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abhisri095
कहने को तो , प्रधानाचार्य है मग़र गौर से देखो तो भगवान् है सच्चाई का पथ दिखाया जिसने भटको को रस्ता बताया जिसने वह दिखने में तो खलनायक है मग़र कर्मो से नायक है कहने को तो , प्रधानाचार्य है मग़र गौर से देखो तो भगवान् है #NojotoQuote मैं और मेरे प्रधानाचार्य एक@प्रधानाचार्य$हमारे%भी
umesh singh
प्रधान जी नमस्कार, आपको जीत की हार्दिक बधाईl मिलें सरकार और संविधान की तरफ से ढेरों अधिकार, गाँव के विकास के लिएll किंतु इसके साथ आपके है अनेकों कर्तव्यl जनता के मत से मिला है आपको बहुमतll अब आपकी जवाबदारी है, कि गाँव की समस्या दूर करोगेl गाँव के लोगों को स्वाभिमान से जीना सिखाओगेll स्वच्छ नाली, साफ पानी और पक्की सड़के बनोओगेl करके उचित व्यवस्था लाइट की घर-घर जगमगाओगेll इस प्रकार गाँव को समृद्धि और खुशहाल बनाओगेl माना अज्ञानता, अशिक्षा और जात-पात बनकर आएंगे दीवारl लेकिन उनसे दूर होकर करोगे, केवल विकासll गाँव के विद्यालय को आधुनिक ढंग से सजाओगेl स्मार्टबोर्ड, कम्प्यूटर और इंटरनेट से जोड़ोगेll पाकर गाँव से आधुनिक शिक्षा, बालक ज्ञानवान हो जाएगाl आपका और अपने गाँव का नाम रोशन कर जाएगाll कोई भी बालक अशिक्षित न रहे यह प्रण लीजिएl गाँव के घर-घर में शिक्षा का वरदान दीजिएll सादगी, शांति और तरक्की को पेश कीजिएl बेरोजगार को रोजगार का प्रबंध पूरा कीजिएll अपने विकास से नाम रोशन कीजिएl प्रधान के कर्तव्य का मिसाल पेश कीजिएll ll जय हिंदll उमेश सिंह ©umesh singh प्रधान के कर्तव्य #paper
Amit Sir KUMAR
जीवन के कर्तव्य पथ पर मन जब विचलित सा हो जाता स्नेह का आधार लिए गुरु तब आकर राह दिखाता अंधकार से प्रकाश कि राह है गुरु जीवन का आधार है गुरु शिष्य है अर्जुन, कृष्ण है गुरु ज्ञान कि गीता से मन के संशय को दुर कर जाता शिष्य पत्थर है, शिल्पकार है गुरु ज्ञान के हथौड़े से शिष्य कि नई प्रतिमा गढ़ जाता मिट्टी है शिष्य कुम्हार है गुरु अपने ज्ञान कि प्रेरणा से शिष्य को नया आकार दे देता शरीर है शिष्य, आत्मा है गुरू जीवन को ज्ञान के सत्य प्राण से प्रकाशित कर जाता। ©Amit Sir KUMAR #Gurupurnima जीवन के कर्तव्य पथ पर....
Atul Sharma
जीवन के अंतिम दो पल भी हमको न अकेला छोड़ा था ।हम साथ तुम्हारे है हर दम ,अपने मुख से यह बोला था ।ऐसे दिव्य पुरुष गिरीश जी को यह अतुल अकेला क्या देगा ।हो सके साथ आओ मेरे बस यही समर्पित अब होगा ।करुणा निधन ,करुणासागर का आगे भी मान बड़ाऊगा।नभ से आये दिव्य स्वरूप का दर्शन तुम्हे कराऊँगा । द्वारा--अतुल कुमार शर्मा आदरनीय पूर्व प्रधानाचार्य जी को समर्पित कविता
Shravan Goud
प्रेम और कर्तव्य का संगम होती है दोस्ती। हमारे परिवार के दो प्रेम और कर्तव्य।