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pawan rohilla
गिर कर चोट लगी तो पता लगा की गिरना भी कितना ज़रूरी है इससे मेरी ओकत पता चली मेरा हाथ थामने वाले कितने हैं और गिरता देखने वाले कितने । ©gulshan rohilla गिरना और गिराना
दि कु पां
एक आतंकिस्तान भारत में भी.. नाम कश्मीर था.. जन्नत बसती थी वहां,,, पर कुछ फिरकापरस्तों ने मुल्क के इस जन्नत को आतंकिस्तान बना.. बदनाम कर दिया... हालात साजिशन ख़राब कर इंसानियत को लहूलुहान किया .. पड़ोसियों ने पड़ोसियों के घर कब्ज़ा कर निर्लजता की सारी सीमाएं लांघ ली.. कौम पंडितों की.. भेट आतंकियों के चढ़ गईं.. सरेराह बेटियां बहुएं माएँ.. निर्वस्त्र कर बलात्कृत की जानें लगी.. बाप बेटों भाईयों को गोलियों से भून हत्याएं सिर्फ़ शौक के लिए की जाने लगी.. कुछ निर्लज अति करने लगे.. काट स्तन महिलाओं का.. शरीर से वो उनके खेलने लगे.. इक बहन उन्ही में गिरिजा टिक्कू थी.. धर्म की हिंदू थी.. बस इसी से चिढ़ इन उपाद्रियों ने घेर उसको लिया,, दर्जनों लोगों ने मिल बलात्कार उसका किया.. ना भरा जी इससे भी तो.. टांग बीच से सर तलक चीर दो टुकड़े किया.. जान उसमें बाकी थी.. चीख चिल्ला बेहोश हुई.. चीरती वो चली गई.. प्राण पेखुर निकल गए.. इक सड़क किनारे इधर दूसरा फैंक उधर.. हिंदुओं के मध्य आतंकियों ने दहशत पैदा किए.. सिसकियां ले मायें बहने वहां से पलायन कर गई.. अब मकसद में पूर्ण ये आतंकी अपने हुए...😓😓 नेताओं से बड़ा निर्लज कोई न होता है दिखावे को पोछने वो आंसू इनके गए.. बेचारे कश्मीरी हिन्दू मुल्क में ही अपने रिफ्यूजी हुए.. फिर भी ना फूटती चीत्कार है.. ना जाने और कितने जुल्म सहने को हिंदू तैयार है..— % & गिरिजा टिक्कू.. एक विनम्र श्रद्धांजलि...
प्रकाश साळवी
डोळ्यात आसवांना सूर कसे गवसून गेले माझ्या मनी बघ सखे मेघ कसे बरसून गेले ** आज बघ कसा सूर्य हा मंदावलेला भासतो श्रद्धांजलीत माझ्या शब्द ही मोजून गेले ** बरे झाले अंधश्रध्देचा खूनी हो मिळाला न्यायास न्याय हो बघा मिळवून गेले ** शब्द बघ देवूनी तु मात्र जाहली निराळी चाचपून पाहता हृदय कुठे हरवून गेले ** आता कुठवर हे सारे साहून जावे कसे ! शहाण्यास चक्क ते कसे वेडे ठरवून गेले ! ** अरे असा गलितगात्र होवून जातोस कसा हसणे बघ ओठात तुही कसे विसरून गेले ** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबाईल: ९१५८२ ५६०५४ डोळ्यात आसवांना ...!
Azeem Khan
कब तक अदा रस्म - ए - गिरिया करूं । जख्म देने वाले फकत तेरा शुक्रिया करूं । अफ़सोस तुझ तक मेरी दस्तरस नहीं है । बता तुझे पाने का और क्या जरिया करूं । azeem khan # रस्म - ए - गिरिया #