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GUNENDRA SINGH PORTE
हे गणेश तेरे पास है इतनी बुद्धि, सभी के मन को रखते हो शुद्धि। आपने क्या चक्कर चलाये थे, जो आपसे पट गई रिद्धि-सिद्धि।। रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते "अविराम" फिन्गेश्वर राजिम गरियाबंद छत्तीसगढ़ ©GUNENDRASINGHPORTE रिद्धि सिद्धि #navratri
Jitendra Kumar Som
बुद्धि का फल एक रोज की बात है कि बादशाह अकबर के दरबार में लंका के राजा का एक दूत पहुँचा | उसने बादशाह अकबर से एक नयी तरह की माँग करते हुए कहा –“ आलमपनाह ! आपके दरबार में एक से बढ़कर एक बुद्धिमान, होशियार तथा बहादुर दरबारी मौजूद हैं | हमारे महाराज ने आपके पास मुझे एक घड़ा भरकर बुद्धि लाने के लिए भेजा है | हमारे महाराज को आप पर पूरा भरोसा है कि आप उसका बन्दोबस्त किसी-न-किसी तरह और जल्दी ही कर देंगे |” यह सुनकर बादशाह अकबर चकरा गए | उन्होंने अपने मन में सोंचा – “ क्या बेतुकी माँग है, भला घड़े भर बुद्धि का बन्दोबस्त कैसे किया जा सकता है ? लगता है | लंका का राजा हमारा मजाक बनाना चाहता है, कहीं वह इसमें सफल हो गया तो ...? तभी बादशाह को बीरबल का ध्यान आया, वे सोचने लगे कि शायद यह कार्य बीरबल के वश का भी न हो, मगर उसे बताने में बुराई ही क्या है ? जब बीरबल को बादशाह के बुलवाने का कारण ज्ञात हुआ तो वह मुस्कराते हुए कहने लगे – “ आलमपनाह ! चिन्ता की कोई बात नहीं, बुद्धि की व्यवस्था हो जाएगी, लेकिन इसमें कुछ हफ्ते का वक़्त लग सकता है |” बादशाह अकबर बीरबल की इस बात पर कहते भी तो क्या, बीरबल को मुँह माँगा समय दे दिया गया | बीरबल ने उसी दिन शाम को अपने एक खास नौकर को आदेश दिया – “ छोटे मुँह वाले कुछ मिट्टी के घड़ों की व्यवस्था करो |” नौकर ने फ़ौरन बीरबल की आज्ञा का पालन किया | घड़े आते ही बीरबल अपने नौकर को लेकर कददू की एक बेल के पास गए | उन्होंने नौकर से एक घड़ा ले लिया, बीरबल ने घड़े को एक कददू के फूल पर उल्टा लटका दिया, इसके बाद उन्होंने सेवक को आदेश दिया कि बाकि सारे घड़ों को भी इसी तरह कददू के फूल पर उल्टा रख दें | बीरबल ने इस काम के बाद सेवक को इन घड़ों की देखभाल सावधानीपूर्वक करते रहने का हुक्म दिया और वहाँ से चले गए | बादशाह अकबर ने कुछ दिन बाद इसके बारें में पूछा, तो बीरबल ने तुरन्त उत्तर दिया – “ आलमपनाह ! इस कार्य को हो चुका समझें, बस दो सप्ताह का समय और चाहिए, उसके बाद पूरा घड़ा बुद्धि से लबालब भर जायेगा |” बीरबल ने पन्द्रह दिन के बाद घड़ों के स्थान पर जाकर देखा कि कददू के फल घड़े जितने बड़े हो गए हैं, उन्होंने नौकर की प्रशंसा करते हुए कहा – “तुमने अपनी जिम्मेदारी बड़ी कुशलतापूर्वक निभायी है, इसके लिए हम तुम्हे इनाम देंगे |” इसके बाद बीरबल ने लंका के दूत को बादशाह अकबर के दरबार में बुलाया और उसे बताया कि बुद्धि का घड़ा लगभग तैयार है | और बीरबल ने तुरन्त ताली बजाई, ताली की आवाज सुनकर बीरबल का सेवक एक बड़ी थाली में घड़ा लिए हुए बड़ी शान से दरबार में हाज़िर हुआ | बीरबल ने घड़ा उठाया और उसे लंका के दूत के हाथ में सौंपते हुए कहा – “ लीजिए श्रीमान आप इसे अपने महाराज को भेंट कर दीजिए, लेकिन एक बात अवश्य ध्यान रखियेगा कि खाली होने पर हमारा यह कीमती बर्तन हमें जैसा-का –तैसा वापस मिल जाना चाहिए | इसमें रखा बुद्धि का फल तभी प्रभावशाली होगा जब इस बर्तन को कोई नुकसान न पहुँचे | इस पर दूत ने कहा –“ हुजूर ! क्या मैं भी इस बुद्धि के फल को देख सकता हूँ |” “हाँ ..हाँ जरुर |” बीरबल ने गर्दन हिलाते हुए कहा | घड़े देखकर परेशान होते हुए दूत ने मन-ही–मन सोंचा –“हमारी भी मति मारी गई है | भला हमें भी क्या सूझी, बीरबल का कोई जवाब नहीं है ....भला ऐसी बात मैंने सोची कैसे ?” घड़ा लेकर दूत के जाते ही बादशाह अकबर ने भी घड़े को देखने की इच्छा प्रकट की | और बीरबल ने एक घड़ा मँगवा दिया | जैसे ही उन्होंने घड़े में झाँका उन्हें हँसी आ गयी | वे बीरबल की पीठ ठोकते हुए बोले –“ मान गए भई ! तुमने बुद्धि का क्या शानदार फल पेश किया है, लगता है इसे पाकर लंका के राजा के बुद्धिमान होने में तनिक भी देर नहीं लगेगी |” ©Jitendra Kumar Som #KapilSharma बुद्धि का फल
Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
Vivek
बुद्धि का वरदान दो मां ज्ञानेंद्रियां सबकी शोभित रहें वाणी, वचन, व्यवहार से सब भाई बहिन भी मोहित रहें घोर श्रम करने के लिए ह्रदय सबके पोषित रहें और सफलता के मार्ग पर विजयी सब ही घोषित रहें...!!! ©Vivek #बुद्धि का वरदान दो मां
Rajesh vyas kavi
जिद्ध करके _ क्या सिद्ध करना चाहते हो। सिद्धि प्राप्त करने के लिए_ सद्बुद्धि ही काफी है।। कवि राजेश व्यास © Rajesh vyas kavi विचार करो __ #विचार #बुद्धि #सिद्धि #Pattiyan
Rony Roy
रिश्ते निभाने के लिये बुद्धि नही दिल की शुद्धि होनी चाहिये..! @aarav RonyROY रिश्ते निभाने के लिये बुद्धि नही दिल की शुद्धि होनी चाहिये।।
vibhanshu bhashkar
एक असंतुलित "तराजू" !! जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'... दूसरे पर 'शांति'... पहले पर मानवकृत बटखरे..जिसमे... इंसानो की चीख .. खून से लथपथ बदन.. मासूम बच्चो के कटे ,बिखरे अंग.. सुहागन की फटी साड़ी पर बिखरे.. उसके पति का कटा पाँव , सर, हाँथ आंखे.. एक अट्टहास ... प्रकृति का हम पे... हमारे विनाश पे... एक पड़ले पर शांति !! जिसके प्रकृति दत्त उपहार... बाप के कंधे पर बैठे.. मासूम चेहरों की मुस्कान.. हरी-भरी फसले, नदिया, वन, उपवन एक सुहागन का सिंदूर... विधवा माँ के गोदी में हँसता .. उसके..बच्चे का सर... शांति की वकालत करना..'पर्यावाची' है... बुजदिली ,कायरता और देशद्रोही का.. युद्ध की वकालत करना...'पर्यावाची' है... बहादुरी ,शौर्य और देशप्रेम का... कौन पड़ला भारी....? हजार लोग हजार मत... आपका भी मत होगा पुर्वत.. घिसी-पीटि भाषा मे.. दानव के साथ दानव... मानव के साथ मानव का .."व्यवहार" ... परंतु क्या यह... सम्पूर्ण ,और संतुष्टि भरा..उत्तर है...??? तलाश..... #NojotoQuote युद्ध और बुद्ध..