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ओमपाल सिंह " विकट"
गए सिंधिया बीजेपी में, कांग्रेस घबराई है। कमलनाथ की कुर्सी कांपी, मौज कमल की आई है। लगता है अब मध्य प्रदेश में, कमल ही कमल खिलेगा जी। गद्दारों की छाती पर अब, राष्ट्रवादी बल मिलेगा जी। बीजेपी के घर आंगन में, गूंज उठी शहनाई है। गए सिंधिया बीजेपी में, कांग्रेस घबराई है। कमलनाथ की कुर्सी कांपी, मौज कमल की आई है। संग सिंधिया कई विधायक, सत्ता भोग लगाएंगे। मोदी में ही राष्ट्रवाद है, बात यही बतलाएंगे। एमपी की भी जनता देखो, मन ही मन मुसकाई है। गए सिंधिया बीजेपी में, कांग्रेस घबराई है। कमलनाथ की कुर्सी कांपी, मौज कमल की आई है। समय बहुत बलवान है होता, विधि ने फिर से बतलाया। परिवर्तन की आंधी ने भी, विश्वास मोदी में जतलाया। जेपी नड्डा के चेहरे पर, अलग ही रौनक आई है। गए सिंधिया बीजेपी में, कांग्रेस घबराई है। कमलनाथ की कुर्सी कांपी, मौज कमल की आई है। अंदर खाने बीजेपी के, कुछ नेता भी कांप रहे। राज्यसभा के बाद भविष्य के, समीकरणों को भांप रहे। लेकिन मन ही मन में खुश हैं, सत्ता की हाथ में चाबी आई है। गए सिंधिया बीजेपी में, कांग्रेस घबराई है। कमलनाथ की कुर्सी कांपी, मौज कमल की आई है। गए सिंधिया बीजेपी में, कांग्रेस घबराई है। कमलनाथ की कुर्सी कांपी, मौज कमल की आई है। ओमपाल सिंह " विकट " धौलाना, हापुड़ (उत्तर प्रदेश)। सिंधिया
सिंधिया
read morePrashant Mishra
तुम्हें समझता था मैं बिंदिया की तरह तुम हो झूठी मगर मीडिया की तरह "कांग्रेस" सा तन्हा मुझे छोड़कर तुम चली जाओगी "सिंधिया" की तरह --प्रशान्त मिश्रा कांग्रेस-सिंधिया
कांग्रेस-सिंधिया
read moreआशिष गंगाधरजी चोले
एक दिवस सुंदर अशी पहाट उगवली भल्या पहाटेच शिवनेरी ची तोफ गरजली वाऱ्याची झुळूक ही सह्याद्रिच्या कुशीत डोलावली गुलामीत स्वातंत्र्याची चाहूल पहाट घेऊन आली जिजाऊ पोटी शिवा जन्मला सांगत मुके पाखरेही किलबलली राजमाता जिजाऊ चा इवलासा अंश होता तो सिंहाचा छावा ज्यांनी शिकवले मावळ्यांना गनिमी कावा पुरून उरले मर्द मराठे असंख्य मुघलांना जेव्हा उफाळला मावळ्यांच्या रक्तातील लाव्हा मस्तकी जिरेटोप न हाती भवानी तलवार फडकविला भगवा झेंडा छातीवर शोषुन वार जिकून घेतले असाध्य असे दुर्ग अफाट सागरालाही केले बंदिस्त राजेंनी बांधून किल्ले सिंधुदुर्ग परस्त्री असते माते समान या विचाराने शत्रूराज्यांच्या स्त्रियांसही दर्जा स्वतःच्या आई-बहिणींचा देई जगातील एकमेव माझे राजे असे ज्यांच्या दरबारात नाचली नाही कधीच नर्तकी बाई पराक्रमी शिवाजी महाराष्ट्री अवतरला मूठभर मावळे घेऊन शत्रूंच्या तोफांसमोर तलवार घेऊनि एकटाच उभा ठाकला ना भूतो ना भविष्य एक राजा साऱ्या जगाचा छत्रपती शिवाजी महाराज जाहला ज्याला माज होता दिल्लीच्या तख्ताचा तोच पळाला जिवाच्या आकांताने पाहून वाघ भगव्या रक्ताचा अभिमान आम्हांस आमच्या राजेंचा रक्षणास ठायी राही सदा रयतेच्या रक्षणास ठायी राही सदा रयतेच्या लेखन:- आशिष गंगाधरजी चोले. राजे
राजे
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