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Narashing

आलु आलू चिप्स

आलु आलू चिप्स #कॉमेडी

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kamal kishor

आलू का केश

आलू का केश #कॉमेडी

57 Views

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||स्वयं लेखन||

विद्रोह में ही तुम्हारी जीत है,

विद्रोह करो अपने डर का,

विद्रोह करो अपने नकारात्मक
विचारों का,

विद्रोह करो अपने संदेह का।

©Gunjan Rajput विद्रोह में ही तुम्हारी जीत है,

विद्रोह करो अपने डर का,

विद्रोह करो अपने नकारात्मक
विचारों का,

विद्रोह करो अपने संदेह का,

विद्रोह में ही तुम्हारी जीत है, विद्रोह करो अपने डर का, विद्रोह करो अपने नकारात्मक विचारों का, विद्रोह करो अपने संदेह का, #Success #Dream #Zindagi #thought #lightning #Life_experience

18 Love

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रेश्मा आशेम पठाण

आलू का चालू बेटा

आलू का चालू बेटा

27 Views

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Yog Ananta Studio

सड़े हुए आलू

#hindistory #Hindikahani #Motivation #Inspiration #BeGood #bepositive #Love #loveall
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H, K शायर शाहब 🖋✍🎤

आलू बड़े की कढी

बाऊजी खाने- खिलानें दोनों कें ही शौकिन थे। दादी कलपती कि बाऊजी का पूरा बचपन पढाई की वजह से रिश्तेदारों के घरों में बीता, वहाँ जों मिल गया, जितना मिल गया खाने से मन अतृप्त रह गया हैं। 
और बाऊजी को टोकने पर वें तुरन्त रामकृष्ण परमहंस जी की भोजन प्रियता का प्रसंग सुनाकर मुस्कराने लगते... कहते... खाना- खिलाना बुरा शौक नहीं हैं। "
इसलिए छुट्टी का दिन हों या वार त्यौहार, हमारे घर किसी न किसी मेहमान का निमंत्रण तय रहता था क्योंकि बाऊजी किसी की भी दावत उधार नहीं रखते थे। बल्कि दोगुना थाल परोसा जाता था। 
बाऊजी के टिफिन  में भी दोगुनी मात्रा में भोजन रखा जाता था। बाऊजी भी प्राय: सहकर्मियों के डिब्बे में आए। स्वादिष्ट व्यंजन का घर आकर जिक्र भी करते। 
एक बार उन्होंने बताया_"आज बजाज के टिफिन मे आलू बड़े की कढी आई थी, बहुत स्वादिष्ट। "
फुलोरी, भजिये, सुरजने, बैंगन, पापड़ आदि की कढी तो खाई थी मगर उन्हें आलू बड़े की कढी बहुत पसंद आई माँ सें कहने लगे, _"तुम भी बनाना चावल के साथ मजा आ जाएगा। गरम- गरम खाने में। 
सुनकर हम सबके मुहं में पानी आ गया। मगर बात टल गई और फिर तो ऐसी टली, की टली ही टली। 
हर बार त्योहार, जन्मदिन, व्रत उपास के अगले दिन कढी चावल बनाने की परम्परा जारी रही, मगर जाने क्यों आलू बड़े की कढी कभी नहीं पकाई गई, बस जिक्र ही होता रहा। 
पहले माँ सिधारी उसके साल भर बाद दादी भी सिधार गई। सालों बीत गए। हम तीनों बेटियाँ ब्याही गई, बहुंए आती गई। रसोई इस हाथ से उस हाथ में हस्तातरित होने के बावजूद भी बाऊजी की प्रशंसित आलू बड़े की कढी सिर्फ रसीली चर्चा में शामिल होती रही मगर उनकी थाली में कभी परोसी नहीं गई। 

धीरे- धीरे बाऊजी शायद आलू बड़े की कढी भूल गये थे या जान बूझ कर कढी खाते हुए उसका जिक्र नहीं करते थे। 
मगर में कुछ भी नहीं भूल सकी। आज भी कढी बनाते हाथ काँप जातें हैं। दिल पर टप्प से चोट लगती हैं..... बहुत ज्यादा दर्द होता है। 
                                           नीता श्रीवास्तव
                                            294 देवपुरी कालोनी
                                           महू. 453441
                                             9893409914 #CityEvening आलू बड़े की कढी 🙏✍☺

#CityEvening आलू बड़े की कढी 🙏✍☺ #poem

3 Love

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vaibhav

विद्रोह

विद्रोह #poem #nojotovideo

155 Views

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V Singh KyS

मेरे पास अब सिर्फ कागज के तीर है और जब भी कोई तीर चलता है, तो वो पानी नहीं मेरा लहू मांगता है। विद्रोह

विद्रोह

5 Love

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Dayanand Kanakdande

विद्रोह

विद्रोह #poem

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somnath gawade

 साहेबांची 'उपद्रवी'
कृती वाढली की, 
कर्मचारी 'विद्रोह'
 वृत्ती कडे वळू
  लागतात.
 #विद्रोह
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Author Harsh Ranjan

पेट भारी होता है!
पहली बार एक गर्भवती ने ये बोला था,
उससे पहले खास कर कि
मर्दों को ऐसा लगता था कि पेट और परिवार 
दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रेरणाएं हैं।
मैंने लंबे रास्ते पर गौर किया
हरेक के पैर से कुछ पेट बंधे हैं।
अब मुझे लगता है कि पेट 
परंपरा के जूतों से भी भारी है।
शौक, जज्बे और जोश की,
कुछ कर गुजरने के सोच की
ये राहें अब सफर के लिहाज से ठंडी हैं।
यहाँ अब कुछ बड़ी दुकानें और
कुछ रईस लोगों की मंडी हैं,
यहाँ के समान शोपीस के लिए उत्तम हैं,
जिन्हें चखा जा सके वो 
प्रसाद से कहाँ कम हैं!
मुझे पता है कि चम्मच बेचकर
मैं वहाँ जा नहीं सकता,
सफर का लती हूँ सो निकल गया,
मेरे पेट में सिर्फ चलने की मंशा जलती है,
कुछ नफ़रतें, कुछ चाहतें
बेरोक-टोक मेरी नसों में चलती हैं।
मेरे कानों में एक साधु की बात गूंजती है,
कुछ न पाने का वैराग्य,
कुछ न खोने की निश्चिन्तता का भाव
इंसान को अलग राह मोड़ देता है
उसका छिटक जाना कल-पुर्जों की भीड़ से
एक तंत्र को बीचो-बीच तोड़ देता है। विद्रोह

विद्रोह

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Author Harsh Ranjan

पेट भारी होता है!
पहली बार एक गर्भवती ने ये बोला था,
उससे पहले खास कर कि
मर्दों को ऐसा लगता था कि पेट और परिवार 
दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रेरणाएं हैं।
मैंने लंबे रास्ते पर गौर किया
हरेक के पैर से कुछ पेट बंधे हैं।
अब मुझे लगता है कि पेट 
परंपरा के जूतों से भी भारी है।
शौक, जज्बे और जोश की,
कुछ कर गुजरने के सोच की
ये राहें अब सफर के लिहाज से ठंडी हैं।
यहाँ अब कुछ बड़ी दुकानें और
कुछ रईस लोगों की मंडी हैं,
यहाँ के समान शोपीस के लिए उत्तम हैं,
जिन्हें चखा जा सके वो 
प्रसाद से कहाँ कम हैं!
मुझे पता है कि चम्मच बेचकर
मैं वहाँ जा नहीं सकता,
सफर का लती हूँ सो निकल गया,
मेरे पेट में सिर्फ चलने की मंशा जलती है,
कुछ नफ़रतें, कुछ चाहतें
बेरोक-टोक मेरी नसों में चलती हैं।
मेरे कानों में एक साधु की बात गूंजती है,
कुछ न पाने का वैराग्य,
कुछ न खोने की निश्चिन्तता का भाव
इंसान को अलग राह मोड़ देता है
उसका छिटक जाना कल-पुर्जों की भीड़ से
एक तंत्र को बीचो-बीच तोड़ देता है। विद्रोह

विद्रोह

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अशोक द्विवेदी "दिव्य"

जो भी करो बेहद करो,
इश्क़ करो या विद्रोह करो,
क्योंकि अंजाम दोनो के एक है। #इश्क़ #विद्रोह
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

सड़कें हो गईं शानदार,
बढ़ गई हम सब की रफ्तार
मंजिलें हो गई आसान
मिला विज्ञान का उपहार
 
गाडियों का पवन सा वेग
होड़ में कौन होगा तेज
बढ़ रहा हर जगह रोमांच,
कौन कितना बड़ा दमदार

लोग खोने लगे हैं होश
नशे मैं बढ़ गया है जोश
नियंत्रण छूट जाए कब
हादसों के बढ़े आसार

नियाम होने लगे हैं भंग
देख यमराज भी है दंग
मौत से खेलते हैं सब
कि बेबस हो गई सरकार

सुनील कुमार मौर्य बेखुद
गोरखपुर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # सड़क का सफर

# सड़क का सफर #कविता

5,301 Views

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Dr. Devbrat Pundhir

मुश्किल हालात और ये सपने बड़े, 
कभी सोचता हूं, हार जाऊं, 
छोड़ दूं सब, 
दिल फिर भी मिरा क्यों है अड़े, 
हर कोई घुटनें टेक चुका है, 
मगर हम आज भी हैं खड़े।।
 #yqdidi #yqbaba #yqhindi #सपने #दिल #खड़े #अड़े
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Dev singhaniya

1857 ki क्रांति का विद्रोह
#merevichar #311211 #4522 #loveuzindagi 

#LearnIndia

1857 ki क्रांति का विद्रोह #merevichar 311211 4522 #loveuzindagi #LearnIndia

87 Views

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joker

# विद्रोह भरी आंखें #

# विद्रोह भरी आंखें #

186 Views

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Dhananjay(dhanuj) Sankpal

_#कवी'धनूज.
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा
समाजकंटक गोळा करोनी
चौका-चौकात जाळावा
भेदभाव जातीचा सांगणारा, करणारा
जातीवंत जरूर निघावा
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा

अंधारात पाप, उजेडात पुण्य करणारा
एका बापाचा ना निघावा
विचार बलात्कारी, नजर बलात्कारी
आजूबाजूला यांचा विसावा
औलादी ओढ्या नाल्याच्या
ओढ्या किनारी पुराव्या
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा

अंधश्रद्धा, जातीभेद माजवणारा
रस्त्याला तानावा
पाठीत दगड मारोनी
दगडानी ठेचावा
का भडकतोस मस्तकी? प्रश्न करोनी
शिरा गळ्याच्या चाकू फिरवूनी तोडाव्या
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा

वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा.......................... .

©Dhananjay(dhanuj) Sankpal #विद्रोह
#धनूज
#शायरी
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Raj Saini

dream11 विद्रोह स्कूल

dream11 विद्रोह स्कूल #स्पोर्ट्स

116 Views

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siddharath dinkar kharat

मला विद्रोह करायंचा !!!

बेड्या बंधनाच्या तोडुन 
मला माणुस व्हायंच आहे
किती अन्याय साहु मी 
मला विद्रोह करायचा आहे !!! 

भगंतसिग तो विद्रोही 
अजुन माझ्या रक्तात आहे
संघर्षासाठी मला त्या 
फासावर चढायंच आहे !!! 

छाती मी मजबुत केली 
दाभोळकर ,पानसरे व्हायंच आहे
सत्याच्या शोधासाठी आता 
गोळ्या छातीत झेलायाच्या आहे !!!

नको चिगांरी ती छोटी 
क्रांन्तिची मशाल व्हायंच आहे
नको मागे सरणे हे आता 
मला विद्रोह करायचा आहे !!! 

सिध्दार्थ दिनकर खरात 
मातृतिर्थ - सिदंखेडराजा 
   7544949787 मला विद्रोह करायचाय

मला विद्रोह करायचाय

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Satyendra Meravi

जल रहा है देश हमारा
      उग्र पंथी आक्रोशों से 
        सर्वत्र फैल रही है विश पुराना
      जिहाद रंग है जनमानस में 
    क्या अभिव्यक्ति की आजादी का
          हो रहा है सर्व विनाश 
        फिर क्यों हाथ में मशालें 
    और चारों तरफ हो रहा विनाश ।।
    ये वक्त नहीं बारूद और तलवारों का
     संवैधानिक लोकतांत्रिक देश है हमारा
       आओ सामने न्याय मंच पर
         होगी समस्या का निदान
कलम कागज और संविधान की बातों पर ।। विरोध या विद्रोह......

विरोध या विद्रोह...... #poem

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pitandru

आलू अर्जुन भैया का डायलॉग
आज का डायलॉग नंबर 1

आलू अर्जुन भैया का डायलॉग आज का डायलॉग नंबर 1 #films

85,914 Views

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Mohan Sardarshahari

लोगों की हर गलती को नादानी समझा
शख्सियत आप सी देखी ना दूजी उम्दा
मामला कितना भी क्यों ना हो पेचीदा
आपकी समझ और शब्दों से हमेशा सुलझा।।

©Mohan Sardarshahari बड़े होने का अर्थ

बड़े होने का अर्थ

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Er. Govinda Polad

 विद्रोही#

विद्रोही# #nojotophoto

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Uttam Bajpai

#smile  आलू और टमाटर का तलाक हो गया।

#Smile आलू और टमाटर का तलाक हो गया। #कॉमेडी

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सूरज सिंह भदौरिया

दिसंबर का महीना  महिना हैं साल ऐ! 
आखरी सर्दी का एहसास
 करता हैं ....करवा रहा हैं ..... 

शादी पे शादी 
ना जाने कमबख़्त हमे क्यों भूल
 जाता हैं .... 
😂😂😂😂😂 हसरतो का आलम

हसरतो का आलम #poem

2 Love

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$@mr@@t k G¿pt@

तेरी बेवफाई ने ऐसे हालात पैदा कर दिया  था 
मैं जहां भी देखूं वहां तू बेवफा तेरा चेहरा नज़र आ रहाथा। #बेवफाई का आलम #

#बेवफाई का आलम #

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ATUL PATHAK

छुपते नहीं छुपाने से जो जज़्बात दिल के होते हैं
अक़्सर दिल में रहने वाले मुहब्बत के नाम होते हैं  #NojotoQuote दिल का आलम

दिल का आलम

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