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Mohan raj
अगर आप डर से डरते हैं तो यह डर आपको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देगा, इसलिए डर से डरें नहीं, आगे बढ़ें जहां आपकी मंजिल है। If you are afraid of fear, then this fear will never let you move forward, so don't be afraid of fear, move forward where your destination is. Har har Mahadev ©Mohan raj #Life.lessons.fear अगर आप डर से डरते हैं तो यह डर आपको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देगा, इसलिए डर से डरें नहीं, आगे बढ़ें जहां आपकी मंजिल है।
Dheeraj saini dheer
यहां किसकी बात करूं और किसे गलत ठहराते जब वो बढे ही नहीं आगे हम भी रहे कतराते जब किस्मत में लिखी ही नहीं वो खुशनसीबी अब तुम ही बताओ हम भी कहां तक किस्मत आजमाते ... dheeraj saini dheer... ©Direct Dil se किसकी बात करूं और किसे गलत ठहराते जब वो बढे ही नहीं आगे हम भी रहे कतराते जब किस्मत में लिखी ही नहीं वो खुशनसीबी अब तुम ही बताओ हम भी कहां
Abhishek
मतलब कमाल है वो एक दम से चलते चलते अपने बालों को खींचती है फिर उसे लपेट गूथ लेती है। इतना ही नहीं आगे से दो लटे अपने चेहरे पे भी गिरा लेती है। . . . कम्बक्त हमारी आँखें तो उसकी कारनामों को ताकते ही रह जाता है।
shubham hirode
चलो छोड़ो और ले आओ वो शब्द, जो मुझे ये समझा दे..! तुमसे प्यार करने की भूल..,मुझकों ही समझा दे.! चलो आओ वह नादानियां करते हैं समझ समझ के जो ना समझे वह समझ के ना समझे। छोड़ो मुझे याद नहीं आगें तुम ही सोच समझो😉😏🤝✍️🙋♂️ काल्पनिक इश्क की याद
lalitha sai
अगर एक समझदार व्यक्ति.. वाकई में समझदार होता तो.. सबके दुःख और दर्द को समझता.. अपना दुःख को दुःख मानकर.. दूसरों का दुखों का.. सबके सामने.. बार बार.. मज़ाक ना बनाता होता..😠 #goodwalinight #lalithasai #myworld सुनो.. सिर्फ आपने विचार को सही मनवाना नहीं.. आगे वालों को भी सुनने और समझने की कोशिश तो करो.. हर बार आप
#maxicandragon
#पिछवाड़े_का_प्यार घर छोटा था, सब जगह दरार सामने दुकान और कमरे चार कभी अब्बू बैठे तो कभी यार दुकान थी जैसे जी का जंजाल अम्मी कि सिगडी पहरेदार कैसे करें मियां अपनी का दीदार वो आती थी तो दिखती न थी जब हम करते पैखाना ऐ दीदार प्रहर बीत गया बैठे पैखाने पर आहट न आई दोबार घर के पिछवाड़े कोई द्वार नहीं आगे मिलना कोई सार नहीं आगे पीछे होते होते बीत गए हैं बरस चार गाडी अब्बू की मेरी हो गई अब्बू का हो गया इंतकाल घसट के मै सामने आता बन गया हूँ दुकानदार वही आवाज कहीं से जब आई हो गया मै बेकरार ढूंढा देखा ताका जैसे चौपट हो गया घर संसार चमगादड़ सी दिखने वाली न वो नर थी न वो नार बनाओ पंचर छोड़ प्यार ऐसा था पिछवाड़े का प्यार #नाम_अब्दुल_है_मेरा_सबकी_खबर_रखता_हूँ #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #पिछवाड़े_का_प्यार घर छोटा था, सब जगह दरार सामने दुकान और कमरे चार कभी अब्बू बैठे तो कभी यार दुकान थी जैसे जी का जंजाल अम्मी कि सिगडी पह
Mohammad Arif (WordsOfArif)
इस तरह नकल पे नकल करना ठीक नहीं आगे चल के सब के सब फेल हो जाओगे एक ही उत्तर जब सब लिखेगे मास्टर साहब कापी देखकर हैरान व परेशान हो जायेगें कोई सच बात लिखने को तैयार क्यूँ नहीं इस सोच में साहब भी बीमार हो जायेगें कितनी मेहनत से परीक्षा की तैयारी कराया मालूम ना था सब के सब गदहे हो जायेगें #NojotoQuote इस तरह नकल पे नकल करना ठीक नहीं आगे चल के सब के सब फेल हो जाओगे एक ही उत्तर जब सब लिखेगे मास्टर साहब कापी देखकर हैरान व परेशान हो जायेगे
Kumar.vikash18
हम पढ़े लिखे बुद्धिजीवी सरकार यहाँ बनाते हैं , और चार जमात पढ़े लिखे को अपने सिर बैठाते हैं ! अनपढ़ बैठे मंत्रीमंडल में सरकार यहाँ चलाते हैं , हम पढ़े लिखे बुद्धिजीवी बस हाँ में हाँ मिलाते हैं ! यही वजह है देश का अपने हो रहा बंटाधार है , भारत देश के हम पढ़े लिखे बुद्धिजीवों पर धिक्कार है ! अभी समय कुछ बिगड़ा नहीं आगे आके देश बचाओ , अपने मत अधिकार का सही उपयोग कर देश को भ्रष्ट नेताओं से मुक्त कराओ !! #NojotoQuote हम पढ़े लिखे बुद्धिजीवी सरकार यहाँ बनाते हैं , और चार जमात पढ़े लिखे को अपने सिर बैठाते हैं ! अनपढ़ बैठे मंत्रीमंडल में सरकार यहाँ चलाते हैं
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
खोज में हूँ खुद की कब से कहाँ ना जाने क्या क्या कर सकता हूँ खुद की भूल से भी हूँ परिचित यहाँ सजा भी खुद के लिए कहर रखता हूँ रात की शीतलता ही काफी नहीं आगे बढ़ने के लिए कदम कदम छाँव मिलेगी नहीं तो क्या हुआ मैं खुद के लिए दोपहर रखता हूँ जो ना हुआ मेरा उनसे क्या गिला आशाएँ बहुत हैं पर कुछ कहाँ मिला जो ना मिले सुकून के पल किसी से मैं संग अपने खुद एक शहर रखता हूँ खोज में हूँ खुद की कब से कहाँ ना जाने क्या क्या कर सकता हूँ खुद की भूल से भी हूँ परिचित यहाँ सजा भी खुद के लिए कहर रखता हूँ रात की शीतलता ह
AwadheshPSRathore_7773
कभी-कभी लिख दिया करो "जयश्रीराम" कितना दिल हल्का और मन का बोझ दूर हो जाता है सच कहूँ तो "राम से बड़ा राम का नाम होता है....मैंने आज तक राम नहीं देखे पर"राम-नाम"लेकर राम को अपने अंदर जीता हूं महसूस तो कर ही सकता हूँ वर्ना मरने के बाद तो भीड़ इकट्ठी हो ही जाएगी बोलते हुए कि "राम नाम सत्य है" वैसे भी कई बार कहने वाले कहते हुए देखे जा सकते हैं - "श्मशान में भीड़ बहुत है आज/लगता है कोई बड़ा आदमी आया है" जबकि नादान लोग यह नहीं जानते की भाई "मरने के बाद न कोई छोटा है ना कोई बड़ा"....क्या खूब कहा है किसी ने की "जिस किसी व्यक्ति को अपनी दौलत शोहरत पर घमंड हो उसे एक फेरा रोज श्मशान घाट का लगा ही लेना चाहिए सारे भ्रम दूर हो जाएंगे "यह तेरा यह मेरा" के.👊 वैसे भी इस स्वार्थ से वशीभूत दुनिया में कौन अपना है, यह देखने के लिए बहुत दूर तक जाना पड़ता है क्योंकि अपने जो होते हैं वो पास से नहीं और पराये जो होते हैं, वो दूर से समझ नहीं आ पाते क्या कहते हो सही हूं ना मैं 👍 ©AwadheshPSRathore_7773 #Exploration of Life कभी जीवन में जीवन की खोज कभी जीवन में प्यार की खोज करते करते कब मनुष्य जीवन के यथार्थ सत्य की और बड़ जाते हैं हमे पता न