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pramod malakar

#कंकड़ पत्थर सब मिलेंगे #कविता

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brijesh mehta

. ना कोई भाग्य ना कुछ किस्मत ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ ना था कुछ कर्मों का फल मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं जब "तू" ही नहीं #मंजर #manjar #मंमाधन #manmadhan

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ना कोई भाग्य
ना कुछ किस्मत
ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ
ना था कुछ कर्मों का फल

मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं
जब "तू" ही नहीं मिला तो क्या खाक मिला!
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ना कोई भाग्य
ना कुछ किस्मत 
ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ
ना था कुछ कर्मों का फल 

मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं
जब "तू" ही नहीं

हरीश वर्मा हरी बेचैन

विकास इतना किया है! खेत में सोंधी मिट्टी में.. जहर भर दिया है!! ज्यादा तर गांव को.. शहर कर दिया है! रास्ते बनाए है डावर के.. घर को कंकड़ पत्

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विकास इतना किया है!
खेत में सोंधी मिट्टी में..
जहर भर दिया है!!
ज्यादा तर गांव को..
शहर कर दिया है!
रास्ते बनाए है डावर के..
घर को कंकड़ पत्थर से.. 
भर दिया है!!
पेड़ों का कर दिया..
कटाई और छटाई!
वातावरण को 
तरंगो से भर दिया!
दौड़ते हैं फर्राटे से गाडियां!
उड़ते हैं जहाज
जिन्दगी को
धुआं धुआं कर दिया!
कचडो से नदी तलाब
और सागर को भर दिया!
जंगल को दुनिया से
गायब कर दिया!
जीवन के लालसा ने
जहर भर दिया!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
८८४०८१२७१८ विकास इतना किया है!
खेत में सोंधी मिट्टी में..
जहर भर दिया है!!
ज्यादा तर गांव को..
शहर कर दिया है!
रास्ते बनाए है डावर के..
घर को कंकड़ पत्

Vandana

आज भी तेरी तस्वीर देख कर धड़कने बढ़ जाया करती हैं आज भी तेरी खामोशी सौ सवाल पूछा करती हैं,,,, मालूम है तू घिरा है कई परेशानियों में जिंदगी #yqbaba #yqdidi #yqlove #yqdost

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आज भी तेरी तस्वीर देख कर धड़कने बढ़ जाया करती हैं 
आज भी तेरी खामोशी सौ सवाल पूछा करती हैं,,,,, आज भी तेरी तस्वीर देख कर धड़कने बढ़ जाया करती हैं
आज भी तेरी खामोशी सौ सवाल पूछा करती हैं,,,,

मालूम है तू घिरा है कई परेशानियों में
जिंदगी

Chandan Gusain

#उफ_तेरी_ये_खुदगर्जी एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम। एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम #कविता

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एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम।
एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम।
एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम।
एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम।

अजी वाह ! क्या बात तुम्हारी,
तुम तो पानी के व्योपारी,
खेल तुम्हारा, तुम्हीं खिलाड़ी,
बिछी हुई ये बिसात तुम्हारी,

सारा पानी चूस रहे हो,
नदी-समन्दर लूट रहे हो,
गंगा-यमुना की छाती पर
कंकड़-पत्थर कूट रहे हो,

उफ!! तुम्हारी ये खुदगर्जी,
चलेगी कब तक ये मनमर्जी,
जिस दिन डोलगी ये धरती,
सर से निकलेगी सब मस्ती,

महल-चौबारे बह जायेंगे
खाली रौखड़ रह जायेंगे
बूँद-बूँद को तरसोगे जब -
बोल व्योपारी – तब क्या होगा ?
नगद – उधारी – तब क्या होगा ??

आज भले ही मौज उड़ा लो,
नदियों को प्यासा तड़पा लो,
गंगा को कीचड़ कर डालो,

लेकिन डोलेगी जब धरती – बोल व्योपारी – तब क्या होगा ?
वर्ल्ड बैंक के टोकनधारी – तब क्या होगा ?
योजनकारी – तब क्या होगा ?
नगद-उधारी तब क्या होगा ?
एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम।
एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम।

- गिर्दा #उफ_तेरी_ये_खुदगर्जी


एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम।
एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम।
एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम

R.S. Meena

इतिहास गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास। विवादों का समाधान नहीं, जीवन बन जाएँ परिहास।। उचित और अनुचित में भेद करने वाला ज्ञान कह #yqdidi #rsmalwar

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इतिहास
गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास।
विवादों का समाधान नहीं, जीवन बन जाएँ परिहास।।

उचित और अनुचित में भेद करने वाला ज्ञान कहाँ है,
सही वक्त पर, सही राह दिखाने वाला इंसान कहाँ है?

राहों के कंकड़-पत्थर से तकदीर बदलने का हो प्रयास।
गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास।

झूठी शान की खातिर, निर्दोष जीवों पर बाण चलाते,
सर उठाकर जो जीना चाहे, उन्हें डराकर दास बनाते।

भावनाओं को ठेस लगे, ऐसा मुख से ना हो उपहास।
गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास।

हर पृष्ठ से रक्त बहे, लांघता जाएँ लाज-शर्म की दलान,
भ्रम कम हो रहा या बढ़ रहा, पढ़ने वाले है सब हैरान।

प्रकृति से दूर गए, तो बचा नहीं पायेंगा किसी का वास।
गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास।

स्वर्णिम अक्षरो में लिखा हो या हो लोह से सख्त अक्षरो में,
जाति किसी से छिप ना सकेंगी, बस जाओ चाहे शहरों में।

शब्दों के जाल से बचना हो, तो रहो प्रकृति के पास।
गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास। इतिहास
गर कुछ ना सीख पाओ, तो बेकार है पढ़ना इतिहास।
विवादों का समाधान नहीं, जीवन बन जाएँ परिहास।।

उचित और अनुचित में भेद करने वाला ज्ञान कह
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