़िंदगी से कई शिकायतों के सवालों, के सैलाब से जूझ रहा है, एक किशोर | छुटकी बोल रही थी, फ़ोन पे भैया महीनों हो गये आपको देखे, दीवाली भी आ रही है, आओगे ना आप इस बार , ना जाने बदलतीं सरकारें और सत्ता पाकर बेसुध हुए दो-दो शहनशाहो का, कब परीक्षा फ़रमान जारी हो जाये इस डर से इस बार दीवाली पर जाने से कुछ नरवश सा हो गया है, एक किशोर | बदलती सरकारों और बदलतें फैसलों महँगाई के चंगुल तथा शिक्षामंत्री जी की, चिड़िया उड़ कोवा उड़ खेल में बुरी तरह फंस चुका है, आज का हर एक किशोर | इस उम्मीद से की एक दिन नई सुबह आएगी उसकी जिंदगी में यही सोच रूखी सुखी रोटी खा कर चंद बिस्तर लिपटकर सो रहा है, एक किशोर | लेखक – कैलाश चंद्र सालवी #alone मेरी पहली कविता मेरे जीवन पर...
Sabir Khan
नैतिक शब्द पढ़ना आसान है परंतु नैतिकता अपनाना दुनिया का सबसे कठिन कार्य है। जिसने नैतिकता को अपनाया उसका संसार में बुरा हाल रहा है किंतु वह कालजयी हुआ है। ऐसे महान व्यक्ति ही इस संसार की नींव हैं, जिनके कारण आज संसार खड़ा है। नैतिक