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sakshi Awasthi
ये डबडबाई आंखें उन पर ये खिलखिलाता चेहरा दिल में दर्द नहीं तुमने सैलाब दबा रखा है । ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #dawnn
sakshi Awasthi
तमाम सवालों के जवाब में मैं निशब्द हो जाऊं शोर से भरी जिंदगी का मैं सन्नाटा बन जाऊं ख्वाइशों का घोंसला कहीं गिर है गया जिम्मेदारियों की आंधी सब उड़ा ले गई मन की हलचल कहे एक बार उसे फिर से ले आऊं ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #dusk
sakshi Awasthi
जो कोमल है तो कटार भी वही है जो चंचल है तो एकांत भी वही है जो सती ,जो शक्ति , जो विद्या, जो लक्ष्मी जो वो है जिसकी गोद में जीवन खेलता है जो वो जिसे सारा संसार मां कहता है जो वो जो बेटी के रूप में घर का मान बढ़ाती है , कोमल से कदमों से जो घर का आंगन सजाती है । जो वो सावित्री है कि यमराज से भी लड़ जाए पति के प्राण बचाने को मौत से भी भिड़ जाए जो सहनशीलता की जननी , त्याग से भरा अस्तित्व रखती है प्रेम समर्पण से परिपूर्ण ये ईश्वर की कृति, स्त्री है । ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #international_womens_day
sakshi Awasthi
घाव भर जाता है वक्त के साथ पर उसका निशान काफी होता है उस घाव से मिले दर्द को आप में जिंदा रखने के लिए । ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #alone
sakshi Awasthi
जिंदगी वो जहां पर सच चुभता है जूठ बिकता है धन दिखता है दर्द छुपता है ज़ख्म लगता है आसूं गिरता है और लिहाज़ बिना पोशाक कई बार मारा मारा फिरता है । और फिर भी जिंदगी तो आखिर जिंदगी है, तो मुस्कुराकाते हुए जीना पड़ता है । ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #Love
sakshi Awasthi
उम्मीदें ,एक स्त्री का पीछा कहां छोड़ती हैं वो जहां जाती है वहीं उस स्त्री को यूं ही टुक टुक निहारती हैं । बचपन से पीठ चढ़ती ये उम्मीदें , वो पूरा बुढ़ापा भी यूं ही गुजारती है । कभी बेटी बनकर कभी पत्नी कभी बहन कभी मां यूं ही खुद से ज्यादा अपनों की जिंदगी संवारती है । सभी की उम्मीदों का ख्याल रखने वाली यही स्त्री पता नहीं चलता कब अपनी उम्मीदें यूं ही दफना जाती है । ©sakshi Awasthi लफ्जों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #Nofear
sakshi Awasthi
मैं पसंद हूं सभी को पर ढेर सारी खूबियों के साथ कुछ कमी होते ही सवाल खड़े हो जाते हैं । ©sakshi Awasthi # लफ्जों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #Nofear
sakshi Awasthi
फर्क नहीं पड़ता जमाने की नज़र में क्या ओहदा है मेरा ईश्वर की नज़र में बरकरार रहूं बस इतना काफी है । ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां #साक्षी अवस्थी #Rose
sakshi Awasthi
कई बार ख़ामोशी एक बेहतर ज़वाब होती है । ©sakshi Awasthi लफ़्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #sunkissed
sakshi Awasthi
अक्सर खुशियों की आतिशबाजी से रोशन जो सबका चेहरा करते हैं अकेले में वही चेहरे अंधेरे से अपने आंसू पोंछा करते हैं ©sakshi Awasthi #candle लफ्जों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी