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malay_28

निर्वस्त्र हुई  द्रौपदी  सरे  बाज़ार में
जल रही मानवता  दहके अंगार में
धृतराष्ट्र  हैं  बैठे  अपने  दरबार  में
सब  ठीक  चल  रहा  है  राज्य  में
दरबारियों ने कहा  एकल  कंठ  से
सबका अडिग विश्वास है सरकार में.

©malay_28 #धृतराष्ट्र

Shambhu Nath Pankaj

धृतराष्ट्र होगए हम? #विचार

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Anjali Jain

धृतराष्ट्र,
तुम जैसे ज्येष्ठ पिता घर - घर में हो जाएँ
तो हर घर में प्रतिदिन, प्रतिक्षण महाभारत घटता रहेगा!
क्या कंस और शकुनि मामा की तरह
ज्येष्ठ पिता धृतराष्ट्र भी एक प्रतीक बन जाए
रिश्तों के प्रति निर्ममता का
अपने रक्त संबंध के प्रति अंध स्वार्थ का! 
तुम्हारे अंधे पुत्र मोह ने सभी पांडवों और
कौरवों के जीवन को अँधेरे में भटकने को छोड़ दिया
विदुर और कृष्ण ने संभव्‍य मार्ग खोजे
 और षड्यंत्रों का, कुटिलताओं का
पटाक्षेप हुआ!! #धृतराष्ट्र #09. 05.20

Anjali Jain

#वाह रे धृतराष्ट्र 27. 04.2.

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क्या धृतराष्ट्र सचमुच अंधे थे?
धृतराष्ट्र अपनी नेत्र हीनता को कोसते रहे
उसी की ढाल बनाकर, दीन - हीन बने रहे
पूरे जीवन भीष्म, द्रोण, विदुर
और पांडवों जैसे महान विद्वानों, 
अद्भुत वीरों को 
अपनी दीनता का जल पिला पिला कर
 खामोश करते रहे 
और महाभारत करवा बैठे! 
वाह रे धृतराष्ट्र! 
अद्भुत तेरी नेत्रहीनता! 
अद्भुत तेरा पुत्र मोह!! 
 #वाह रे धृतराष्ट्र #27. 04.2.

Bishnu kumar Jha

धृतराष्ट्र के अंधे होने का कारण #History #पौराणिककथा

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DR. LAVKESH GANDHI

धृतराष्ट्र # जब समाज आंखें फेर ले # blindtrust

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जब-जब समाज में बुद्धिजीवी
आँखें बंद किये धृतराष्ट्र सरीखे हो जाएंगे 
तो चीर-हरण तो होगा ही...

©DR. LAVKESH GANDHI धृतराष्ट्र
# जब समाज आंखें फेर ले #

#blindtrust

Anjali Jain

##धृतराष्ट्र की दमित लालसाएँ 12. 04.20 laksha grih prasang

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धृतराष्ट्र की दमित लालसाएँ और महत्वाकांक्षाएँ
उनकी सहृदयता पर भारी पड़ गई आज!

लोभी दुर्योधन की राज्य - लिप्सा
रक्त - संबंधो का भक्षण कर गई आज!

पिशाच शकुनि की रक्त - पिपासा
मनुष्यता को लील गई आज!! ##धृतराष्ट्र की दमित लालसाएँ #12. 04.20 laksha grih prasang

writervinayazad

✍️✍️ धृतराष्ट्र का वध कोई नहीं करता उसे तो स्वयं ही मरना होता है #विनय_आजाद #writervinayazad #धृतराष्ट्र #वध #मरना #स्वयं

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✍️✍️
धृतराष्ट्र का वध कोई नहीं करता
उसे तो स्वयं ही मरना होता है

©writervinayazad ✍️✍️
धृतराष्ट्र का वध कोई नहीं करता
उसे तो स्वयं ही मरना होता है
#विनय_आजाद #writervinayazad #धृतराष्ट्र #वध #मरना #स्वयं

Axar

धृतराष्ट्र अंधे क्यो थे... #Mythology Courtesy - Manvendra Chauhan

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Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

धृतराष्ट्र का मौन #paper Mr. Raj Pallavi Srivastava Shivam Singh Baghi

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हस्तिनापुर के उस सिंहासन पर।
मौन कठिन धृष्टराष्ट्र का भारी थी।
हे माधव-हे केशव तुम अब कहां हो?
था गुंजित प्रलाप उस अबला सी नारी का।
यह अपमान कठिन सा, भाला सा चुभ जाए।
द्रवित हृदय कंपीत सा हुआ सुदर्शन धारी का।।

यह संशय था, फिर से संयुक्त रहेंगे।
पांच गांव दे-दे फिर मुख से कुछ ना कहेंगे।
जो हुआ सो समय व्यतीत, अब तो चुप ही रहेंगे।
अपना पन के मोल भाव पर धनुआँ नहीं गहेंगे।
क्या यह संभव होगा, बहने को आतुर शोणित रुक जाए।
शायद तभी भय से कंपीत था, मातृ हृदय गांधारी का।।

संशय की समीधा को पुर्ण विराम परे तो कैसे।
अर्जुन कि दुविधा है, अपनों से लड़े तो कैसे।
और वही अपमान सभा का ध्यान करें तो कैसे।
हे माधव तुम ही बतला दो, रणभूमि में प्रयान करें तो कैसे।
अब क्या यह संभव हो, जब समय गति चुक जाए।
धर्म ज्ञान से मर्म भरा था शब्द यही गिरधारी का।।

अहो कुरूछेत्र रण शोणित श्रृंगार करने को।
आ खड़े हुए रथी-महारथी रण में मरने को।
है कार्य वीरोचीत यही समर भूमि वरण करने को।
वीर कुमार अभिमन्यू भी आ डटा युद्ध लड़ने को।
वह वीर ही क्या जो समरांगन में कायर सा झुक जाए।
शोणित-शोणित यूं बहता हो, ज्यों हो द्रोपदी के सारी का।।

छिन्न-भिन्न सा नियम रहा समरांगन की क्यारी का।
अपनों ने अपनों को मारा ,क्रुध हृदय था नारी का।
शोणित से दहल रहा था यह दुख हस्तिनापुर का भारी था।
बस एक सुदर्शन चलता था, माधव मदन मुरारि का।
अब तो कुरूछेत्र का तेज प्रबल हुआ, कैसे अब वो रुक जाए।
धरती के हृदय में समा गया पहिया कर्ण के गाड़ी का।।

अहो केशव “काश नहीं होता पुत्र प्रेम सिंहासन पर भारी।
रण कुरूछेत्र ना होता ,हस्तिनापुर में ना होती विधवा नारी।
नहीं दुर्योधन के मरने पर, जी भर कर ना रोती गांधारी।
अहो काल-कवलित ने हस्तिनापुर पर कुपित नयन को डारी।
काश युद्ध विराम हो और विस्मय का सूर्य अब छुप जाए।
लाशों का अंबार लगा था, यह कर्ज था उस अबला के सारी का।।

©Madanmohan Thakur (मैत्रेय) धृतराष्ट्र का मौन

#paper  Mr. Raj  Pallavi Srivastava  Shivam Singh Baghi
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