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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Ek villain
आखिरकार दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन समाप्त हो गया है पंजाब हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ किसान संगठनों ने अपनी हठधर्मिता में मोदी सरकार को इस तरह के विवश कर दिया कि कृषि और किसानों के लिए व्यापक रूप से लाभकारी उन तीनों कानूनों को वापस ले लिया जाए तो जो सुधार के लिए लिहाज और कांता का कार्य माना गए हैं यह आंदोलन आवश्यकता से अधिक लंबा खींचा और इसे संसद लोकतंत्र और शासन को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए चंद समूह की ओर से इस आंदोलन का इस्तेमाल मोदी सरकार की किरकिरी करने की सर के रूप में किया गया यह किसान संगठनों की जिद ही थी कि उन्होंने तब भी अपना आंदोलन जारी रखा जब केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों को कि दयावान को डेढ़ वर्ष के लिए स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इन पर रोक लगा दी थी किसान संगठन इन तीनों कानूनों की वापसी पर अड़े रहे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने के कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया और किसान संगठनों से अपील की कि वह वापस घर चले जाएं तब भी आंदोलन समाप्त नहीं किया गया इसकी वजह किसान संगठन ने पांच नहीं मांगे जोड़ दी जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एम एस पी और समिति का गठन आंदोलन के दौरान कथित रूप से जान गवाने वाले किसानों की परिवार को मुआवजा प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामले की वापसी बिजली सन बिजली संशोधन आगे ना बढ़ाए और प्रदूषण के तहत पराली जलाने को लेकर किसानों को कोई सख्त कदम ना उठाएं की बात शामिल थी इसमें एमएसपी का संबंध और रद्द किए गए कानूनों से है लेकिन शेष मांगे जो जबरदस्ती का ही प्रतीक है इन संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर जैसे रवैया दिखाया है वही कुल मिलाकर किसानों का अहित करने वाला है ही है एमएसपी पर लगभग हर विशेष ने यही कहा है कि अगर इस कानून गारंटी दी जाए तो सरकार पूरी तरह देश में किसानों की फसल खरीदने के लिए बाध्य होगी और इसका अनंते विपरीत प्रभाव सरकार के खजाने पर पड़ेगा इसी तरह बिजली संशोधन बिल को प्रभावित कर देने की मांग भी उचित नहीं की जा सकती क्योंकि पंजाब और हरियाणा में ट्यूबवेल चला कर धान की खेती की जा रही है इसके चलते भूजल स्तर चिंताजनक तरीके से नीचे जा रहा है इसका सबसे अधिक कमाया जा यह चित्र है भूख देंगे मुफ्त बिजली का फायदा उठा रहा है किसान यह बड़ी और रहने वाली तस्वीर देखने के लिए तैयार नहीं दुश्मन की रोकथाम वाले किसानों में संशोधन की मांग और किसानों को इस चुनौती से पूरी तरह मुक्त कर देने की अपेक्षा का भी कोई औचित्य नहीं पराली जलाने की समस्या तंत्रिका अमीर है इसके चलते उत्तर भारत के रूप में एक बड़ा इलाका हर सर्दियां आरंभ होते ही खतरनाक प्रदूषण की चपेट में आ जाता है प्रदूषण के इस बड़े कारण से किसान भलीभांति परिचित और स्वयं भी इससे प्रभावित है ©Ek villain # अनावश्यक आंदोलन का अंत #TuruLob
Sabir Khan
आक्रोश,,, विचारधारा को दुर्बल करता है। विरोध,,, निर्णय का अवलोकन करता है। आंदोलन,,, आक्रोश और विरोध की परिणति है, जो सतर्कता और सजगता के बिना असफल है। #आंदोलन
Vivek Kumar Verma
विरोध अलग चीज है।लेकिन हिंसात्मक विरोध अपनी शक्ति और सहानुभूति खो देते है। #आंदोलन
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
Ravish
मुर्दों के शहर में मोमबत्ती जला रहे हो। देख लेना - उस पर भी पानी डालने वाले अधिकांश मिलेंगे। # क्रांति ©Ravish #आंदोलन
Ek villain
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और स्वाधीनता के लिए भारतीयों का भागीदारी प्रयास आदरणीय तक इतिहास ही माने जा सकते हैं इस संपूर्ण घटनाक्रम का चेत्रफल इतना व्यापक है कि वह स्वस्तिक इतिहास लेखन में भारतीय स्वाधीनता की गाथा सर्वाधिक लोकप्रिय है परंतु विभिन्न प्रकार के इतिहास लेखन ओं की प्रवृत्तियों में स्वाधीनता की गाथा की चौपट कथा प्रस्तुत की है उसके फल स्वरुप देश की स्वाधीनता में जिन्होंने स्वर स्वर कर दिया है उन्होंने उनकी भागीदारी को न्याय नहीं मिला निश्चित ही इतिहास और इतिहास का न्याय और न्यायाधीश की भूमिका में ना हो सकता है परंतु न्याय होना उसका मोल एक धर्म है चोरा चोरी को शायद इस पद की आवश्यकता है यदि इस घटना के विभिन्न पक्षों को देखा जाए तो कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यह एक स्थानीय घटना है जिनसे राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास पर व्यापक प्रभाव दल्ले वार्ड 18 57 के प्रयास के पश्चात भारतीयों ने निरंतर अपने मित्र भूमि को मुक्त कराने के लिए अनेक अयोध्या दी साम्राज्यवादी इन बलिदानों को अपने दस्तावेज में उग्रवादी या भारतीय तिहार कहे तो आज अंबा नहीं पश्चिमी विद्या से उपजा भारतीय इतिहास लेखन उनके प्रयासों का समर्थन को अनदेखा करें तो उनकी ही दृष्टि और लिखने में ऐसा क्यों समझने की आवश्यकता है जिनके अनेक अनुसार जॉर्ज वॉशिंगटन के रहे क्रांतिकारी महान थे ©Ek villain #राष्ट्रीय आंदोलन में प्रतिरोधक का नया मोड़ #roseday