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Parasram Arora

नदी
नदी  बनने से पहले  एक कुंड के रूप में होती हैऔर कुंड से
रिसते रिसते  एक दिन वो नदी  बन जाती है
और कालांतर में वो नदी   बहते बहते  सागर  में गिर कर  
सागर भी बन जाती है
.
इसी तरह विकास का पथ  पहले पगडंडी  के रूप मे.होता है फिर सड़क का  आकार लेता है. इसके बाद वो सड़क 
 राजपथ  बन जाती है  और वो हमारी सूद्रड 
यात्राओं का मार्ग प्रशस्त करता है

लेकिन हमारा जीवन  विकास की तरफ न जाकर
अविकास की ओर गति करने लगता है...
जैसे  पहले प्रेम   प्रेम और  प्रेमिका 
के रूप में होता है ज़ो बाद में
विकसित  हो कर  पति पत्नी में तब्दील हो जाता है
और ततपश्चात्. माता पिता बन कर एक आदर्श  दम्पती
का  आकार ले लेता है...... लेकिन ज़ब वो दम्पति  प्रौड़  हो जाता
है तो   उन्हे  किसी वृद्धाआश्रम   की शरण में  भेज दिया जाता है

©Parasram Arora विकास vs अविकास

विकास vs अविकास #कविता

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Ajay Kumar

 जन जन का विकास भाजपा का विकास

जन जन का विकास भाजपा का विकास #nojotophoto #विचार

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Dev singhaniya

यही जीवन का सिद्धांत है

यही जीवन का सिद्धांत है

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Santosh Verma

पावलाव ई कुत्ता तोहार,
ले लियो नोबेल पुरस्कार।
एक रशियन ने....एक रशियन ने,
दिया एस अनुबंधन का सार ,
ले लियो नोबेल पुरस्कार।।
अनुबंधन क्लासिकल में आया,
अनुक्रिया अनुकूलित में आया,,
संबद्ध प्रतिवर्त में आया,
सम्बन्ध प्रत्यावर्तन में आया,,
शास्त्रीय अनुबंधन में...शास्त्रीय अनुबंधन में,
नाचे डमरू पे बंदर हमार,
ले  लियो नोबेल पुरस्कार।।
अनुकूलन चिरसम्मत को देखा,
अनुबंधन प्रतिवादी देखा,,
सीखते मंद बालकों को देखा,
देख बिजूका...देख बिजूका ,
पक्षी गयो भाग पार,
ले लियो नोबेल पुरस्कार।।
जोड़, घटाना, गुणा भाग सिखाए,
स्वच्छता, सफाई आदत अच्छी सिखाए,
ज्ञान समय पाबंदी का कराए,
बढ़ गयो बड़ों का सम्मान हजार,
ले लियो नोबेल पुरस्कार।।
पावलाव ई कुत्ता तोहार,
ले लियो नोबेल पुरस्कार।।
writer(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले
खुद की ज़ुबानी

©Santosh Verma पावलाव का सिद्धांत(मनोविज्ञान)

#hills

पावलाव का सिद्धांत(मनोविज्ञान) #hills

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बबलू सिंह "बेदर्दी "

चर्चा है आज...........विकास का दौर मेंहुआ सहायक सात निश्चय साथधन कमाने का जरिया बनाजल नल गली नाली आज.खूब कमाए साहिब सॉन्ग,मुखिया वार्ड और सरपंच.पानी बिन प्यासा रहाआम जनता है तंग।नीतीश जी की छवि निराली,बन गई बाला अब नारी,धन कमाने क्या सीखे गुर,मूल मंत्र से हुए हजूर।जीविका बनके दीदी कहलाई,आशा बन के घर पैसा लाई।छुपा कहां सब कमाने का जरिया,मानदेय मिलता है बढ़िया,कॉस्मेटिक दुकानदार भी है खुशभाभी अब ना मांगती छूट।पान खाए भैया की बारी,प्रेस कराने ली जाती साड़ी,कहे बेदर्दी ई क्या भाई,बड़े साहब के घर पार्टी है भाई ।.... #Art ये विकास है . ये बिकास है.....

#Art ये विकास है . ये बिकास है.....

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Manoj Bhatt

(हिन्दी का उद्भव और विकास)

हिंदी  से मैं पढ़ा लिखा  
हिंदी की बात बताता हूं,
हिंदी     है     मां     मेरी 
में उसकी गाथा गाता हूं।

संस्कृत है जननी उसकी  
उर्दू   कि  वो  बहन  बनी,
पांचों को फिर गोद लिया 
       ना जाने कितनों का रूप बनी।

तुलसी का वो मानस है  
सुर-मीरा का गीत बनी,
वीरों   का  वो   रासो  है 
  जन-जन का संगीत बनी।

 अ  अज्ञानी से  शुरू  हुई
      ज्ञ  ज्ञानी बना कर छोड़ा है,
ऐसी   है   वो  मां  हिंदी 
       जिसने सबका दिल जोड़ा है।

ऐसी  हिंदी  की  गाथा  
कैसे   तुम्हें   बताऊं   मैं,
 चंद  शब्दों  में  कैद  कर  
 महिमा   कैसे  गाऊ में ।।
                     (m.bhatt)

©Manoj Bhatt #हिंदी का विकास

#हिंदी का विकास

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sweet babu

कि छूले आसमा इन्हें हमें बताना है क्या सच क्या झूठ यह दुनिया को दिखाना है या दिन हो या रात कड़ी मेहनत करके दिखाना है 
जय हिंद जय भारत

©sweet babu
  शिक्षा का विकास

शिक्षा का विकास #कविता

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Manju upadhyay

वीरता के साथ आगे बढ़ो,। एक दिन या एक साल में सिद्धि की आशा ना रखो.,।उच्च तम आदर्श पर दृढ़ रहो,। स्थिर रहो। , स्वार्थ परत व ईष्र्या से बचो, आज्ञापालक बनो। 

 Manju upadhyay व्यक्तित्व का विकास

व्यक्तित्व का विकास #विचार

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hanif shaikh

अच्छे दिन आये 
बीलकिस बानो के 
 ११ बलात्कारी भगवे ब्रांम्हण 
जेल से बहार आये 
सब का साथ 
बलात्कारी का विकास

©hanif shaikh
  बलात्कारी का विकास

बलात्कारी का विकास #जानकारी

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Jagmeet Anil Yadav

सपा का विकास,

सपा का विकास, #सस्पेंस

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Nk Gupta Ji

दिल्ली का विकास।

दिल्ली का विकास। #कॉमेडी

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अद्वैतवेदान्तसमीक्षा

कर्म का सिद्धान्त
     आंख ने पेड़ पर फल देखा .. लालसा जगी.. 
आंख तो फल तोड़ नही सकती इसलिए पैर गए पेड़ के पास फल तोड़ने..
पैर तो फल तोड़ नही सकते इसलिए हाथों ने फल तोड़े और मुंह ने फल खाएं और वो फल पेट में गए.
अब देखिए जिसने देखा वो गया नही, जो गया उसने तोड़ा नही, जिसने तोड़ा उसने खाया नही, जिसने खाया उसने रक्खा नहीं क्योंकि वो पेट में गया
अब जब माली ने देखा तो डंडे पड़े पीठ पर जिसकी कोई गलती नहीं थी ।
लेकिन जब डंडे पड़े पीठ पर तो आंसू आये आंख में क्योंकि सबसे पहले फल देखा था आंख ने
यही है कर्म का सिद्धान्त कर्म का सिद्धान्त

कर्म का सिद्धान्त

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Rohit Kumar Prajapati

निर्भया रेप काण्ड 

निर्भया के घर से महज चार से पांच किलोमीटर मेरा घर होगा । मै अक्सर सुबह running के लिए निकलता हूं ।आजकल उसके घर से नेशनल हाईवे रोड बनाने कि तैयारी हो रही है । एक छोटा सा गांव मेरौडा कला जो मुश्किल से 100 घर होगा ।अब विकास कि दर पर है ।
यह विकास कि दर क्या बस उसी गांव में होना चाहिए या फिर और गांव में भी ।
यह राजनैतिक सत्ता क्या क्या ------- करेगा देखते हैं ।
हमारे देश में जाने कितने गांव होंगे उनका विकास कब होगा ? ।
जब निर्भया जैसी और लड़कियों का उसके जैसा हाल होगा तब होगा क्या । # आवाज विकास का 
रक्षा का

# आवाज विकास का रक्षा का

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vijender singh

पूजा करने का कोई सिद्धांत नहीं है।

पूजा करने का कोई सिद्धांत नहीं है। #Motivational

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vikash meena

हम मोहताज नहीं किस्मत के हम अपने दम पर बहुत कुछ करना जानते हैं

©vikash meena #किस्मत
#सफलता 
#विकाश 
#विकास 
#Motivation 
#Lines 
#sad
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डॉ रवि शाक्या

अंधाधुंध विकास का नतीजा

अंधाधुंध विकास का नतीजा #ज़िन्दगी

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teachershailesh

कर्म फल का सिद्धांत एक प्रसंग महाभारत से....!

कर्म फल का सिद्धांत एक प्रसंग महाभारत से....! #Motivational

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

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©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust शिक्षा मनोविज्ञान
VEDANT GURUKULAM EDUCATIONAL PSYCHOLOGICAL WORLD
1. मनोविज्ञान के जनक. = अरस्तू
2. मनोविज्ञान के जनक= विलियम जेम्स
3. प्रय

शिक्षा मनोविज्ञान VEDANT GURUKULAM EDUCATIONAL PSYCHOLOGICAL WORLD 1. मनोविज्ञान के जनक. = अरस्तू 2. मनोविज्ञान के जनक= विलियम जेम्स 3. प्रय #जानकारी

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Rajesh Premey

चाँद और वो  जब जब चांद को देखता था
महबूब को उसमें ढुंढता था
कहता था
जा लेकर आ
यै हवा
मेरे महबूब का पता
वो कैसी हैं
और वो हैं कहां
बेकरार हैं दिल
अब क़रार कहा सच का साथ
सब का विकास

सच का साथ सब का विकास

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manoj kumar jha"Manu"

अपने जीवन में कुछ नियम(सिद्धान्त) होने ही चाहिए। 
जिसके जीवन में कुछ शुभ संकल्प या नियम नहीं हैं, वह पशु से भी अधम हैं।
-
परम पूज्य डोंगरे जी महाराज #सिद्धांत बनाएं

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dhalta bachpan

जीवन में आपके सिद्धांत ही,आपकी पहचान है । 
बुद्ध शरणम् धर्म शरणम संघ शरणम गच्छामि।

©dhalta bachpan #God सिद्धांत

#God सिद्धांत #ज़िन्दगी

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Ek villain

वैदिक मान्यताओं के अनुसार ही कोहरा में संयम की अवधारणा के साथ परमात्मा ने इस जगत में जड़ और चेतना दो प्रकार की सृष्टि की रचना की है माध्यम से जगत में सत्यम शिवम सुंदरम की स्थापना करना परमात्मा का मुख्य उद्देश्य था जीवो की सृष्टि से क्रम में उनके सवाल मंगल करने के लिए मनुष्य को वृद्धि विवेक अंकित पर जीवनों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है इसलिए पर मुझ पर अन्य प्राणियों की योग क्षेम का भारती था इसके साथ ही उसकी सरलता सिद्धांत का प्रतिपादन किया है कि मनुष्य के कर्म ही उसके सुख दुख का कारण बनेगी इसमें इसका कोई हस्तक्षेप नहीं होगा वह तटस्थ भाव से केवल साक्षी और दृष्टा रहेगा तभी भारतीय दर्शन और दाम शास्त्री की अवधारणा को मानते हैं इसलिए शास्त्र में ईश्वर सबित्र निभाकर निरूपित साक्षी दृष्टा कहा गया है गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि मनुष्य अपने कर्म करते हुए जीवन में समृद्धि को प्राप्त करता है यही ज्ञान योग और भक्ति योग का भी आधार है अति सुख दुख लाभ हानि और यश अपयश के हेतु स्वयं मनुष्य के कर्म है हाल ही के वर्षों में अनुभव किया गया है कि पूरी दुनिया में मैं ना केवल मानव जाति आपूर्ति अन्य जीव सहित संपूर्ण पर्यावरण के लिए संकट खड़ा हुआ है जियो की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है नदियां प्रदूषण का दंश झेल नहीं रही है दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरे में दो-चार हो रही हैं पर्यावरण संतुलन से पर्वत विश्वकप अदाओं से आम जीवन जीवन शास्त्र और है करुणा जैसी महामारी आदि दिन मानव जीवन को चुनौती दे रही है यह सब प्रकृति के कार्य में अवश्य मनुष्य की सोच का परिणाम है वस्तुत यह नए साल हमारे लिए कोई चुनौती भी लाते हैं और भूल सुधार के लिए नए अवसर भी हमें जीवन मात्र के कल्याण इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए यह सब साथ कर्म पथ पर अग्रसर हो

©Ek villain # मानव जीवन में कर्म फल का सिद्धांत

#HappyNewYear

# मानव जीवन में कर्म फल का सिद्धांत #HappyNewYear

8 Love

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Marutishankar Udasi

छोड़ो उदासी सब काम सबसे जरुरी मतदान
बनो विकास का हाथ छोड़ के धर्म व जात

©Marutishankar Udasi बनो विकास का हाथ

#selflove

बनो विकास का हाथ #selflove #विचार

10 Love

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Ek villain

सीखना अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है हम जीवन में कुछ भी कर रहे हो उससे कुछ ना कुछ सीख रहे होते हैं कभी भी प्रत्येक दिखाता है तो कभी चेतना में ही एक ही तो होता रहता है इस समय आने पर किसी दुर्बल प्रतिभा के रूप में प्रकट होता है जब आप कार्य की उचित ढंग से कृपया विनती कर पाते हैं तब अपने आप सुनिश्चित करने का प्रयास कर डांस सीख जाते हैं कभी कभी आराम से ही दृष्टि होने लगती है परिणाम स्वरूप कार्य में सफलता मिलती है परंतु आज सफलता जितनी है उतनी सफलता परिचित नहीं करती आप असफलता में जितना कठोर गुरु कोई नहीं होता इसके विपरीत निरंतर मिलती हुई सफलता व्यक्ति में आत्मविश्वास को जन्म देती है पतन महत्वपूर्ण बना देती है अंतिम सत्य यही है कि हम सीखते हैं फिर चाय सफल रहे हैं या फिर असफल क्या आप नींद में कुछ सीखते हैं नींद एक शाहदरा का समान है जैसे कुछ प्राणियों को शांत निष्क्रियता में जाना पड़ता है उस दौरान कोई हलचल नहीं होती ना दुख का अनुभव होता है ना सुख का ना ही कोई सबक सीखने को मिलता है कुछ लोग मानव जीवन में भी इन्हीं प्राणियों की तरह निश्चिता में जीवन बिताना देते हैं उन्हें लगता है कि वह इतने सक्षम नहीं है कि उनके अमुक्त संगोष्ठी कर सके उन्हें अपने एक सुरक्षित खोल में छिपे रहने की अच्छा लगता है उन्हें लगता है कुछ असाधारण कर गुजरने के लिए व्यक्तिगत संपूर्णता से परिपूर्ण होना आवश्यक है

©Ek villain #आत्म विकास का मंत्र

#Hope

#आत्म विकास का मंत्र #Hope #Society

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Premsukh

क्या आप जानते हैं कि भारत में एक AC ट्रेन की शुरुआत 1 सितंबर 1928 को हुई थी जिसका नाम था- पंजाब मेल और 1934 में इस ट्रेन में AC कोच जोड़े गए और इसका नाम फ्रंटियर मेल रख दिया गया. 

उस समय में ट्रेनों को फर्स्ट और सेकेंड क्लास में बांटा गया था, फर्स्ट क्लास में केवल अंग्रेजों को सफर करने की अनुमति थी। इसी कारण इसे ठंडा रखने के लिए AC बोगी में बदला गया था। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए ये सिस्टम बनाया था, जिसमें AC की जगह पर बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था, जो फ्लोर के नीचे रखी जाती थी.

यह ट्रेन 1 सितंबर, 1928 को मुंबई के बैलार्ड पियर स्टेशन से दिल्ली, बठिंडा, फिरोजपुर और लाहौर होते हुए पेशावर (अब पाकिस्तान में) तक शुरू हुई थी, लेकिन मार्च 1930 में इसे सहारनपुर, अंबाला , अमृतसर और लाहौर की ओर मोड़ दिया गया। इसमें पहले बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल करके बोगी को ठंडा रखने का काम नहीं किया जाता था, लेकिन बाद इसमें AC वाला सिस्टम जोड़ दिया गया. इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था, जो बाद यानी 1996 में गोल्डन टेम्पल मेल के नाम से संचालित की जाने लगी।

फ्रंटियर मेल को ब्रिटीश काल की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक कहा जाता था। पहले यह भाप से 60 किमी की रफ्तार से चलती थी, लेकिन अब इसे इलेक्ट्रिक से चलाया जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह ट्रेन 1,893 किमी की दूरी तय करती है, 35 रेलवे स्टेशनों पर रुकती है और अपने 24 डिब्बों में लगभग 1,300 यात्रियों को ले जाती है। यह टेलीग्राम ले जाने और लेकर आने के लिए भी चलाई जाती थी. इस ट्रेन को करीब 95 साल हो चुके हैं।

©Premsukh 
  भारत में रेलवे का विकास

भारत में रेलवे का विकास #समाज

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Brajesh Trivedi

" कर्म का सिद्धांत
 वास्तविकता से भिन्न हैं " । #पृकृति#सिद्धांत#कर्म
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