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Jiten rawat
गमछा हमारा , आन -बान और शान है, इसलिए हमबिहारी करते इसका सम्मान हैं। ये सिर्फ कपड़े का एक छोटा टुकड़ा नहीं, बिहार और बिहारियों के लिए पहचान है। परवाह नहीं हमें आप के लिए क्या है ये, मगर,गमछा बिहारियों का स्वाभिमान है। वो क्या समझेगा इस गमछे की कीमत, जो सूट- बूट पर ही करता अभिमान है। कभी तो आकर देखिये हमारे बिहार में, हम, आप का करते कितना सम्मान हैं। #nojoto #गमछा #आन_बान_शान #बिहारी #सम्मान #बिहार_बिहारियों_का_पहचान #बिहारियों_का_स्वाभिमान
Shubham Bharti
हार कर भी रुका नही, किसी के सामने झुका नही, तू बिहार का असली लाल है, आने वाला तेरा साल है। मखमल के गद्दी पर सोने वाला तेरा खाल नही, हराम का
divya Sharma
मुरली कुमार
जनमानस अस्त व्यस्त है, बाढ़ है महामारी है, सरकार ने आँखे बंद कर ली, क्योंकि मरनेवाला तो बिहारी है।। सभी राजनीतिक दल अपनी गन्दी राजनीति का प्रचार करेंगे लाखों खर्च करके, व्यर्थ की सहानुभूति दिखाएंगे। लेकिन अभी किस तरह राज्य को बचाना है वो को
Murli Bhagat
जनमानस अस्त व्यस्त है, बाढ़ है महामारी है, सरकार ने आँखे बंद कर ली, क्योंकि मरनेवाला तो बिहारी है।। सभी राजनीतिक दल अपनी गन्दी राजनीति का प्रचार करेंगे लाखों खर्च करके, व्यर्थ की सहानुभूति दिखाएंगे। लेकिन अभी किस तरह राज्य को बचाना है वो को
Shikha Mishra
//मौत// इक न इक दिन मौत तो सबको वरता है, पर वो कायर नहीं, शेर होता है जो खुद मौत को चुनता है, पर चाहे कुछ भी क्यूं न हो, अति कभी भी अच्छा नहीं होता, बोझिल हुई ज़िंदगी से भी यूं रूठना अच्छा नहीं होता। माना, ज़िंदगी यहां आसान नहीं पर काश तुम ये समझ पाते कि मौत किसी भी मुसीबत का समाधान नहीं। इक न इक दिन मौत तो सबको वरता है, पर वो कायर नहीं, शेर होता है जो खुद मौत को चुनता है, पर चाहे कुछ भी क्यूं न हो, अति कभी भी अच्छा नहीं होता
Nir@j
हमारी क़िस्मत में ही लिखा था झंड हो जाना बहुत दुःखद था बिहार से झारखंड हो जाना यहां सिर्फ़ बालू छोड़ कर सारे खनिज ले गए और वो बोल गये की इसी में आनंद हो जाना हम बंगाल से कटे फिर हमसे झारखंड अलग हुआ तो हम बराबर से ही जुदाई झेलते रहें हैं बहुत लोग बोलते भी हैं कि बिहार भारत का सबसे गंदा राज्य है फिर
Er.Shivampandit
Happy Chhath Puja🙏 बिहारी लोग छठ पूजा करेंगे और गैर बिहारी दीवाली बीत जाने के बाद कामो में लग गए हैं। हमारे घर छठ पूजा नही होती लेकिन पूर्वांचल में भी बहुत लोग
Poetry with Avdhesh Kanojia
वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। खैर ये बातवीर लोग केवल फेसबुक पर विरोध जी बातें ही लिख सकते हैं, ज़रूरत मन्दों के लिए कुछ नहीं कर सकते। जिन जेएनयू के वामपंथी छात्रों के समर्थन में वे अपनी कलमें घिसा करते हैं, वे प्रवासी मजदूरों के लिये कुछ नहीं करते दिख रहे और जिन्हें ये संघी, भगवा आतंकी, निक्करधारी आदि कह कह गरियाते रहते हैं वे अपने जीवन को संकट में डालकर उनकी सहायता कर रहे हैं, वह भी किसी की जाति या धर्म पूछे बिना, साथ ही जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अभी तक जो गरीब, मजदूर आदि जहाँ कहीं भी हैं, उन्हें भोजन, दवा व रहने आदि की भी व्यवस्था कर हैं। हमारे जिले सहजिला कायर्वाह श्रीमान संजय जी ने तो जब 4 मजदूरों को एक स्थान और बेघर व भूखा देखा व उन्हें अश्रु देखे तो उन्हें अपने दूसरे मकान में रहने को स्थान दिया व भोजनादि की व्यवस्था की। जय माँ भारती ✍️अवधेश कनौजिया© वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी
Poetry with Avdhesh Kanojia
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