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Ek villain

#फिर बजे डुगडुगी चुनाव की #MusicLove #Society

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बिहार में एक बार फिर चुनाव की घंटी बज गई है चुनाव आम जनता का नहीं बल्कि स्थानीय निकाय कोटे से चुने जाने वाली विधानसभा परिषद की सीटों का है 24 सीटों पर होने वाली इस चुनाव में भी सत्ता पर विपक्ष के बीच जमकर जोर आजमाइश होने से दोनों के सदन में अपनी संख्या बढ़ने के लिए कोई असर नहीं छोड़ने वाले इस चुनाव में खास यही है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही गठबंधन के सारे दलों की भागीदारी नहीं है सत्ता पक्ष से केवल भाजपा और जदयू के ही उम्मीदवार मैदान में होंगे विपक्ष में बैठे कांग्रेस के राजा थे घर किनारा कर दिया है कांग्रेस अपने बूते चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है हालांकि अभी तक एक प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर सकी है जबकि चुनाव की तिथि घोषित हो चुकी है विधानसभा परिषद के रक्त हुई 24 सीटों के 4 अप्रैल को वोट पड़ने हैं और वोट की गिनती 7 अप्रैल को होगी हाल ही में संपन्न हुए पंचायती चुनाव में चुनकर आए लगभग 132000 पंचायत प्रतिनिधि वोट डालेंगे जिन्होंने अपने पाले में करने के प्रयास चुनाव बाद ही शुरू हो गए थे यह चुनाव रजत और भाजपा दोनों के ही महत्वपूर्ण है

©Ek villain #फिर बजे डुगडुगी चुनाव की

#MusicLove

Pankaj Singh Chawla

झांझर - पायल डुगडुगी - डमरू की तरह #पायल #Signal #rythm #yqbaba #yqdidi #Punjabi #yqbhaji #pchawla16

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तेरी झांझर दी छनकार सुन के,
दिल मेरे विच डुगडुगी वजड़ी आ,
Signal मिल जाउँदा सोह्निये तेरे ऑन दा,
नी तू छम छम कर जदों तुरदी ए,
तेरी तोर नु लगदे ने चार चाँद,
नी जदों Rythm दे नाल तू तुरदी ए।। झांझर - पायल
डुगडुगी - डमरू की तरह 

#पायल #signal #rythm #yqbaba #yqdidi #punjabi #yqbhaji #pchawla16

रजनीश "स्वच्छंद"

मन को देखो टटोलकर।। जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता, ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता। दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं #Poetry #Quotes #Life #kavita

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मन को देखो टटोलकर।।

जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता,
ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता।

दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं, नश्वरता का कुल बोध है,
अनुभवों की चाभी भर, बन डुगडुगी हूँ डोलता।

ज्ञान का ये दायरा, ना सीमित ना संकुचित हुआ,
वाणी को कर शिरोधार्य, ले ज्ञान-तराजू हूँ तोलता।

विवेक पर कुमति थी भारी, उदंडता अमरत्व पर,
विष मन्थित कंठ धारे, मैं निज को ही हूँ कोसता।

सुचितोचित प्रश्नवाचक, चढ़ दुर्ग था ललकारता,
विनिमयी इस मेले में, निज त्रास को हूँ मोलता।

कंठाग्र जो थी संस्कृति, आंदोलित रही उदगार को,
हो कुपित मनोभाव से, संग शुष्म रक्त हूँ खौलता।

ह्रस्व था या दीर्घ था, मैं दिन था या दीन हुआ अब,
आकंठ क्रंदन-स्वर में डूब, स्याही में नाद हूँ घोलता।

©रजनीश "स्वछंद" मन को देखो टटोलकर।।

जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता,
ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता।

दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#swiftbird © इक परिंदा *कफस से आजादी में लगा हुआ है,वो*अर्श_ए_परवाज के गश्त में लगा हुआ है//१ *पिंजरा*नभ की ऊंची उड़ान वो*हवस से हटकर*उल्फत #shamawritesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#merahaal#AazaadParinde इक परिंदा*कफस से आजादी में लगा हुआ है,वो हरसु अपनी*परवाज में लगा हुआ है//१*पिंजरा*उड़ान वो*हवस से हटकर तेरी*उल्फत म #nojotohindi #nojotonews #nojototeam #tranding_video #virel_video #shamawritesBebaak #poplur_Video

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