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Prince Ki Kalam Se..@
Prince ki kalam se..... जिंदगी की सारी दुआए कबूल हो जाए मेरे हिस्से की खुशी भी तुझे मिल जाए। इतनी इबादत मिले तुझे दुनिया में, कि तू आसमान में और दुनिया तेरे नीचे झुक जाए। ©Prince Ki Kalam Se..@ दुवाए #Light
Priya Gour
Thank You So Much Sweet Nojoto Family...😍 ©Priya Gour 😍❤😍....शुक्रिया ही नहीं आप अपनों को दिल से दुवाए... #Love #NojotoFamily #nojotolive #Nojotoapp #Sabkapyaar
SK aisha
फिक्र उनकी करो जिनकी दुवाओं में तुम्हारा जिक्र हो!! ©SK aisha दुवाए जितनी असर करती उतना ही प्यार का विश्वास नजर आता।।।।Aditya kumar prasad लेखक कुणाल कुनु Farhan Shaikh ✔️ Sudha Tripathi bhumika rani Ka
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
खुलुसे मुहब्बत और वफा की जो ये निशानी है, के मेरे घर की फिजा आज भी सुहानी है//१ मेरे मिजाज में अब तक जो ये रवानी है,ये मेरी नेकियों का सिला और मुझपे वालीदेंन की दुवाए मेहरबानी है//२ किसी के ज़ख्म हरे,किसी के है,ये सुर्ख ,हरेक अफ़राद की ये अलहदा कहानी है//३ मैं जानती हुं जालिमों के जोम का अंजाम,ये जबर मैने,बेबसों की बेचारगी से छानी है//५ टूटते नशेमन बिखेरते रिश्ते ये खौफजदा साये, इस दौरे हयात की यही रंज_ओ_गानी है//५ शमा हयाते जविंदा तो अपने हाथ में है,ये और बात है,कि दुनिया सराय फानी है//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Aansu खुलुसे मुहब्बत और वफा की जो ये निशानी है,के मेरे घर की फिजा आज भी सुहानी है//१ मेरे मिजाज में अब तक जो ये रवानी है,ये मेरी नेकियों क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार । अच्छे घर से हैं मिलें , मुझको भी संस्कार । यही सिखाया है मुझे , मातु-पिता ने देख देते जाना योग्य को , देखो तुम उपहार ।। कहतें हैं गुरु जी यहाँ , सुन लो शिष्य महान । विद्या धन का मैं करूँ , देखो निशिदिन दान रख लो इसको पास में , है ये आशीर्वाद - बदले में देना मुझे , उपहारो सा मान ।। तुम क्या दोगे अब मुझे , जीने का अधिकार । मैं देता हूँ अब तुम्हें , जीवन का आधार । देखो चुनकर आज यह , तुम्हें दिलाई जीत- भूले से देना नही , सुमझ इसे उपहार ।। हृदय तुम्हारे है भरा , देखो तम अभिमान मूर्छित जनता है पड़ी , क्या तुम हो नादान । सुनो तुम्हारे ही लिए , किए दुवाए लाख- तुम ही मुँह फेरे खडे़ , कैसे हो भगवान ।। ०२/११/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Top मुक्तक आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार । अच्छे घर से हैं मिलें , मुझको भी संस्कार । यही सिखाया है मुझे , मातु-पिता ने देख देते जा
vibhanshu bhashkar
जब भूख से था,मै व्याकुल ज्वर से तपती,माँ थी आकुल तब, तेरे घर भी आया था दुखड़ा भी तुमको, सुनाया था दे दो मुझको, दो ही रोटी कुछ ऐसे राग भी