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Vikas Sharma Shivaaya'

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगव #समाज

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महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था ,इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं...,

शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है. इस प्रकार से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है. जैसा कि बताया गया है कि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है और यह साल में 1 बार ही आती है...,

भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कण्ठ में रख लिया था...जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया-शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया,तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है...,

गहरी नींद, जागना और सपने देखने पर भगवान शिव का नियंत्रण होता है. अगर आप शिवालय में बेल पत्र के साथ जल या दूध चढ़ाते हैं तो एक नए स्तर पर भक्त के मनोभाव में वृद्धि मिलती है जो उपर्युक्त तीनों चीजों से आगे ले जाती है...,

आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। पारिवारिक परिस्थितियों में जी रहे लोगों तथा महत्वाकांक्षियों के लिए भी यह उत्सव बहुत महत्व रखता है। जो लोग परिवार के बीच गृहस्थ हैं, वे महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं से घिरे लोगों को यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण लगता है क्योंकि शिव ने अपने सभी शत्रुओं पर विजय पा ली थी।

साधुओं के लिए यह दिन इसलिए महत्व रखता है क्योंकि वे इस दिन कैलाश पर्वत के साथ एकाकार हो गए थे। वे एक पर्वत की तरह बिल्कुल स्थिर हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव को एक देव के रूप में नहीं पूजा जाता,, वे आदि गुरु माने जाते हैं जिन्होंने ज्ञान का शुभारंभ किया। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के बाद, एक दिन वे पूरी तरह से स्थिर हो गए। वही दिन महाशिवरात्रि था। उनके भीतर की प्रत्येक हलचल शांत हो गई और यही वजह है कि साधु इस रात को स्थिरता से भरी रात के रूप में देखते हैं।

अगर किंवदंतियों को छोड़ दें, तो यौगिक परंपरा के अनुसार इस दिन और रात का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन आध्यात्मिक जिज्ञासु के सामने असीम संभावनाएँ प्रस्तुत होती हैं। आधुनिक विज्ञान अनेक चरणों से गुज़रते हुए, उस बिंदु पर आ गया है, जहाँ वे ये प्रमाणित कर रहे हैं – कि आप जिसे जीवन के रूप में जानते हैं, जिसे आप पदार्थ और अस्तित्व के तौर पर जानते हैं, जिसे ब्रह्माण्ड और आकाशगंगाओं के रूप में जानते हैं, वह केवल एक ऊर्जा है जो अलग-अलग तरह से प्रकट हो रही है।

यह वैज्ञानिक तथ्य ही प्रत्येक योगी का भीतरी अनुभव होता है। योगी शब्द का अर्थ है, ऐसा व्यक्ति जिसने अस्तित्व की एकात्मकता का एहसास पा लिया हो। जब मैं ‘योग’ शब्द का प्रयोग करता हूँ तो मैं किसी एक अभ्यास या तंत्र की बात नहीं कर रहा। उस असीमित को जानने की हर प्रकार की तड़प, अस्तित्व के उस एकत्व को जानने की इच्छा – योग है। महाशिवरात्रि की वह रात, उस अनुभव को पाने का अवसर भेंट करती है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 778 से 788  नाम 
778 दुर्गमः कठिनता से जाने जाते हैं
779 दुर्गः कई विघ्नों से आहत हुए पुरुषों द्वारा कठिनता से प्राप्त किये जाते हैं
780 दुरावासः जिन्हे बड़ी कठिनता से चित्त में बसाया जाता है
781 दुरारिहा दुष्ट मार्ग में चलने वालों को मारते हैं
782 शुभांगः सुन्दर अंगों से ध्यान किये जाते हैं
783 लोकसारंगः लोकों के सार हैं
784 सुतन्तुः जिनका तंतु - यह विस्तृत जगत सुन्दर हैं
785 तन्तुवर्धनः उसी तंतु को बढ़ाते या काटते हैं
786 इन्द्रकर्मा जिनका कर्म इंद्र के कर्म के समान ही है
787 महाकर्मा जिनके कर्म महान हैं
788 कृतकर्मा जिन्होंने धर्म रूप कर्म किया है
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगव

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

आज है रंगभरी या आमलकी एकादशी, जानें व्रत पारण का समय व नियम आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले #लव

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जय श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust आज है रंगभरी या आमलकी एकादशी, जानें व्रत पारण का समय व नियम
आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले

Vikas Sharma Shivaaya'

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा #समाज

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होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है।

होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली का त्योहार आमतौर पर दो दिनों का होता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है जिसे धुलण्डी भी कहा जाता है।
हिंदुओं के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है :- 

भक्त प्रह्लाद की भगवान विष्णु में आस्था की कहानी

भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया।

प्रह्लाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। यह कथा इस बात का संकेत करती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। 

कामदेव को किया था भस्म 

होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी ओर गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

महाभारत की ये कहानी

महाभारत की एक कहानी के मुताबिक युधिष्ठर को श्रीकृष्ण ने बताया- एक बार श्रीराम के एक पूर्वज रघु के शासन मे एक असुर महिला धोधी थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा संरक्षित थी। उसे गली में खेल रहे बच्चों, के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि- उसे मारा जा सकता है, यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दें। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दे, नृत्य करें, ताली बजाएं, गाना गाएं और ड्रम बजाएं। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम दिल की जीत का प्रतीक है।

श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी

 होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। वहीं, पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा। पूतना को स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था। लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई। 

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 957 से 968 नाम  
957 प्रणवः जिनके वाचक ॐ कार का नाम प्रणव है
958 पणः जो व्यवहार करने वाले हैं
959 प्रमाणम् जो स्वयं प्रमारूप हैं
960 प्राणनिलयः जिनमे प्राण अर्थात इन्द्रियां लीन होती है
961 प्राणभृत् जो अन्नरूप से प्राणों का पोषण करते हैं
962 प्राणजीवनः प्राण नामक वायु से प्राणियों को जीवित रखते हैं
963 तत्त्वम् तथ्य, अमृत, सत्य ये सब शब्द जिनके वाचक हैं
964 तत्त्वविद् तत्व अर्थात स्वरुप को यथावत जानने वाले हैं
965 एकात्मा जो एक आत्मा हैं
966 जन्ममृत्युजरातिगः जो न जन्म लेते हैं न मरते हैं
967 भूर्भुवःस्वस्तरुः भू,भुवः और स्वः जिनका सार है उनका होमादि करके प्रजा तरती है
968 तारः संसार सागर से तारने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा

CK JOHNY

फाल्गुन

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मैं अलबेला फाल्गुन प्यारे आनंद हर्ष-उल्लास भरा
मुझमें महाशिवरात्रि को निराकार ने आकार धरा।
मैं फाल्गुन प्रेम प्यार की मेरी मधुर मीठी बोली
जन्म-मरण छूटे उसका सखी माधव की जो हो ली।
मैं फाल्गुन प्रेम-प्रीत के रंगों की अजब पिचकारी
राधा-श्याम संग मैं ही खेलूं प्रिय इंद्रधनुषी होली।
कटु तीखी वैर-विरोध स्मृतियों की होलिका जलाऊँ
साक्षी मैं जब कामदेव का शिवजी जी ने अंत करा।
इंद्रियों के विषय-विकारों की होलिका मिल जलाओ
अनन्य भक्ति से प्यारे अपना आवागमन मिटावो।
मैं फाल्गुन की मस्त फुहार तेरे रंग सा पक्का प्यार 
मैं फाल्गुन का मदमस्त गीत संगीत नृत्य उमंग भरा।

मैं अलबेला फाल्गुन प्यारे आनंद हर्ष-उल्लास भरा

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ फाल्गुन

Nilesh

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Navin charpota

_Happy   
        vali holi_☺️

होली रो त्यौहार मनावा
सबने गले लगावा रे..

बेर कुंठा ने आग जलावा
प्रेम रो रंग लगावा रेे..

हा हुल्लड़ संग चली टोलियां
डप, ढोल संग नाचा रे..

धरी रंगारंग,पिचकारी ने
सबने घर घर जावा रे..

होली मनावा प्रेम सू
चालो फागण रा गुण गावा रे..

अबीर रंग में भंग पड़ी है
भंग में सगला नाचे घनघोर रे..

गीतों गाता,फागण री मस्ती में
सब हुए बावले करते शोर रे..

आषाढ़ी में छाए बादल
जैसे मयुरा नाचे चहुं ओर रे..

वडा वडिलो ने धोक लगाता
टाबर*(बच्चे) ढूंढन चाला रे..

सखियां गाती फागण रा गीतों
ओर सखा,सखियों रा दीवाना रे..

भाईचारा ने फिर थी बढ़ावा
चालो प्रेम थी बेर घटावा रे..

आयो होली रो त्यौहार आयो
हस्ता गाता मनावा रे..

@charpota_navin

©Navin charpota #फाल्गुन 
#Nofear

Rajesh761

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Deepali Singh

फाल्गुन आयो... #Holi #कविता

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फगुआ आयो हर घर-दर दस्तक पीट के
करे ज़ोर फाल्गुन पूर्णिमा की गीत रे
थिरक-थिरक अल्पाये फाग-धमार रे 
लो आयो बसंत की होली हौले हौले 
दिख रहे खेतों में सरसों इठलाते से
मोहे गेहूँ के बालियाँ मंद मुस्काते हुए
खिले कुछ चेहरे नुर छलकाते हुए
शरम में सिमटे लाल-पीले गीले से
अंग-अंग बहके पानी के आग पे
मचले तन- मन मस्ती के राग में
कभी गुझिया पर ठंढई बहकाती हुई
तो आम मंजरी चंदन में लिपटाती हुई
हाँथ में पुए पकड़े,मुख में दबे दहीबड़े
स्वाद घोले वो गोल-गोल पूड़ी-छोले
जब ढोलक,झाँझ,मंजिरे बोले चींख के
बस पास एक-दूजे को सब खींच लें
ये रंग,गुलाल,धुरखेल जोड़े प्रीत रे
नृत्य-संगीत में झूमे उपर-नीचे भीग के 
मग्न हम बोले जोगी जी धीरे-धीरे! 
सा रा रा रा रा...जोगी जी धीरे-धीरे!

©Deepali Singh फाल्गुन आयो... 

#Holi

Brandavan Bairagi "krishna"

फाल्गुन के रंग #chill

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।।फाल्गुन के रंग।।
फाल्गुन के है रंग अनेक।
हरा गुलाबी नीला पीला।
लाल नारंगी मटमैला।
देते है सन्देश सभी।
मिलते है जब हमसे कभी।
करते हम पहले प्रभु को अर्पण।
शान्ति प्रेम असीम समर्पण।
त्याग बलिदान दुखों में सुख की अनुभूति।
एक दूसरे से कहते मन की प्रीति।

बृन्दावन बैरागी "कृष्णा"

©Brandavan Bairagi "krishna" फाल्गुन के रंग

#chill

a̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e

"महादेव"
🙏

©Lucky Rawat Rawat #happyश्रावण#मास#
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