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Ashi Kaushik
बसंत ऋतु ने दी दस्तक शीत ऋतु की हुई विदाई चारो ओर खुशहाली छाई पाले की अब हुई विदाई ।। ओढ़ी पीली चादर धरती ने बागों में है फूल खिले खुशी से सारे जीव है झूमे जीवन में जैसे नए रंग घुले ।। "आशी " #बसंत ऋतु #
Kavi Nikhilesh Malviya
दुल्हन की तरह सजी धरती मानो आज ही बसंत है प्रकृति के इस प्रेम में ना आदि है ना अंत है सत्यम शिवम में देखो कैसे रहते नीलकंठ है प्रेम के पदचिन्ह पर हर जीव हर पंथ है ©Kavi Nikhilesh Malviya बसंत ऋतु आ गया बसंत ऋतु आ गया
KrishnaSharma
कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन #Morning
Rashmi painuly
वन उपवन के पुष्पों से नैनों ने श्रृंगार किया मन पंछी सा उड़े पपीहा बसंत ऋतु ने उपहार दिया रूखी पवन सुगंध में डोला धीमे से किरणों से बोला आजा सखियन खेल खिलाऊं तितली भवरें संग बाग घुमाऊँ सजी है चुनरी फूलों से धरा के कोने- कोने से बहता जल का मीठा पानी बसंत से जुडती नई कहानी नई उमंग है नई तरंग है हवा से उलझे अनेक पतंग है सरसों भी बड़ा इतराए है वीणा धुन सुन लहराए है सप्तरंगों का बाण चला है पीले - पीले रंगों में चढ़ा है सुनहरी धरती मन मोहे से बसंत ऋतु में खोए है बसंत ऋतु में खोए है ©Rashmi painuly बसंत ऋतु #zindagikerang