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Raman@87( Ramnath Toppo)
"मिट्टी को सही आकार देते है, हर बुझते दिये को रौशन करते है, यूँ ही नही लहरों से नौका पार लगाते हैं, हम तो कच्चे ईटों से ही ताज बनाते हैं ।। #कच्चे ईटों से ताज बनाते हैं
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मोहब्बत की ईटों से प्यार का मका बनाना था तेरे संग मिलके अपना अलग जहां बसाना था, लगता हैं खुदा खफा हैं हमसे oppss.... हमे अपने जहां का खुदा तुम्हे बनाना था। ©SohiAlikhan #shayri #मोहब्बत# की #ईटों से प्यार का मका #बनाना था #तेरे संग मिलके अपना अलग जहां बसाना था#, #लगता हैं खुदा खफा हैं हमसे oppss....# #हमे अप
Mamta Singh
ये है मधुमक्खी का घर बाहर से अजीब सा दिखने वाला ये छत्ता अंदर से कितना कलात्मक हाेता है। घर सच में बहुत मेहनत से बनता है घर कहने काे ताे ईट-पत्थर हाेता है पर जिनका हाेता है, उनके सपनाें का महल हाेता है। किट-पतंगे हाे,जानवर या इंसान, जी ताेड़ मेहनत करता है। तब क
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ये वो दौंर है जहां कुछ । दूर्घटना पर अस्पताल से । पहले वीडियो वायरल करते है। मरने की हालत से देख सेल्फीं लिया करते है। बेखौंफ ख़्यालो में उस गरीब। से पूछों बस सुबह आंख खुलने । की प्रार्थना किए सो जाता है। ठिठुरती ठंड से बचने के लिए। ईटों को सर पर लाद । बच्चों को इज़्ज़त की रोटी । खिलाना चाहता है। एक कम्बलं की कमीं से । मौंत के घाट उतर जाता है। सड़क पर चलने वालों को । गाड़ी में बैठे गुरूंर में भरे मामूली इंसान समझते है। सब्रं कर बंदेया तेरी नज़रों में जो भी हो। प्रभु के दर सब एक की । कश्तीं में संवार होकर जाते है। तेरे करम तेरे सामने नज़र आते है। जो भी रहा तू फन्ने खां वहां जाकर । तेरे करम तराज़ू पर टोले जाने है। ये वो दौर है जिसमें... #दौर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ये वो द
ayush aditya
कुछ शड़ियो ईटों से बना हर मकान घर नहीं होता । मकान , घर बनता हैं प्यार से लोगों से परिवार से। ऐसा एक चहकता 'घर' था मेरा। जहाँ कब सवेरा कब श
Vandana
एक घर हो ख्वाबों का हसरतों का जहां बरसात से भीगते हुए झरोखे, घर के पास खड़े हरे भरे पेड़ ,बारिश में तर होते हुए, आंगन पानी से लबालब भरा हुआ। एक घर कॉंक्रीट पत्थर ईटों से नहीं,वह होता है जज्बातों का, एहसासों का ,हर वह उम्मीद का, जो एक इंसान सोचता हैं । (एक घर जो मीठी यादें संजोए होता है। चंद पल देकर आप उन्हें जी उठेंगे) 'पूरी पंक्तियां नीचे पढ़े, एक घर हो ख्वाबों का हसरतों का जहां बरसात से
Samiksha ◕‿◕
एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी, मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी... तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया, माँ के तन को छूकर