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Sangeeta Pal

बसंत ऋतु के आगमन में एक छोटी सी कविता कविता poem spring basantritu

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Dimpal parashar

ऋतु बसंत #कविता

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Arti Ojha

बसंत ऋतु #कविता

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Alka Dubey

#बसंत ऋतु #शायरी

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Ashi Kaushik

#बसंत ऋतु #

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बसंत ऋतु ने दी दस्तक 
शीत ऋतु की हुई विदाई 
चारो ओर खुशहाली छाई 
पाले की अब हुई विदाई ।।
ओढ़ी पीली चादर धरती ने
बागों में है फूल खिले 
खुशी से सारे जीव है झूमे
जीवन में जैसे नए रंग घुले ।।
                       "आशी " #बसंत ऋतु #

Parveen Kumari

बसंत ऋतु #कविता

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Kavi Nikhilesh Malviya

बसंत ऋतु आ गया बसंत ऋतु आ गया #कविता

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KrishnaSharma

कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन #Morning #poem

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कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन
लेखक:- कृष्णा शर्मा
 स्वरचित

पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है

 फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे

वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे

 हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने

देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले

मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है

हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो

पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो

भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका  जाऊं

फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं

 एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है

इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा

मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा

 सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है

जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है

इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है

 जय शारदे मां

©KrishnaSharma कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन

#Morning

Rashmi painuly

बसंत ऋतु #zindagikerang #कविता

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वन उपवन के पुष्पों से
नैनों ने श्रृंगार किया
मन पंछी सा उड़े पपीहा
बसंत ऋतु ने उपहार दिया
रूखी पवन सुगंध में डोला
धीमे से किरणों से बोला
आजा सखियन खेल खिलाऊं
तितली भवरें संग बाग घुमाऊँ
सजी है चुनरी फूलों से
धरा के कोने- कोने से
बहता जल का मीठा पानी
बसंत से जुडती नई कहानी
नई उमंग है नई तरंग है
हवा से उलझे अनेक पतंग है
सरसों भी बड़ा इतराए है
वीणा धुन सुन लहराए है
सप्तरंगों का बाण चला है
पीले - पीले रंगों में चढ़ा है
सुनहरी धरती मन मोहे से
बसंत ऋतु में खोए है
बसंत ऋतु में खोए है

©Rashmi painuly बसंत ऋतु

#zindagikerang

दशरथ सिंह भुवाल

पावस ऋतु पर कविता

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