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Dr Upama Singh

भारत में विभिन्न भाषा साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह पुरुषों ने प्राचीन काल से ही उत्कृष्ट योगदान दिया है ठीक स्त्रीयों की भूमिका भी बराबर क #yqrestzone #collabwithrestzone #rzhindi #similethougths #rzसाहित्य #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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     रचना नंबर – 1 
“भारतीय साहित्य में स्त्रीयों का योगदान”
          निबंध– अनुशीर्षक में       

 भारत में विभिन्न भाषा साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह पुरुषों ने प्राचीन काल से ही उत्कृष्ट योगदान दिया है ठीक स्त्रीयों की भूमिका भी बराबर क

Naresh Chandra

वैदिक काल और यज्ञ प्राचीन काल में लोग वैदिक मंत्रों और अग्नि-यज्ञ से कई देवताओं की पूजा करते थे। आर्य देवताओं की कोई मूर्ति या मन्दिर नहीं #विचार #लक्ष्मीनरेश #दिल_की_आवाज़

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हिन्दू धर्म विशाल है सब धर्मों की जननी है कृपया अनुशीर्षक मे पढ़ें 🙏

©Naresh Chandra वैदिक काल और यज्ञ

प्राचीन काल में लोग वैदिक मंत्रों और अग्नि-यज्ञ से कई देवताओं की पूजा करते थे। आर्य देवताओं की कोई मूर्ति या मन्दिर नहीं

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 6 हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:- तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 6
हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:-
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥6॥
विभिषणके ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रामचन्द्रजी की सब कथा विभीषण से कही और अपना नाम बताया।

प्रभु राम के नाम स्मरण से, दोनों के मन आनंदित हो जाते है:-
परस्पर की बाते सुनते ही दोनों के शरीर रोमांचित हो गएऔर श्री रामचन्द्रजी का स्मरण आ जाने से दोनों आनंदमग्न हो गए ॥6॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

विभीषण हनुमानजी को अपनी स्थिति बताते है:-
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
विभीषण कहते है की – हे हनुमानजी!
हमारी रहनी हम कहते है सो सुनो।
जैसे दांतों के बिचमें बिचारी जीभ रहती है,ऐसे हम इन राक्षसोंके बिच में रहते है॥
हे तात! वे सूर्यकुल के नाथ (रघुनाथ),
मुझको अनाथ जानकर कभी कृपा करेंगे?

बिना भगवान् की कृपा के सत्पुरुषों का संग नहीं मिलता:-
तामस तनु कछु साधन नाहीं।
प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता।
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥
जिससे प्रभु कृपा करे ऐसा साधन तो मेरे है नहीं।क्योंकि मेरा शरीर तो तमोगुणी राक्षस है,और न कोई प्रभुके चरण कमलों में मेरे मन की प्रीति है॥
परन्तु हे हनुमानजी, अब मुझको इस बात का पक्का भरोसा हो गया है कि,
भगवान मुझ पर अवश्य कृपा करेंगे।क्योंकि भगवान की कृपा बिना सत्पुरुषों का मिलाप नहीं होता॥

हनुमानजी द्वारा प्रभु श्री राम के गुणों का वर्णन:-
प्रभु श्री राम भक्तों पर सदा दया करते है
जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा।
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती।
करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥
रामचन्द्रजी ने मुझ पर कृपा की है इसी से आपने आकर मुझको दर्शन दिए है॥
विभीषणके यह वचन सुनकर हनुमानजीने कहा कि, हे विभीषण! सुनो,प्रभु की यह रीती ही है की वे सेवक पर सदा परमप्रीति किया करते है॥

हनुमानजी कहते है, श्री राम ने वानरों पर भी कृपा की है:-
कहहु कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥
हनुमानजी कहते है की कहो मै कौन सा कुलीन पुरुष हूँ।हमारी जाति देखो (चंचल वानर की),जो महाचंचल और सब प्रकार से हीन गिनी जाती है॥
जो कोई पुरुष प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले लेवे,तो उसे उस दिन खाने को भोजन नहीं मिलता॥

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र- 
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। 
शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र- 
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये। 
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र- ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। 
शनि देव जी का गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 255 से 265 नाम 
255 सिद्धिसाधनः सिद्धि के साधक

256 वृषाही जिनमे वृष(धर्म) जोकि अहः (दिन) है वो स्थित है
257 वृषभः जो भक्तों के लिए इच्छित वस्तुओं की वर्षा करते हैं
258 विष्णुः सब और व्याप्त रहने वाले
259 वृषपर्वा धर्म की तरफ जाने वाली सीढ़ी
260 वृषोदरः जिनका उदर मानो प्रजा की वर्षा करता है
261 वर्धनः बढ़ाने और पालना करने वाले
262 वर्धमानः जो प्रपंचरूप से बढ़ते हैं
263 विविक्तः बढ़ते हुए भी पृथक ही रहते हैं
264 श्रुतिसागरः जिनमे समुद्र के सामान श्रुतियाँ रखी हुई हैं
265 सुभुजः जिनकी जगत की रक्षा करने वाली भुजाएं अति सुन्दर हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 6
हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:-
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा

AmanjnA Sharma

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Rajesh Khanna

#Raat तंत्र मंत्र

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दो-चार दिनों से हरकतें अलग है उसकी
 अब मेरी बात नहीं मानती
कभी-कभी गुस्सा उसका इतना बढ़ जाता है
 जैसे बुझते दिये में और आग डाल दी
अब मेरा सक तंत्र-मंत्र में बदल गया
जब दिखाया मैंने एक बाबा को
तो इस मे केई यो का हाथ था

©Rajesh Khanna #Raat तंत्र मंत्र

SATYANJAY CHATURVEDI

Tragicstory तंत्र मंत्र विचार nojota

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