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the greatest gunjan

# मूँगफली # ज़िन्दगी Strings

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Notes of an Idiot

मूँगफली और बस 🚐 #safar #story #Emotion #nojotophoto

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 मूँगफली और बस 🚐 
#safar 
#story 
#emotion

poetic soul shashi

App#loveshayari #साँझ तुम उबली हुई मूँगफली जैसी..... 💞💞💞😍❣️ #कविता #nojotoapp

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तुम उबली हुई मूँगफली जैसी,,
मैं उसके साथ नमक सा हूँ,,

तुम चाँद का इक रोशन टुकड़ा,, 
मैं तुझमें एक चमक सा हूँ,, 

तुम ओस की मानिंद बिखरी हुई,, 
मैं खेत में जैसे कनक सा हूँ,, 

तुम रंग बिरंगी चूड़ियों सी,, 
मैं उसकी एक खनक सा हूँ,, 

तुम दिवाली का जलता दिया,, 
मैं तेरी उस लहक सा हूँ,, 

तुम मंदिर में सुलगती धूप जैसी,, 
मैं तुझसे उठते महक सा हूँ,, #NojotoApp#loveshayari #साँझ

तुम उबली हुई मूँगफली जैसी..... 💞💞💞😍❣️

Sevenger

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हरिशंकर काछी

झील के किनारे बैठकर मूँगफली खा लेना कौन सी बुरी बात है,आप ही बताओ? #nojotophoto

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 झील के किनारे बैठकर मूँगफली खा लेना कौन सी बुरी बात है,आप ही बताओ?

poetic soul shashi

nojoto #Poetry #SundayThoughts #myquote तुम उबली हुई मूँगफली जैसी.... ❤️🤗💕😍😘🌹🌹😊 #कविता

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तुम उबली हुई मूँगफली जैसी,,
मैं उसके साथ नमक सा हूँ,,

तुम चाँद का इक रोशन टुकड़ा,, 
मैं तुझमें एक चमक सा हूँ,, 

तुम ओस की मानिंद बिखरी हुई,, 
मैं खेत में जैसे कनक सा हूँ,, 

तुम रंग बिरंगी चूड़ियों सी,, 
मैं उसकी एक खनक सा हूँ,, 

तुम दिवाली का जलता दिया,, 
मैं तेरी उस लहक सा हूँ,, 

तुम मंदिर में सुलगती धूप जैसी,, 
मैं तुझसे उठते महक सा हूँ,, #nojoto #poetry #sundaythoughts #myquote

तुम उबली हुई मूँगफली जैसी.... ❤️🤗💕😍😘🌹🌹😊

Poetry with Avdhesh Kanojia

लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है। मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये लोहड़ी के गी #कविता #Lohri

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Happy Lohri Wishes  लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई

अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी
जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है।
मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये
लोहड़ी के गीत हमें दे रहे सुनाई है।
है शीत का प्रकोप तुच्छ और उत्साह उच्च
भान नहीं कोहरे की चादर जो छाई है।
लोहड़ी का पर्व शुभ आये ले आनन्द खूब
बार बार लोहड़ी की आपको बधाई है।

✍️अवधेश कनौजि

©Avdhesh Kanojia लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई

अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी
जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है।
मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये
लोहड़ी के गी

Poetry with Avdhesh Kanojia

#Lohri #poem poetry #poemtime #कविता life लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई

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लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई

अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी
जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है।
मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये
लोहड़ी के गीत हमें दे रहे सुनाई है।
है शीत का प्रकोप तुच्छ और उत्साह उच्च
भान नहीं कोहरे की चादर जो छाई है।
लोहड़ी का पर्व शुभ आये ले आनन्द खूब
बार बार लोहड़ी की आपको बधाई है। #lohri #poem #poetry #poemtime #कविता #life 

लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई

अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी
जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई

Vikas Sahni

#तिल_का_त्योहार_तथा_तुम लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दह #कविता

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Makar Sankranti Messages  
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली,
तिल तथा चिपटे चावल 
खाने के बावजूद मन है विकल
क्योंकि इक गीत बनाने को,
संगीत सजाने को
जिसका इंतज़ार है,
वही नहीं है,
क्योंकि किसी की
रचना को रिकॉर्ड
करते-करते
मुख दुख गया 
फिर भी गायन गज़ब न हो सका,
काव्य रब न हो सका
क्योंकि काव्य रब होता तो,
क्योंकि काव्य सब होता हो
मैं अब तक न रुका होता
मैं वो हो चुका होता,
जो होना है मुझे
हमेशा के लिए।
                                 ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #तिल_का_त्योहार_तथा_तुम
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दह

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-74 हल्दी मुलाई थारे तेल चढ़ावा,  हल्दी रो मोल चुकावां ला,  उगतेड़ो सूरज रो रंग लागे सुरंगो,  #प्रेरक

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पेज-74
बन्ना गीत जो अपने बन्ना अर्थात दूल्हे को रिझाने की, मनाने की, सजाने संवारने की और उसकी बिरदावली बखान करने की एक बड़ी ही सुहावनी गीत शैली है.. जिनके बिना विवाह आनंद ही नहीं आता.. और सच मानिये तो विवाह में फ़िल्मी गीतों का वो प्रभुत्व आज तक नहीं बन पाया जो बन्ना बन्नी गीतों का सदियों से चला आ रहा है फिर बन्ना गीत की बात हो और हमारी दिव्या बहन पीछे रह जाए ऐसा तो हो नहीं सकता..   बस फिर क्या... ज्यों ही मातृकापूजन को सभी चले.. दिव्या ने शुरु किया अपना बन्ना गीत
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
पेज-74
हल्दी मुलाई थारे तेल चढ़ावा, 

हल्दी रो मोल चुकावां ला, 

उगतेड़ो सूरज रो रंग लागे सुरंगो, 
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