मैं वैशाखनन्दन।।
मैं वैशाखनन्दन रेंकता।
मैं भाल-चन्दन लेपता।
मैं हो विवश हूँ देखता,
कर मैं हूँ भावी टेकता।
मैं नृप नहीं ना देवता,
अपने अहं #Poetry#kavita#nojotophoto
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रजनीश "स्वच्छंद"
शीला लेख।।
छेनी हथौड़ी हाथ मे ले, स्मृतियों की वक्षशीला पर,
शब्द हूँ मैं कुरेदता।।
बन दधीचि अस्थियों का ले तूणीर तरकश में भर,
तम हूँ मैं भेद #Poetry#Quotes#kavita#hindikavita#hindipoetry