Find the Latest Status about सियार शिंगी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सियार शिंगी.
Sushmita pathak
जिंदगी तुम इतनी अजीब क्यो हो, मैं समझने की कोशिश हर रोज करती हू, हर मोड़ पर गिराती जाती हो तुम मुझे, मैं संभालने की कोशिश हर रोज करती हूं। एक बार में ही खत्म कर दो ना तुम मुझे, मैं टूटती हूं हर रोज और बिखर जाती हूं, गलतियां कहां है मुझे यह भी पता नहीं होता, सवालों के घेरे में हर रोज घिर जाती हूं। मैं सुकून चाहती हूं वह मिल नहीं पाता, नसीब में है ही नहीं , या मिल नहीं पात, जिंदगी तू इतनी अजीब क्यों हैy, यह कोई नहीं बताता। ©Sushmita pathak हकीकत जिंगी की
Jitendra Kumar Som
सियार न्यायधीश किसी नदी के तटवर्ती वन में एक सियार अपनी पत्नी के साथ रहता था। एक दिन उसकी पत्नी ने रोहित (लोहित/रोहू) मछली खाने की इच्छा व्यक्त की। सियार उससे बहुत प्यार करता था। अपनी पत्नी को उसी दिन रोहित मछली खिलाने का वायदा कर, सियार नदी के तीर पर उचित अवसर की तलाश में टहलने लगा। थोड़ी देर में सियार ने अनुतीरचारी और गंभीरचारी नाम के दो ऊदबिलाव मछलियों के घात में नदी के एक किनारे बैठे पाया। तभी एक विशालकाय रोहित मछली नदी के ठीक किनारे दुम हिलाती नज़र आई। बिना समय खोये गंभीरचारी ने नदी में छलांग लगाई और मछली की दुम को कस कर पकड़ लिया। किन्तु मछली का वजन उससे कहीं ज्यादा था। वह उसे ही खींच कर नदी के नीचे ले जाने लगी। तब गंभीरचारी ने अनुतीरचारी को आवाज लगा बुला लिया। फिर दोनों ही मित्रों ने बड़ा जोर लगा कर किसी तरह मछली को तट पर ला पटक दिया और उसे मार डाला। मछली के मारे जाने के बाद दोनों में विवाद खड़ा हो गया कि मछली का कौन सा भाग किसके पास जाएगा। सियार जो अब तक दूर से ही सारी घटना को देख रहा था। तत्काल दोनों ही ऊदबिलावों के समक्ष प्रकट हुआ और उसने न्यायाधीश बनने का प्रस्ताव रखा। ऊदबिलावों ने उसकी सलाह मान ली और उसे अपना न्यायाधीश मान लिया। न्याय करते हुए सियार ने मछली के सिर और पूँछ अलग कर दिये और कहा - "जाये पूँछ अनुतीरचारी को गंभीरचारी पाये सिर शेष मिले न्यायाधीश को जिसे मिलता है शुल्क।" सियार फिर मछली के धड़ को लेकर बड़े आराम से अपनी पत्नी के पास चला गया। दु:ख और पश्चाताप के साथ तब दोनों ऊदबिलावों ने अपनी आँखे नीची कर कहा- "नहीं लड़ते अगर हम, तो पाते पूरी मछली लड़ लिये तो ले गया, सियार हमारी मछली और छोड़ गया हमारे लिए यह छोटा-सा सिर; और सूखी पुच्छी।" घटना-स्थल के समीप ही एक पेड़ था जिसके पक्षी ने तब यह गायन किया - "होती है लड़ाई जब शुरु लोग तलाशते हैं मध्यस्थ जो बनता है उनका नेता लोगों की समपत्ति है लगती तब चुकने किन्तु लगते हैं नेताओं के पेट फूलने और भर जाती हैं उनकी तिज़ोरियाँ।" ©Jitendra Kumar Som #KiaraSid सियार न्यायाधीश
Ajay Pratap
दो पल कि गिन्दगी मे प्यर भरा रिस्ता है होश जब आता है तो वक्त निकल जाता है ©Ajay Pratap दो पल की जिंगी #friends
Baisa_Raj_Neha_Pandya
तलब लगी थी सिगार की और उसने अंगारों से दहकते लाल सुर्ख होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और कहा- क्या अब भी चाह सिगार की रखतें हों? #सिगार