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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat मन के आसरे को कर दिया प्रहस्त निकले शब्द वो कर दिखाया एकांत मां होकर भी बेबस सी ज़िन्दगी कठिनाइयो में ख़ुद को झोंक दिया सात फेरों के वचन को निभाती सब सुख को त्याग तपस्या सी ज़िन्दगी जीने निकाल पड़ी भाई के वचन का पालन करता वो राम का प्रतिपालन करता जीवन साथी भ्राता लक्ष्मण निकाल पड़े वो जंगल के बीच सच का एहसास पालन ख़ुद के भी उसूलों पर काटो का सिलसिला शुरू हुआ। महलों को त्याग कुटिया का जीवनकाल का चयन किया #respect #reality #god #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat मन के आसरे को कर दिया प्रहस्त निकले शब्द वो कर
Kh_Nazim
लंकेश तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए साधु हम भी , पता न था उसकी कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी रास्ता जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा देखा विश्वामित्र प्रिय मैने तब पाया मुक्ति का साधन विवश हो के मैं रोने लगा, जनक पुत्री मैं हरने लगा जो संत का चोला ओढ़ था अब मैं उसे उससे छलने लगा मेघ रथ पे ले गया, स्वर्ण वाटिका .... सम्मान से रखा अंत तक अपने पीतवासा के आने तक मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से वो जा मिला मेरे मित्र से हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश #तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए #साधु हम भी , पता न था उसकी #कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी रास्ता #जंगल
नेहा उदय भान गुप्ता
भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का है प्रसंग प्यारा। हर आँखों में आ जाता है अश्रु, देख अद्भुत दृश्य सबसे न्यारा।। मन हो जाता जब मेरा व्यथित, तब कलम चल पड़ती है मेरी। लिख देती तब मन की व्यथा, नही होती एक पल की देरी।। भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का है प्रसंग प्यारा। हर आँखों में आ जाता है अश्रु, देख अद्भुत दृश्य सबसे न्यारा।। मन हो जाता जब मेरा व्यथित, तब कलम चल पड़ती है मेरी। लिख देती तब मन की व्यथा, नही होती एक पल की देरी।। भरत मिलाप पर लिखने चली, जो रामायण का
N.S. RATHOR
हर रास्ते कि कोई तो मंजिल होती हैं । राग द्वेष का महल ना सही साफ सुथरी कुटिया तो होती हैं । महलों कीं रौनक दूर से ही अच्छी लगती है मेहनत कीं बनाई कुटिया भीतर से सुकून देती है ।। कुटिया
Ankur Mishra
रख पास तेरे ये महल दुमहले मुझे मेरी कुटिया हि प्यारी है दौलत शौहरत माना पास तेरे है मगर चैन कि नींद को फिर भी तू तरसे है मैं मेरी कुटिया में ज़मीन पे सोता हूँ फिर भी चैन कि नींद आती है तू दौलत को जोड़े दिन रात फिर भी बेचैन है मेरी माँ के कदमों में ही मेरा सारा खजाना है मैं क्यों फिर भागू दौलत कि चमक के पिछे #कुटिया #reading