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पैग़ाम-ए-मोहब्बत आपसी मतभेद को मिटाता है ये पैग़ाम-ए -मोहब्बत मज़हबी नफ़रत की दीवार को तोड़ता है ये पैग़ाम-ए-मोहब्बत,हर इंसान का दिल इंसानियत से लबरेज रहे यही है होता पैग़ाम-ए-मोहब्बत,ईश्वर,अल्लाह, जिजस,सतगुरु सब एक ही शक्ति हैं यही है सिखलाता पैग़ाम-ए-मोहब्बत,नाम भिन्न भिन्न है तो क्या हुआ अमन,चैन,शांति का प्रतीक हैं होता ये पैग़ाम-ए-मोहब्बत, त्यौहारों के नाम मज़हब से भले जुड़े हो मगर ये पहुँचाता आपसी एकता का पैग़ाम-ए-मोहब्बत,राम रहीम नाम में अंतर सही रब ने रचा इंसान एक समान इसमें क्यों करें मतभेद इंसान को परिभाषित करता ये पैग़ाम-ए-मोहब्बत मज़हबी वेद शास्त्र रीति-रिवाज भले भिन्न-भिन्न सही मगर जन चेतना की राह तो सब एक ही दिखाकर इस जन्नत सी जमीं पर ये फैलाते ये पैग़ाम-ए-मोहब्बत, रमज़ान कोरा काग़ज़ 2022 सत्ताईसवी-रचना👉पैग़ाम-ए-मोहब्बत #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #KKRपैग़ामएमोहब्बत #collabwithकोर
Sameeksha Trivedi
Akanksha Srivastava
नित जीवन मे प्यास अनोखी मेरी आँखों मे है झलकती मन से छलकती दिल से दहकती है कैसी ये सत्ताईस की कहानी तृष्णा मेरे जीवन की ना तरुवर की छावं सुहाए हाय ना कलियों की मुस्कान लुभाए उफ़्फ़ ये ठंडी बयार सताए हाय ये बरखा मुझको कितना तड़पाये है कैसी ये सत्ताईस की कहानी मोड़ मेरे जीवन की दुख और वेदना से उभरती नित जीवन की प्रभात अनोखी बनके पहेली है वो चहकती उफ़्फ़ कभी मन को बहकाती कभी दिल को रूलाती हाय कैसी है ये सत्ताईस की कहानी! ©Akanksha Srivastava नित जीवन मे प्यास अनोखी मेरी आँखों मे है झलकती मन से छलकती दिल से दहकती है कैसी ये सत्ताईस की कहानी तृष्णा मेरे जीवन की ना तरुवर की छावं सुह
kumaarkikalamse
प्रिय मित्र तकिया, आशा है कि ईश्वर की असीम कृपा से तुम, चादर संग खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे होंगे..! तुम जानते हो मेरा तुमसे कितना अटूट प्रेम है, तुम मेरे बचपन से अब तक कभी मुझसे दूर नहीं हुए, चाहे फिर पढ़ाई के लिए तुम्हें अपनी गोद में बिठाया, या फिर थकान होने पर सुस्ताने के लिए, या फिर लड़ाई में छोटी बहनो की मार से बचने के लिए.. उम्र के हर पड़ाव पर भी तुमने बखूबी मेरा साथ निभाया है..! तुम से बस यही कहूँगा कि कभी भी मेरा साथ छोड़ कर मत जाना! तुम्हारा बचपन का मित्र जय तुम्हें अपने दिल की कुछ बाते और सुनाना चाहता हूँ, उम्मीद है तुम इसे पढ़कर खुश होगे रात को जब भी खुली मेरी आँख मैंने तुम्हें कसकर गले लगाय
Sangeeta Patidar
खिलखिलाती वो बातें उसकी, ज़ख़्म का मरहम लगती हैं, उजड़ी-बिखरी ज़िंदगी को, जैसे सँवारने का दम रखती हैं। घिरी रहती हैं वो अक़्सर मसरूफ़ियत के उलझे जालों में, मगर मौसमी फ़ुर्सतें उसकी, जैसे बहार का इरम बुनती हैं। दिखाती नहीं ख़्वाब आसमाँ के, ख़याल भी नहीं चाँद सा, मगर मन की ज़मीन पे, जैसे वो हौसले का ख़म गढ़ती है। हालात का भँवर भी डुबा नहीं पाता उसकी उम्मीद-नाव, भड़की लहरों में भी, जैसे शांत-समंदर का भ्रम रखती है। अपने सा नहीं तो ना सही,अजनबी सा रिश्ता तो है 'धुन', साँसें मिलती उससे ऐसे, जैसे ख़ुद का ज़ख़्म सिलती है। इरम- Paradise, ख़म- Pillar नमस्ते लेखकों🌸 कल के "काव्य पुनः संरचना" के विजेता हैं: स्वर्ण पदक- Pooja HNY Rajput🥇 रजत पदक- Kirti Mittaljai
Mayank Sharma
ये साला नींद काहे नहीं आता है रे! मत पढ़ो यार, डायरी एंट्री है पिछले डेढ़ घंटे से खुद को सुलाने की कोशिश में लगे हुये हैं पर साली नींद है की पास बुलाने का नाम ही नहीं लेती।
KP EDUCATION HD
KP TAILOR HD wallpaper HD ©KP TAILOR वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) में तो सीता स्वयंवर का वर्णन ही नहीं है। सिर्फ इतना ही नहीं सीता स्वयंवर को लेकर इन दोनों ग्रंथों में काफ
एक इबादत
कारगिल..... आज के भारत की पराक्रमी नींव -💞kavi-ek kavyapremi💞✍️ काल्पनिक नही शौर्य गाथा आज वास्तविक है अभिमन्यु बने थे भारत के सैनिक ..पाकिस्तान ने कौरव बन घेरा था हजारों की तदाद में संख्या शत्रु की .. ग