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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Mo.Tanveer Siddiqui
उस बेवफ़ा की नफ़रत में आकर मैं ने सिगरेट का नशा क्या पकड़ लिया, मोहब्बत तो धुआँ हो ही गयी थी अब जिस्म भी धुआँ-धुआँ हो गया!! -T@nveer_&iddiqui... धुआँ-धुआँ _____ //
dilip khan anpadh
धुआं-धुआं ***** देख रहा हूँ, दूर तलक,सब धुंधला, सब धुआं धुआं बुझ गई आशा की लौ,बिखड़ा बस है अब राख यंहा।। मैं राख में जीवन ढूंढ़ रहा, फिर क्यों आंखों को मुंद रहा? जो राख हुआ वो खाक हुआ,फिर किन यादों को चूम रहा ये चक्र समय का घूम रहा,क्यों बोझिल सांसे झूम रहा? इन सांसों में सन्नाटा है, फिर क्यों बिखरा है मौन यंहा? इस मौन में कोई शब्द है क्या?इन शब्दों में संगीत है क्या यह गीत अधूरा सा क्यों है,ये गाने वाला कौन रहा? जो गाते गाते चले गए,वो प्रीत अधूरा कंहा गया जो प्रीत अधूरा बिखर गया,क्या जुड़कर फिर होंठ सजा जो सजा नही वो मिट ही गया,क्या बचा कोई परछाई है क्यों परछाई को ढूंढ रहे,जीवन अनमिट सी खाई है इस खाई में है आग भरा, बिखरा यादों का राख पड़ा ये यादें हैं बस अंध कूप, जंहा सब जलकर है धुआं-धुआं दिलीप कुमार खां"""अनपढ़"" #धुआँ धुआँ
usha
#DelhiPollution सब जगह धुआँ सा ही नज़र आता है निगाहों से जिसे देखूँ वही खोया सा नज़र आता है गुम है सब इस धुएँ की चादर में,कौन अपना है और कौन पराया कोई भी नज़र नहीं आता है ना जाने कितने दिन से गुप्त रखा है हमे इस चादर ने कया बताऊँ अब तो जिंदगी में मौत का भी खोफ़ सा नज़र आता है, गलती इस शहर के लोगों की है जिसको कोई अपना नज़र आता ही नहीं है सब बडे़ मायूस है अब तो अपना भी पराया सा नज़र आता है जो बस अपनी खुशीयो का ही आंगन नज़र आता है सब जगह धुआँ सा ही नज़र आता है..। usha 🙂 # धुआँ ही धुआँ उफ़
Joy Kumar
शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हंसी, चाँद से रात का हो रहा है मिलन, चांदनी भी ओढ़े है कोई हया की शरम, घूंघट में छुप के आ रही है रागिनी भी कहीं, मुस्कुराते हुए मिल रही हो तुम भी तो कहीं, रात भी ला रही है ओढ़ी हुई हंसी, तेरी नज़रों ने मेरी नज़रों को दे दी है खुशी, काजल तेरी आँखों का कुछ कह गया है अभी, होंठों पे तेरे भी मुस्कान की छा गयी है हंसी, #NojotoQuote शाम से धुआँ धुआँ ......... #शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हंसी,
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
धुंआं हो जाओगे, धुयें के साथ साथ, दिखोगे खाक से, मिलोगे राख से, बचाने साख को, समझ इस बात को, बचाले ऐ मनु ! हसीं दिन रात को। ©Anand Prakash Nautiyal #धुआँ
Vikas Dhaundiyal
कुछ इस तरह सी जिंदगी चल रही है बर्फ सी पिघल कर धुएँ सी निकल रही है धुआँ
EMERGING WRITERS
#NoTobaccoDay किसी एक को चुन लो ये धुआँ नहीं मौत है... #धुआँ