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B.L Parihar
ज़रा सी मिट्टी मुट्ठी में लेकर खुश हो जातें हैं..... बच्चें ज़मीनों के लिए कभी लड़ा नही करतें. ... #NojotoQuote #बच्चे #लड़ते नहीं ये जमीनों के लिए
Bambhu Kumar (बम्भू)
घर से निकलो बाहर आओ गली-गली जाना होगा, अपनी जमीन है संविधान है लोग है फिर से आजाद होना होगा, जो लोग एसी में बैठकर तुम्हें देशभक्ति पढ़ाते हैं ना, उनकी बातों में रहे तो जमीन व जान गवाना होगा। -विशाल उनकी बातों में रहा तो जमीनों जान गवा ना हो...
Juhi Grover
ਦੂਜਿਅਾਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਅਾਪਣਾ ਅਾਪ ਨਹੀ ਗਵਾੲੀਦਾ, ਅੰਬਰਾਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਜ਼ਮੀਨਾਂ ਨੂੰ ਨਹੀ ਭੁੱਲ ਜਾੲੀਦਾ। Hindi version दूसरों को देख खुद को नही गंवाते, अासमानों को देख जमीनों को नही भूल जाते। #ramanbenipal #yqdidi #yourquote #bestyqpunjabiquo
Maha Kaleshwar Nath Dubey
Rj Waris
*जमीन जल चुकी है आसमान बाकि है,* *वो जो खेतों की मदों पर उदास बैठे हैं,* *उन्ही की आँखों में अब तक ईमान बाकि है ,* *बादलों अब तो बरस जाओ सूख
Durgesh Mourya
vikas thakur
अब से सादगी में जीने का प्रयास करना है, अब आशिकी दिलबरी❣️ लिखने से उबरने का यत्न करना है, आज बस आखिरी, गौरतलब हो हमने जब-जब गजल लिखा नियम और कायदे के अनुसार ही लिखा, नियम अभी के ग़ज़ल के उदाहरणार्थ ही:- गजल के चार प्रमुख अंग हैं:- (१) रदीफ़- गज़ल के प्रत्येक शे'र के अंतिम वाक्य के अंतिम शब्द समूह समान होने चाहिए। जैसे- नहीं देखा, नहीं देखा... (२) काफ़िया- वह शब्द है जो प्रत्येक शे'र में रदीफ़ के पहले आता है, शेर का आकर्षण काफ़िया पर ही टिका होता है। जैसे- समंदर,दिलबर,पत्थर,खंजर... (३) मत़ला-गजल का सबसे पहला शे'र जिनकी दोनों पंक्तियां समान रदीफ़ और क़ाफिया के लिए होती है। जैसे-उतर कर नहीं देखा, समंदर नहीं देखा... (४) मक्त़ा- आखिरी शे'र को कहते हैं जिनमें शायर अपने नाम का उपयोग करता है। जैसे- जो छोड़ दिया ""विकास"" फिर उसे मुड़कर नहीं देखा #krisu_mg Megha Garg✨ दिल में रहा, दिमाग में उतरकर नहीं देखा, कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा.. बे-वक्त अगर जाऊंँगा तो सब चौंक पड़
writervinayazad
✍️हीरे का आदमी✍️ चांद तारों में उतर कर देखा मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा देखा ठहरे हुए परिंदे को आदमी को मैंने उड़ते देखा आसमानों में फूल खिल रहे थे और जमीनों पे चांद रोशन थे मैंने देखा फकीरों के सर पर सोने चांदी के ताज रोशन थे मैंने देखा बुढ़ापा मौज में था जवां बचपन को सिसकते देखा मैंने गिद्धों को महल में देखा और कौवों को चमन में देखा मैंने देखा अकेला हंस रहा था कारवां को मैंने रोते देखा मैंने देखा महल सोने का “विनय” उसमें हीरे का आदमी देखा ©writervinayazad ✍️हीरे का आदमी✍️ चांद तारों में उतर कर देखा मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा देखा ठहरे हुए परिंदे को आदमी को मैंने उड़ते देखा आसमानों में फू
AB
" क्या से क्या हो रखें हैं " ( अनुशीर्षक ) हो मेरी हक़ीक़त तुम या महज़ कोई ख्याल खूबसूरत कोई, नहीं समझ आता मोहबत है ये या महज शफ़क़त नादान हुई हाल फिलहाल तो बात ये है कि बेदार मेरी रा