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Mularam Bana
समाज, दीपावली और पर्यावरण दीपावली विशेष भारतीय जन मानस की स्मृतियों में रचा-बसा है कि दीपावली के ही दिन भगवान राम लंका विजय कर अयोध्या लौ
पवन सोनकर
हमने जल बचाना कितना सीखा की हम विश्व जल दिवस मना रहे हैं हमने अपनी हवाओं को भी बहने ही कहाँ दिया जो शुद्ध हवा का अनुसन्धान कर रहे हैं और वृक्षों की कटाई पर हमारा दिल कहाँ पसीजा जो हम पर्यावरण बचाने की बात करते हैं हम सभ्य होने के लिए कितना नीचे गिरते जा रहे और इस तरह हो रहा है एक सभ्यता का पतन ©पवन सोनकर #पर्यावरण और समाज
Deepak Vashisth
जीवन का आधार है ,प्रकृति पर्यावरण का निर्माण है प्रकृति ,आओ मिलकर पेड़ लगाएं तभी हमारा जीवन बचाएगी प्रकृति, हमारी हर सांस का एहसान है प्रकृति ©Deepak Vashisth पर्यावरण और प्रकृति से हमारा रिश्ता #पर्यावरण #MothersDay2021 #प्रकृति
Pawan
दीपावली और गरीब मासूम देखो कैसे लोग हैं कैसा इनका धर्म। भूखे बच्चो को रोते देख रहे बेशर्म।।। खा रहे दीपावली की रबड़ी भर भर दोने में। भूखे गरीब बच्चे रो रहे बैठे बैठे मन्दिर के कोने में।। उनके मनमें अब भी धारणा आते मन्दिर में सच्चे लोग कौन समझाए इन नादानों को मर चुके हैं अच्छे लोग।। इसी आशा में बेचारे रोते रोते सो जायँगे। कल सरकारी पालिका वाले इनके शव ले जाएंगे।। लेकिन उन्हें क्या मतलब वो तो अब भी पटाख़े चलाएंगे। क्योकि इनके बच्चे बिन पटाखे खाना भी नही खायंगे।। गरीब माँ बाप ढूंढ़ रहे हमारे बच्चे कहा गए। उन्हें कौन समझाए अमीर लोग उन्हें खा गए।। ©Pawan गरीब बच्चे और दीपावली
Sunita Bishnolia
पर्यावरण (दोहे) हरी-भरी धरती रहे,नीला हो आकाश, स्वच्छ बहे सरिता सभी,स्वच्छ सूर्य प्रकाश।। पेड़ों को मत काटिए,करें धरा श्रृंगार। माटी को ये बांधते,ये जीवन आधार।। सुनीता बिश्नोलिया©® शुद्ध हवा में साँस लें,कोई न काटे पेड़। आस-पास भी साफ़ हो, सभी बचाएँ पेड़।। धरती माता ने दिए,हमें अतुल भण्डार, स्वच्छ पर्यावरण रखें, मानें हम उपकार।। कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार।। साफ-स्वच्छ गर नीर हो,नहीं करें गर व्यर्थ। कोख न सूखे मात की, जल से रहें समर्थ। धूल-धुआँ गुब्बार ही,दिखते चारों ओर। दूषित-पर्यावरण हुआ,चले न कोई जोर।। कान फाड़ते ढोल हैं,फूहड़ बजते गीत, हद से ज्यादा शोर है,खोये मधुरिम गीत। हरी-भरी खुशहाली के,धरती भूली गीत। मैली सी वसुधा हुई,भूली सुर संगीत।। पर्यावरण स्वच्छ राखिये,ये जीवन आधार, खुद से करते प्यार हम,कीजे इससे प्यार। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर #पर्यावरण #स्वच्छ #पर्यावरण