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Writer Abhishek Anand 96
‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन, पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर! मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण। ‘बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है? यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन। सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है? ‘हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ। याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा। ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd पार्ट 5 #SunSet
Writer L B Yadav
कुछ तेरे इजहार से प्यार है कुछ तेरे इन्कार से प्यार है कुछ तेरे मिलने से प्यार है कुछ तेरे बिछ़ड़ने से प्यार है कैसे कह दूं कि सिर्फ तुमसे प्यार है। कुछ तेरी अदाओं से प्यार है कुछ तेरी शोखियों से प्यार है कुछ तेरे इरादों से प्यार है कुछ तेरे इशारों से प्यार है कैसे कह दूं कि सिर्फ तुमसे प्यार है। ©Writer L B Yadav प्यार है पार्ट 5 #ValentinesDay
Hariom
सुंदर था । सुनी मांग और सुना माथा देखकर उसके विधवा या कुंवारी होने का अंदाजा भर ही लगाया जा सकता था। सूती साड़ी को उसने धोती की तरह कस कर बांध रखा था जिससे उसे यहां तक आने में, कम से कम कपड़े की वजह से कोई परेशानी नहीं हुई थी। कमरे के दाएं तरफ एक लकड़ी की आलमारी पड़ी हुई थी। उसने आगे बढ़ के अलमारी के पल्ले को अपनी ओर खिंचा, और इसी के साथ जैसे कयामत आ गई वहां। उस सन्नाटे में एक चीख गूंज गई। ये चीख किसी और की नही बल्कि उस औरत की ही थी। अचानक ही उसपर किसी ने हमला किया था। एक हाथ से चोट वाले स्थान को पकड़े वह लड़खड़ा कर पीछे हट गई और लालटेन जमीन पर रख कर वहीं दीवार की टेक लिए बैठ गई। "आह 3 Period।" औरत के मुंह से एक कराह निकली। "मां 4 Period हे भगवान ! ये मैने क्या कर दिया..?" अपने दोनो हाथों में कसकर पकड़े आयताकार तख्ते जैसी चीज़ को, हमलावर ने हड़बड़ा कर एक तरफ फेंका और उस औरत पर झुक गई। , Page ©Hariom #RanbirAlia दरवाजे के पीछे पार्ट 5