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Dharmendra Gopatwar
🎥 सिनेमा और समाज......✍️ 📖 कवी_ध . वि . गोपतवार🔖 मैंने आंखों से संस्कारो का वस्त्रहरण होते हुए देखा है । ढक-कर पूरा चल रहा था बदन चेहरे पे रुमाल बंधा देखा है.. l खुली आंखों पर , नशेड़ी चश्मा था पहना चश्मे से ही चिरहरण करते दु:शाषन को देखा है.. । मैंने खुली आंखों से इंसानियत का वस्त्रहरण होते देखा है.. l मैंने थिएटर में पड़दा उठते देखा हैं संस्कारो पर पड़दा ढकते देखा है । मैंने इन्सानियत को अर्धनग्न नाचते देखा है.. । फिल्मों में अर्धनग्न बालाओं को देख , देहात की मां बहनों को पर्दा ओढ़ते देखा है.. मैंने खुली आंखों से , इंसानियत को अंधा होते देखा है.. । मैंने फैशन के आड़ में इन्सान को नंगा होते देखा हैं , अर्धनग्नता के तरफ बढ़ते अप्सराओं के सोच को देख , आंखों पर पट्टी बंधा है.. | मैने आंखों से इंसानियत को शर्मसार होते देखा है ; मैंने खुली आंखों से दूरदर्शन को नंगा नाचते देखा है.. l दूरदर्शन का अनुकरण करता सभ्य समाज देखा है ; मैंने मानव सभ्यता को ही शर्म से पाणी-पाणी होकर , आंखे मूंदते देखा है ; मैंने इन आंखों से संस्कृति का , हनन होते देखा हैं ..... l ©Dharmendra Gopatwar #सिनेमाऔरसमाज
Suchita Pandey
// इतना वक़्त कहाँ // इतना वक़्त कहाँ, कुछ कह सकूँ । कुछ मन की, कुछ अरमानों की फिक्र कर सकूँ । इतना वक़्त कहाँ की धड़कने सुन सकूँ । कुछ बिखरे ज़स्बात, कुछ धीमी सौगात में बस सकूँ । हाँ! ख़ुद से मिले एक अरसा हो गया । हिम्मत कहाँ हुयी फ़िर भी भीतर गड़े एहसासों को समझ सकूँ । ह्रदय में मचे इस घनघोर शोर को भेद सकूँ । इतना वक़्त कहाँ की कुछ लम्हें बाँध सकूँ । कभी ख़ामोशी से, कभी किसी धुन में हर लम्हा पिरो सकूँ । - सुचिता पाण्डेय✍ #सिनेमाग्राफ #इतना वक़्त कहाँ
Kalpesh Soni
जिंदगी का सफर है चंद लम्हो का उसे रूठने मनाने में ना गवाना जाने कब कौन किससे बिछड़ जाये फिर एक "काश " में पड़ जाये ना जिंदगी बिताना #सिनेमाग्राफ #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqjindgi #yqsafar
शब्दवेडा किशोर
उद्या दिनांक १३ आॕगस्ट वल्र्ड टिव्ही प्रिमियर झी टॉकीजवर सकाळी १० व संध्याकाळी ६ वाजता आमचा हा चित्रपट नक्की बघा ©शब्दवेडा किशोर #सिनेमा
Pushkar Sahu
किस्मत में यक़ीन नहीं खुद पर यक़ीन करो दुनियां के प्रेम में नहीं माँबाप के प्यार पे यकीन रखो #सिनेमाग्राफ #yakin #maa #love #truth #yqbaba #yqdidi
yogesh atmaram ambawale
हल्ली कुठे असे सिनेमे बनतात,जे आठवडे आठवडे चालतात. २५ आठवडे तर सोडाच साधे पाच सहा आठवडे चालले, तरी नंतर कायमचे गायब होतात. आणि एकदा गायब झाले की पुन्हा कुठल्याच थिएटर ला दिसेनात. पूर्वी सिनेमांची मज्जाच वेगळी होती,जबरदस्त हाणामारी,सुमधुर संगीत,उत्तम कथा नि अर्थपूर्ण गीते होती. लागला एकदा सिनेमा की दहा बारा आठवडे चालायचाच,कधी कधी तर जुबली ही व्हायची, 25/50 आठवड्यात देखील गर्दी खेचायचा. दर आठवड्याला शानदार सुपरहिट सप्ताह,असे वाचायला ही मजा यायची. दर शुक्रवारी नवीन सिनेमासोबत,त्या सिनेमाचा पोस्टर बघायला ही,आतुरता असायची. हल्लीच्या डिजिटल पोस्टर पेक्षा,हाताने पेंटिंग केलेला पोस्टर खूप छान वाटायचा. कुठल्या थिएटर ला कुठला सिनेमा लागला,ह्याची जाहिरात बघायची गोष्ट ही वेगळीच होती. मल्टिप्लेक्स आले नि सिनेमाची,समीकरणेच बदलली, जुन्या सिनेमांना कुणी वीचारेनाच झाले. काहीही म्हणा पण मल्टिप्लेक्स ने सिनेमा बघायची मजाच घालवली. हल्लीचे सिनेमे #collabratingwithyourquoteandmine #withcollabratingYourQuoteTaai #yqtaai #cinema #चित्रपट #हल्लीचेसिनेमे #जुन्याआठवणी हल्ली
abhisri095
हमे हमारी तबियत याद आयी जो बीमार पड़े,वो वजह याद आयी वह पूछती है क्यों मिलते नही हो अब हमसे हमे आम्रापालीऔर कालेश्वर की पीड़ा याद आयी #NojotoQuote एक इशारा ऐसा भी।। आम्रपाली=सिनेमाघर, कालेश्वर=रेस्टॉरेन्ट।।
3 Little Hearts
हिटलर एक रात बर्लिन के सबसे प्रसिद्ध सिनेमा घर में गया, ये देखने कि जब मेरी तस्वीर आती है तो लोग क्या व्यवहार करते है । फिल्म शुरू होने से पहले हिटलर की तस्वीर आई तो सारे लोग खड़े हो गए और जय जयकार के नारे लगाने लगे । हिटलर खड़ा नहीं हुआ, और क्यों खड़ा हो ? वो तो खुद हिटलर था । मगर ये भूल गया कि वो यहाँ हिटलर बन कर नहीं आया है । सभी जय जय कार के नारे लगा रहे थे वो बहुत खुश था । तभी बगल के आदमी ने, जो खड़े होकर जय - जय कार के नारे लगा रहा था, उसको कंधे पर धक्का दिया और कहा "खड़ा हो जा भाई अगर उस हरामजादे को पता चल गया तो तू मुसीबत में पड़ जाएगा ।" ©Vishnuuu X #हिटलर #सिनेमा #अत्याचार