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Shubham shukla
2 Years of Nojoto अम्लीय वर्षा से पाषाण भी चटक जाते है ये तो महज एक दिल है इस पर अम्ल बर्षा क्या पाषाणों से भी गहरी चोटें आई है तो इसको निस्तो नाबूत तो होना ही था..... अम्ल बर्षा पाषाण और दिल
Ajay Maurya
Vishal Vaid
जिन्हें वो कहते है माल गलियों,में बाज़ारो में अगर मिल जाये वो, तो उनको अच्छे लगते है न सुन के लगती है उनकी फर्जी मर्दांगी को ठेस तो उनको लोमड़ी की तरह अंगूर खट्टे लगते है Open For Collab🔓 Use👉 #कोरे_काग़ज़_पर_मस्ती अम्ल = Acid (Give justice to acid attack victims🙏🙏)
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KPT STORY CREATORS मेरी in ©KPT STORY CREATORS 📚 परमुख विटामिनों के रसायनिक नाम 📚 ⭕️विटामिन A का रासायनिक नाम क्या है ? ✅रटिनॉल (1913) ⭕️विटामिन B1 का रासायनिक नाम क्या है ? ✅थायमिन (1
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KP GK SAGAR GK questions in Hindi video ©KP STORY CREATOR 🩺 जीव विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न 🦠 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 1.: - मांसपेशियों में किस अम्ल के एकत्रित होने से थकावट आती है ? Ans : - लैक्टि
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ऐ शाम हमसे कुछ तो बोल क्यु खामोश हैं तु ये राज़ अब तो खोल क्या तुझे भी कोइ आज याद आ रहा है जो तु चुप-चाप अपने आशु छुपा रहा हैं हम भी तो अक्सर युही खामोश रहते है तन्हा उदास बीती यादो मे खोये रहते हैं चल हम दोनो आज एक काम करते हैं एक दूसरे से दोनो चुप चाप बातें करते हैं सुना था दर्द बाटने से कम होता हैं क्यु न इन बातों पे दोनो अब अम्ल करते हैं कुछ तुम अपनी कहना कुछ हम अपनी कहेंगे युही रोज़ चुप चाप एक दूसरे का दर्द कम करेंगे. -vikash_my word📝 ऐ शाम हमसे कुछ तो बोल क्यु खामोश हैं तु ये राज़ अब तो खोल क्या तुझे भी कोइ आज याद आ रहा है जो तु चुप-चाप अपने आशु छुपा रहा हैं हम भी तो अक
Chandrahas Tiwari
Alone "मैं लड़का हूँ नये जमाने का" (read caption) 'वो कपड़े अंग्रेजी पहनती है मग़र उसे घूँघट में देखने की एक हसीन चाह रखने वाला मैं लड़का हूँ नए जमाने का।' ------------------ --कलात्मक चन्द्र✍ मैथेमेटिक्स का मैं छात्र हूँ पर कभी-कभी चार दोहे रामायण की भी पढ़ने वाला मैं लड़का हूँ नये जमाने का। मैं कपड़े नए जमाने के अंग्रेजी वाले भी प
भाग्य श्री बैरागी
मौसम बदलते जा रहे, ये कैसे कहर हैं, तालाब सिमटे ख़ुद में नदियाॅं जैसे नहर हैं। इंसां का प्रकृति दोहन ही कुछ इस कदर है, तूफ़ान के आगोश में रोते रहें जैसे शजर हैं। भूमि की कोख काट, तत्त्व भी पाना दूभर है, जिसने पाला अमृत उसकी गोद में ज़हर है। पहाड़ों पर जमी बर्फ की, टूटती कमर है, जंगल की आग से जलते हज़ारों जानवर हैं। फसलें गल जाती हैं, बेमौसम बरसे बदर हैं, क्रोध बरपाया माॅं ने क्यों सवाल हर अधर है। ओजोन क्षरण, अम्ल वर्षा में प्रेम किधर है? किया छलनी सीना और पूछे प्रेम किधर है। वक्त और प्रकृति का न्याय एक ही जैसा है, जो बोया वही काटो सिद्धांत सदा अमर है। 'भाग्य' सब भूलते क्यों हैं प्रकृति एक माॅं है, हमने सताया उसे, हम भोगें अपना कहर हैं। #kkबैरागीश्री ☘️☘️☘️🏞️🏞️*1*🏕️🏕️☘️☘️☘️ मौसम बदलते जा रहे, ये कैसे कहर हैं, तालाब सिमटे ख़ुद में नदियाॅं जैसे नहर हैं। इंसां का प्रकृति