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Irfan Saeed
फ़क़त साया है तेरा जो जिस्म से रूबरू नही होता अंधेरा चीखता है फिर उजालों से होकर महरूम ©Irfan Saeed फ़क़त साया है तेरा जो जिस्म से रूबरू नही होता अंधेरा चीरता है फिर उजालों से होकर महरूम फ़क़त =(केवल) रूबरू= आमने सामने, समक्ष महरूम= वंचित, अभा
kunwar Surendra
स्कूल और बेंच स्कूल में एक दिल बनाया था वो किताब रख पढ़ा करते थे जिस बैंच पर दिल पर नाम मेरा लिखा था चीरता एक तीर था उसके नाम का उस बैंच पर कभी शायद कह भी न पाए कितनी मोहब्बत करते थे कोशिश करते पर कह नही पाते थे उनके जाने के बाद बार बार उस बैंच पर बने दिल को बस छू भर आते थे बस इसी में खुश हो जाते थे कुँवर सुरेन्द्र स्कूल में एक दिल बनाया था वो किताब रख पढ़ा करते थे जिस बैंच पर दिल पर नाम मेरा लिखा था चीरता एक तीर था उसके नाम का उस बैंच पर कुँवर सुरेन्द्र
Shree
मौन से नहीं बड़ा! कोई भी डर कभी मौन नहीं रहा! भीतर तक चीरता है ये मौन सब कुछ कर देता गौण, रख देता झंझोर! Shree OPEN FOR COLLAB✨ #ATकोईभीडर • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨
अभिलाष सोनी
एक लफ़्ज़ मोहब्बत है जो ये, दिल को ऐसा गुदगुदाता है। एक तीर जो नज़रों से चलता है, दिल चीरता चला जाता है। कोई दोष नहीं होता इसमें, इन क़ातिल नज़रों का कभी। ये बला ही ऐसी है जो सबको, बस अपनी ओर बुलाता है। एक लफ़्ज़ मोहब्बत है जो ये, दिल को ऐसा गुदगुदाता है। एक तीर जो नज़रों से चलता है, दिल चीरता चला जाता है। कोई दोष नहीं होता इसमें, इन क़ातिल नज़र
dev tailor9188
arun dhuwadiya
#AprilFoolDay तमाम दोस्तों से दूरियां बहुत अच्छी। अभी से जंग की तैयारियां बहुत अच्छी। जरा से दिन में ही घबरा गए कफ़स से तुम सुनो तो मौत से ये बेड़ियां बहुत अच्छी। तुम्हारे मेरे घरों में न मौत दस्तक दे। इसीलिये ये जबरजस्तियाँ बहुत अच्छी। किसी को लठ पड़े है और कोई बन्दी है। अगरचे समझो तो ये झाकियां बहुत अच्छी। तुम्हारे दिल को अगर चीरता है सन्नाटा। कज़ा के चीख से ये चुप्पियाँ बहुत अच्छी। जरूरी है कि रहे बंद मौत के रस्तें। ये अधखुली हुई सी खिड़कियां बहुत अच्छी। खुले गगन का कभी बादशाह था *आशू*। मगर अभी तो ये पाबंदियां बहुत अच्छी। आशू रतलाम तमाम दोस्तों से दूरियां बहुत अच्छी। अभी से जंग की तैयारियां बहुत अच्छी। जरा से दिन में ही घबरा गए कफ़स से तुम सुनो तो मौत से ये बेड़ियां बहुत
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गुल हो जाऊं गुलदस्ता हो जाऊं, तू बने मंज़िल मैं रस्ता हो जाऊं।। यूँ मैं चलूँ तुझे पाने की चाह में, अंगारे भी पुष्प से लगे ज्वालामुखी की राह में तुझे पाने का ऐसा ख़ुमार है छाया, रोम रोम तुझे पुकारे तड़पे मेरी काया।। तू सवार हुआ मुझपे जुनून की तरह, तुझे पाना लाज़मी हुआ रगों में खून की तरह।। अड़चनें जो भी आए हँस के गले लगाऊं मैं, आंधियों के मौसम में भी रौशन चराग़ जलाऊं मैं।। बादलों को चीरता हुआ आसमाँ तक जाऊं, रक्खूं दिल काफ़िर का कभी हथेली ना फैलाऊं।। कर गुज़रूं इस हद तक... कि निशानी छोड़ जाऊं, सदियों तक नाम रह जाए मेरा ऐसी मंज़िल पाने की कहानी छोड़ जाऊं।। गुल हो जाऊं गुलदस्ता हो जाऊं, तू बने मंज़िल मैं रस्ता हो जाऊं।। यूँ मैं चलूँ तुझे पाने की चाह में,
ashish gupta
वह सार है संसार है जिसने लिया सब भार है धर्म के विध्वंस के लिए जिसने किया संघार है वह आज है वो आस है वह फैलता प्रकाश है कर ध्यान तो उस नाम का यह राम का त्यौहार है वह विश्व है वह जयकारा का हकदार है वह रक्त है वह मुक्त है जो विष्णु का अवतार है त्रिकाल से जो सर्वस्व हो जो कर संचार है कर ध्यान तो उस नाम का यह राम का त्योहार है वह वार है प्रहार है वह जीत का हर वार है जो धर्म का प्रतिपाल है जिसे राज्य का अधिकार है विश्व जिससे है भरा मझधार का पतवार है कर ध्यान तो उस नाम का ये राम का त्योहार है वो सास है वह प्राण है वो शिष्टि का उपहार है वो सोच है विचार है वो विश्व का आकार है जो शत्रु के बल पर चढ़ा उससे चीरता हर बार है ©ashish gupta वह सार है संसार है जिसने लिया सब भार है धर्म के विध्वंस के लिए जिसने किया संघार है वह आज है वो आस है वह फैलता प्रकाश है कर ध्यान तो उस नाम क
आयुष अनाश्य
किते मनै भी बला आपणे घरा के बहार छोरी किम्मे मिलणा न मेरे जिसा यार तेरा कलाकार छोरी भेंडी नैना गैल्या देखै मारै नैनों आले बाण छोरी चीरता जावै मेरी छाती नै करै जमा कसुता प्रहार छोरी गाड़ी मेरी की बाट देखै Girls College के बाहर छोरी मनै देखते सार सरमावै भाज्जे classmates धोरै बार बार छोरी बैरण कवै बापू स मेरा DC लठों लठ तोड़ मनै देवगा मार छोरी मार मारकै मोर बनाकै भेज देवगा हवालात छोरी छोरा डरता न तेरे बापू ते VIP नंबर मेरा जीरो जीरो चार छोरी बैठजा मेरी गाड़ी मैं Long drive पै चालेंगे हरयाणा ते बिहार छोरी तौ मिलै मनै सुपणे मैं संडराते होये हर रात छोरी बैठा लावै मेरी खाट पै करै मीठी मीठी बात छोरी इब तो भित्तर घाल ले आंख्या मैं बतैदे आपणे हृदय की बात छोरी Lulu sure हूँ मैं बेरा है मनै तो मनै करै भतेरा प्यार छोरी। - आयुष अनाश्य प्यार किते मनै भी बला आपणे घरा के बहार छोरी किम्मे मिलणा न मेरे जिसा यार तेरा कलाकार छोरी भेंडी नैना गैल्या देखै